Thursday, 23 November 2017

सर्वकार्य साधक श्री गणपति साधना

सर्वकार्य साधक श्री गणपति साधना
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 श्री गणपति की साधना और उनकी कृपा से विवाह बाधा, नौकरी प्राप्ति में या प्रमोशन में बाधा, धन प्राप्ति में बाधा, बॉस से अनबन या टेंशन, धन का स्थायित्व, संतान बाधा ,ग्रह नक्षत्र बाधा , दरिद्रता और रोग इत्यादि का निवारण इसके माध्यम से आसानी से हो जाता हैं, इच्छित फल की प्राप्ति होती है और उन्नति के नए मार्ग प्रशस्त होते हैं।
साधना के प्रारम्भ करने के लिए लिए संकष्टी चतुर्थी का दिन सर्वश्रेष्ठ है। साधना के लिए प्रातः स्नान आदि से निवृत्त हो साफ वस्त्र पहन कर एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाए। उस पर एक ताम्बे की प्लेट रखें, उस पर भगवान गणपति का एक मूंगे का विग्रह स्थापित करें , संभव हो तो तो स्फटिक या मिटटी की मूर्ति को देशी घी और सिंदूर से मिश्रित लेप से केसरिया रंग कर स्थापित करें। श्री गणपति जी के सामने मसूर की दाल की दो ढेरियां बनाएं दोनो पर लाल गुलाब की पंखुड़ियों का आसन देकर दायीं ढेरी पर निम्न यंत्र को अष्टगंध से आक/ मदार की कलम से भोजपत्र पर बनाकर स्थापित करें और बायीं ढेरी पर एक आठ मुखी रुद्राक्ष स्थापित करें।
श्री गणपति जी, यंत्र एवं रुद्राक्ष का पंचोपचार पूजन करे,घी का दीपक और गुग्गुल की धूप जलाएं। प्रथम दिन भगवान को जनेऊ और सुपारी तथा नित्य रूप से २१ दूर्वादल,गुड़हल का फूल, लौंग, इलायची चढ़ाये और लड्डुओं का भोग लगाएं।
सर्वप्रथम हाथ में जल, अक्षत, रोली और पुष्प लेकर संकल्प करे की
हे श्री गणपति जी मैं ....नाम., पुत्र/ पुत्री श्री...(पिता का नाम), ......गोत्र आज संकष्टी चतुर्थी पर ......(मनोकामना कहें)... और अपने शारीरिक , मानसिक, आर्थिक ज्ञात अज्ञात समस्त दोषों के निवारण के लिए आपकी कृपा प्राप्ति की आकांक्षा से आपकी प्रसन्नता हेतु ..21/51.... दिन की साधना का सङ्कल्प करता हूँ। आप मेरी साधना निर्विघ्न पूर्ण कराएं।
तत्पश्चात जल को भूमि पर छोड़ दें।
फिर विनियोग और न्यास कर भगवान श्री गणपति जी का ध्यान करें और निम्न मंत्र की 5 माला प्रतिदिन जप करे
विनियोग:-
अस्य श्री गणपतिमंत्रस्य गणक ऋषि: गायत्री छंद: ह्रीं शक्ति। श्री गणपति देवता। ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग:
ऋष्यादिन्यास:-
गणक ऋषये नमः शिरसे।
गायत्री छन्दः नमः मुखे।
श्री गणपति देवतायै नमः हृदि।
गं बीजम् नमः पादयो।
ह्रीं शक्ति नमः गुह्ये।
विनियोगाय नमः सर्वांगे।
करन्यास:-
ह्रीं अंगुष्ठाभ्याम नमः।
गं तर्जनीभ्यां नमः।
ह्रीं श्रीं मध्यमाभ्यां नमः।
गणपतये अनामिकाभ्यां नमः।
अभीष्ट सिद्धिं मे देहि देहि कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
स्वाहा कर्तलपृष्ठयाभ्याम नमः।
हृदयादिषंगन्यास:-
ह्रीं हृदयाय नमः
गं शिरसे स्वाहा।
ह्रीं श्रीं शिखायै वषट्।
गणपतये कवचाय हुम्।
अभीष्ट सिद्धिं में देहि देहि नेत्रत्राय वौषट्।
स्वाहा अस्त्राय फट।
ध्यान:-
एकदन्तम चतुर्हस्तं पाशमंकुश धारिणं।
रदं वरदं हस्तैर्विभ्राणं मूषकध्वजम।
रक्तं लम्बोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगंधानुलिप्तागं रक्तपुष्पै: सुपूजितं।
भक्तानुकम्पिनम् देवं जगत्कारणमच्युतं।
आविर्भूतं सृष्ट्यादौ प्रकृतैः पुरुषकृतं।
एवं ध्यायन्ति यो नित्यं सयोगी योगिनाम् वरः।।
मन्त्र:-
ह्रीं गं ह्रीं श्रीं गणपतये अभीष्ट सिद्धिम मे देहि देहि स्वाहा।
जप के बाद नित्य प्रति आम की लकड़ी पर 54 आहुतियाँ दें वैसे विभिन्न विशेष कार्य साधने हेतु भिन्न भिन्न वस्तुओं से आहुतियों का विधान है परन्तु सबको मिश्रित कर आहुति देने से भी पूर्ण फल मिलता है और सब कार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं।
आहुति के लिए निम्न सामग्रियों का मिश्रण बना लें
घी, शहद, शक्कर, तिल, जौं, गुग्गुल, कपूर, सूखा नारियल, लौंग, उपलब्ध हो सकें तो गन्ने के टुकड़े, गिलोय और गूलर की लकड़ी के टुकड़े।
सभी सामग्रियाँ आसानी से मिल जाती हैं और एक दो दिन करने के बाद ही आपको अंदाजा हो जायेगा की 54 आहुति के लिए कितनी समिधा और सामग्री चाहिए।
हवन के पश्चात ११ -११ बार तर्पण और मार्जन करें। 
संकल्पित दिन तक साधना पूर्ण होने के पश्चात २१ बच्चों को खीर पूड़ी और बूंदी या बेसन के लड्डू खिलाएं। यंत्र को ताम्बे के ताबीज़ में डालकर , साथ में आठ मुखी रुद्राक्ष एक काले धागे में डालकर गले में धारण कर लें।
श्री गणपति जी की कृपा से आपका मनोरथ शीघ्र ही पूर्ण होगा।
ये करने वाला प्रयोग है और करने से ही सफलता मिलेगी, इच्छित फल प्राप्त होगा। पुरे प्रयोग में सिर्फ एक से सवा घंटे का ही समय लगता है, इतनी मेहनत आपको करनी पड़ेगी।................................................................हर-हर महादेव  

विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

  

उच्छिष्ट गणपति साधना

उच्छिष्ट गणपति साधना
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गणपति एक सात्विक देवता सामान्य रूप से माने जाते हैं |दक्षिण मार्ग और वैष्णव या वैदिक मार्ग में इन्हें परम सात्विक देवता माना जाता है |tantra में यह सात्विक और तामसिक दोनों रूपों से पूजित होते हैं |तंत्र में इनका एक रूप उच्छिष्ट गणपति का भी पूजित होता है जो अत्यंत तीब्र प्रभावकारी रूप होता है |इस स्वरुप की पूजा बहुत शीघ्र और उत्तम सफलतादायक होती है |इस पूजा में विभिन्न वस्तुओं अथवा वनस्पतियों से गणपति की मूर्ती बनाई जा सकती है जैसे श्वेतार्क ,नीम ,बाम्बी की मिटटी ,मोम आदि |प्रस्तुत प्रयोग नीम की लकड़ी पर आधारित है ,जिससे विविध कामनाओं के अनुसार उपयोग किया जा सकता है |
कड़वे नीम की जड़ से कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अंगूठे के बराबर की गणेश की प्रतिमा बनाकर रात्रि के प्रथम प्रहर में स्वयं लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पश्चिम मुख होकर झूठे मुँह से सामने थाली में प्रतिमा को स्थापित कर साधना में सफलता की सदगुरुदेव से प्रार्थना कर संकल्प करें और ततपश्चात गणपति का ध्यान कर उनका पूजन लाल चन्दन,अक्षत,पुष्प के द्वारा पूजन करे और लाल चन्दन की ही माला से झूठे मुँह से ही माला मन्त्र जप करें.| सात दिनों तक ऐसे ही पूजन करे और आठवे दिन अर्थात अमावस्या को पञ्च मेवे से ५०० आहुतियाँ करें इससे मंत्र सिद्ध हो जाता है. तब आप इनके विविध प्रयोगों को कर सकते हैं.| प्रयोग नीचे दिए गए हैं.
. जिस व्यक्ति का आकर्षण करना हो चाहे वो आपका बॉस हो, सहकर्मी हो, प्रेमी,प्रेमिका या फिर कोई मित्र या शत्रु हो जिससे, आपको अपना काम करवाना हो.उसके फोटो पर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर दिनों तक माला मन्त्र जप करने से निश्चय ही उसका आकर्षण होता है.
. अन्न के ऊपर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर ११ दिनों तक नित्य माला मंत्र जप करने से वर्ष भर घर में धन धान्य का भंडार भरा रहता है और यदि इसके बाद नित्य ५१ बार मंत्र को जप कर लिया जाये तो ये भंडार भरा ही रहता है. नहीं तो आपको प्रति माह या वर्ष में करना चाहिए.|
ध्यान मन्त्र
दंताभये चक्र- वरौ दधानं कराग्रग्रम् स्वर्ण-घटं त्रि-नेत्रं ,
धृताब्जयालिंगितमब्धि-पुत्र्या लक्ष्मी-गणेशं कनकाभमीडे.
मंत्र- नमो हस्ति मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट महात्मने क्रां क्रीं ह्रीं घे घे उच्छिष्ठाय स्वाहा.
विशेष
======= चूंकि यह साधना तंत्र साधना है ,अतः गुरु के मार्गदर्शन में करना उत्तम होता है ,|इसे करते समय सुरक्षा कवच अवश्य धारण करें |साधना पूर्व आवश्यक मार्गदर्शन किसी योग्य से अवश्य लें |विधि-विधान की जानकारी के साथ साधना करें और गणपति कवच का पाठ अवश्य करें |...........................................................हर-हर महादेव 

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