Monday 30 October 2017

प्यार -वैवाहिक जीवन -धोखा और तंत्र प्रयोग

प्यार में धोखा और तंत्र प्रयोग 
==================
आज के समय में युवा वर्ग खुले समाज और तकनिकी युग में जी रहा है ,वह पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावत हो रहा |भारतीय संस्कार उसे पुरातन लग रहे ,परम्पराओं और मर्यादाओं को वह पिछडापन मान रहा |माता -पिता ,बुजुर्गों द्वारा शादी विवाह करना उसे नहीं भा रहा |खुद के पसंद नापसंद उसके सर्वोपरि हैं |इंटरनेट के युग में उसे बहुत कुछ ऐसा इंटरनेट पर मिल रहा जो अब तक बंदिशों में था |उसकी कल्पनाएँ उड़ान मार रही |देश -विदेश के लोग और रहन सहन देख वह भी वैसा ही जीवन जीने को इच्छुक हो रहा |प्यार तो पहले भी था पर आज उसका स्वरुप बिगड़ रहा |अब कोमल प्रेम की जगह शारीरिक आकर्षण और चमक दमक प्रमुखता ले रहे |एक का होकर रहना भी अब आज का युवा जरूरी नहीं समझता |बहुतों के कईयों से सम्बन्ध पहले भी होते थे पर आज वह सब खुले आम हो गया |कालेज की तो बात ही क्या अब तो स्कूलों तक में प्यार -मुहब्बत होने लगा |कुछ मालों में यह दूर दूर से होता है और कुछ में शारीरिक संपर्क तक हो जाता है |कालेजों तक आते आते आज हर बच्चा /बच्ची सबकुछ जानता समझता है और मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को सक्षम मानने लगता है |आज के पारिवारिक माहौलों के कारण उन पर बंदिशें कम होती हैं और बहुत कुछ उनके विवेक पर छोड़ दिया जाता है |आखिर विवेक भी तो एक किशोर का ही होता है और अक्सर वह भटकने लगता है खुला माहौल पाने पर |फिर शुरू होता है प्यार ,प्रेम ,मुहब्बत और शारीरिक आकर्षण का खेल |यहाँ गंभीरता कम और उत्सुकता ,आकर्षण अधिक होता है |जाति ,धर्म ,संस्कार ,मर्यादा ,परिवार ,उंच -नीच मायने नहीं रखती अक्सर ऐसे मामलों में और उम्र में |यह स्वभाव परिवर्तन अक्सर उन्हें भविष्य के लिए कष्ट दे जाता है |
कुछ युवा इसे गंभीरता से नहीं लेते पर कुछ गंभीरता से लेते हैं और समर्पण दिखाते हैं |गंभीर युवाओं की संख्या कम ही होती है पर इनका प्यार परवान चढ़ जाता है |एक  गंभीर न हुआ और उसका साथी गंभीर हुआ तो स्थिति विकट हो जाती है |फिर यहाँ धोखे की गुंजाइश बन जाती है |अभी भी युवा करने को तो कुछ भी करें पर जब अंतिम निर्णय की स्थिति आती है तब वह अपने परिवार के दबाव में आ जाते हैं और उन्हें परिवार के मुताबिक़ विवाह करना पड़ जाता है ,तब जो उनका प्रेमी /प्रेमिका होता है उससे अलग होने की वह कोशिस करता है |यदि वह प्रेमी /प्रेमिका गंभीर हुआ तो उसे यह धोखा लगता है |अधिकतर युवा खुद चाहे जो करें ,खुद कृष्ण या गोपियाँ बने फिरते रहें ,पर जब जीवन साथी की बात आती है तो वह सीता या राम ही खोजते हैं |ऐसे में वह अपने पूर्व के प्यार से भागने लगते हैं और विवाह किसी और से करना चाहते हैं |बहुत से ऐसे युवा भी होते हैं जो प्यार को एक खेल की तरह लेते हैं और मानते हैं की जब शादी होगी तो देखेंगे अभी तो मौज मस्ती कर लें |यह कईयों से जुड़े हो सकते हैं |आज इनसे तो कल किसी और से जुड़ते मिल जाते हैं |यहाँ इनमे कोई पार्टनर यदि गंभीर हुआ तो उसे सम्बन्ध टूटना धोखा लगता है |पहले से तो किसी ने कुछ पता किया नहीं होता और बस प्यार हो गया ,फिर जब हाथ से वह फिसलता है तो धोखा लगता है |
बहुत से ऐसे भी लोग मिलते हैं जो किसी उच्च ,समृद्ध घर की कन्या अथवा युवा पुरुष को देखकर ,अथवा किसी सुन्दर कन्या को देखकर स्वार्थवश सोची समझी योजना के साथ उसको प्यार में फंसाते हैं |यहाँ मकसद समृद्ध से विवाह कर सुखमय जीवन पाने की कामना या स्वार्थवश किसी का शोषण होता है |युवा का भी शोषण होता है और उसके पैसे पर मौज मस्ती होती है ,भले शादी हो पाए या नहीं |कई मामलों में यह युवा अपने परिवार के विरुद्ध खड़े भी हो जाते हैं |कभी कभी ब्लैकमेल की भी स्थितियां आती हैं |कोई व्यक्ति या युवा किसी कन्या को पैसे के लालच पर अथवा शादी का झांसा दे प्यार में फंसा लेता है और फिर कुछ समय बाद भागने लगता है |तब कन्या को यह धोखा लगता है |कोई कन्या किसी को पहले तो खूब यूज करती है फिर कन्नी काट लेती है और सम्बन्ध तोड़ किसी और से जुड़ जाती है अथवा कहीं और शादी करने लगती है या कर लेती है या परिवार के दबाव में अलग हो कहीं और विवाह करती है |ऐसे में वह युवा ठगा और धोखे का शिकार महसूस करता है |कुछ मामलों में विवाहित पुरुष -स्त्री के बीच भी प्यार पनप जाता है और किसी एक के हटने पर दुसरे को धोखा लगता है ,हटने का कारण कुछ भी हो |कभी कभी कोई युवती अथवा युवक किसी विवाहित पुरुष अथवा स्त्री को प्यार में फंसा लेता है और अपना स्वार्थ सिद्ध करता है |स्वार्थ पूरा होने पर वह भागने लगता है और फिर धोखे वाली स्थिति उत्पन्न होती है |
मानसिक चोट ,शारीरिक चोट से अधिक घातक होती है और व्यक्ति को तोड़ कर रख देती है |विकल्प तथा हल हर समस्या का होता है पर कोई विकल्प नहीं चाहता |चिंता ,तनाव ,उद्विग्नता ,खालीपन ऐसा घेरता है की व्यक्ति खुद को पंगु महसूस करता है और अच्छा भला क्षमतावान युवा अकर्मण्य ,असहाय ,चुका हुआ लगता है |कुछ गंभीर युवक /युवती को दुनिया उजड़ गयी लगती है और उन्हें कुछ नहीं दिखता ,पूरा भविष्य समाप्त लगता है ,चूंकि वह गंभीर होते हैं और लाहों सपने बन लिए होते हैं |सपने टूट जाने से उन्हें अब कुछ नहीं सूझता |इन मामलों में पहले तो हर युवक /युवती अपने स्तर से अपने साथी को पाना चाहता है |असफल होने पर घर -परिवार और दोस्तों -मित्रों की मदद ली जाती है और अंत में फिर कोई सफलता न मिलने पर ज्योतिषियों ,पंडितों ,ओझा -गुनिया ,साधुओं और तांत्रिकों की शरण ली जाती है |इंटरनेट पर तरीके ,उपाय ,टोटके खोजे जाते हैं ,आजमाए जाते हैं |यदि भाग्य ने साथ दिया तो कुछ मामलों में सफलता भी मिल जाती है परन्तु अधिकतर मामलों में असफलता ही हाथ लगती है |ऐसा नहीं है की टोटकों ,उपायों ,तरीकों में शक्ति नहीं होती और वे सफल नहीं बना सकते ,अपितु कारण यह होता है की सही तरीका ,पद्धति या तो बताई नहीं जाती या ज्ञात नहीं होती अथवा ऊर्जा संतुलन सही नहीं होता ,जितनी शक्ति की मात्रा किसी कार्य की सम्पन्नता के लिए चाहिए वह नहीं दे पाते और असफल होते हैं |
यहाँ भाग्य की भूमिका तो होती है और ज्योतिष यह तो बताता है की वापस खोया प्यार मिल सकता है या नहीं पर ज्योतिषीय उपायों की एक निश्चित सीमा होती है और वह सफल ही हो जाएँ जरुरी नहीं |ओझा -गुनिया कुछ मामलों में सफल हो जाते हैं जबकि व्यक्ति से संपर्क संभव हो |संपर्क संभव न हो तो मुश्किल हो जाता है |पंडित और कर्मकांड की प्रक्रिया लम्बी भी होती है और इसकी प्रक्रिया प्यार -मुहब्बत के लिए नहीं बनाई गयी होती |अधिकतर प्यार समाज यहाँ तक की परिवार से भी छिपा होता है ऐसे में पूजा पाठ ,कर्मकांड करना -कराना कठिन हो जाता है |इन मामलों में तंत्र और तांत्रिक कारगर होते हैं ,पर यदि वह वास्तव में जानकार हों और उन्हें ऊर्जा संतुलन के साथ तकनिकी समझ भी हो |आज के समय में अधिकतर ने तो दूकान ही खोली हुई है और लूट खसोट में ही लगे हुए हैं |प्यार -मुहब्बत के मामले तो यह खोजते रहते हैं जबकि पीड़ित व्यक्ति सब तरफ से निराश ,असहाय होता है और किसी को कुछ बता तक नहीं पाता |इंटरनेट पर तो तांत्रिकों ,बाबाओं ,बड़े बड़े नाम वाले सिद्धों ,साधकों ,साधुओं की बाढ़ आई हुई है और यह ऐसे मामले तो कुछ घंटों में हल करने का दावा करते हैं |व्यक्ति जब शुल्क भुगतान करता है तब फिर वह भुगतने लगता है इनके लूट को |बाद में या तो इनसे संपर्क मुश्किल हो जाता है ,या धमकियां मिलती हैं या अनेक बहाने बनाए जाते हैं और दुसरे दुसरे कारण बता और कुछ करने तथा भुगतान करने को कहा जाता है |पहले से मजबूर ,फंसा व्यक्ति या तो फिर किसी तरह शुल्क देता है या फिर चुपचाप बैठ दुसरे मार्ग तलाशने लगता है |अधिकतर ऐसे मामलों में वह निराश होता है और उसका विश्वास उठने लगता है |
हम चूंकि तंत्र क्षेत्र से जुड़े हुए हैं अतः इस तरह के मामले हमारे पास अक्सर आते रहते है ,जबकि हम खुले आम अपने पेज ,प्रोफाइल आदि पर लिखते रहे हैं की हम केवल विवाहित जोड़ों में से किसी की इस तरह के मामलों में मदद करते हैं जबकि पति या पत्नी में से कोई अपने पति या पत्नी को धोखा दे रहा हो अथवा कुछ गलत कर रहा हो |पर लोग हैं की मानते ही नहीं और रोज ही कोई न कोई संपर्क करता ही है |इनका भी दुःख देखा नहीं जाता ,इसलिए यह लेख दिमाग में आया और लिख रहे |सीधे इन मामलों में हस्तक्षेप के लिए हमारी नैतिकता अनुमति नहीं देती इसलिए कुछ मामलों में हमने लोगों को सलाह भी दिए हैं जबकि वह हर तरफ से निराश हो चुके थे और अपना धन भी उपायों आदि पर गँवा चुके थे |लगभग सभी मामलों में अच्छे परिणाम मिले ,क्योंकि सभी उपाय और प्रयोग हमने खुद पीड़ित करने को कहे |केवल तकनिकी ज्ञान प्रदान किया |इससे उन्हें स्वयं ऊर्जा मिली और उनके सीधे उस व्यक्ति से जुड़े होने के कारण ऊर्जा स्थानान्तरण सीधे हुआ जिससे वह सफल हुए |इस प्रकार वह धोखे और लूट से भी बचे |इस सम्बन्ध में हमारे कुछ सुझाव हैं ,यदि इन पर अमल किया जाए तो इस तरह के मामलों में सफलता बढ़ सकती है |
इस तरह के मामलों में तंत्र शत प्रतिशत कारगर है क्योंकि यह ऊर्जा प्राप्ति ,संरक्षण ,संचय और प्रक्षेपण का विज्ञानं है |असफल केवल वहां होता है जब शक्ति कम प्राप्त की जाए और प्रक्षेपित की जाए जबकि आवश्यकता अधिक हो |ऊर्जा प्रक्षेपण जाया कभी नहीं होता किन्तु कम ऊर्जा होने पर परिणाम दीखता नहीं और उद्देश्य सफल नहीं होता |सफलता पाने के लिए उचित शक्ति अथवा ऊर्जा की आवश्यकता होती है |इसीलिए अक्सर टोटकों ,उपायों आदि से काम नहीं बनता |दूर से अथवा तांत्रिक द्वारा की गयी क्रिया में कई गुना अधिक उर्जा /शक्ति की आवश्यकता होती है इसलिए जितने समय में खुद भुक्त भोगी अपना काम कर सकता है उससे अधिक समय और श्रम तांत्रिक को लगता है अथवा उसे अपनी संचित ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है |आज के समय में एक तो वैसे ही सच्चा तांत्रिक मिलना मुश्किल है ,दुसरे वह अपनी शक्ति खर्च कर किसी का काम करेगा मुश्किल होता है |कुछ लोग कुछ अनुष्ठान करते हैं उचित शुल्क मिलने पर ,किन्तु ऊर्जा मात्रा उपयुक्त हुई तो काम हो जाता है अन्यथा परिणाम नहीं मिलता |अधिकतर ऐसे अनुष्ठानों में खर्च अधिक आता है जबकि पीड़ित बहुत कम ऐसे होते हैं की उपयुक्त खर्च उठा सकें |
इस तरह के मामलों में सबसे अच्छा तरीका यही है की खुद व्यक्ति प्रयास करे |पहले किसी अच्छे जानकार तांत्रिक की तलाश करे |आँख मूंदकर यहाँ वहां पैसे न दे दे या किसी और के सहारे उद्देश्य पाने की कोशिस न करे |अच्छे से समझे उसके बाद उस तांत्रिक से सम्पर्क कर अपनी परिस्थिति ,उद्देश्य बताये |सामने वाले अपने साथी की स्थिति पृष्ठभूमि व्यक्त करे |कहीं भी कुछ भी न छिपाए ,चूंकि जब डाक्टर से रोग छिपाया जाएगा तो इलाज असफल हो जाएगा |सबकुछ बताने के बाद उससे उपयुक्त मंत्र ,पद्धति और तकनिकी ज्ञान प्रदान करने का अनुरोध करे |वह जो भी शुल्क कहे उसे प्रदान करे क्योकि यह सही तरीका है खुद में ही ऊर्जा पाने का |कई जगह लूट ,खसोट ,धोखे से बचने के लिए भी यह बेहतर है |यहाँ यह ध्यान रखे की यह तंत्र है और यहाँ गोपनीयता शास्त्रों में ही है अतः कभी भी मंत्र ,पद्धति ,तकनीक आदि किसी को न बताये |तीसरे तक पहुचते ही असफलता की संभावना शुरू हो जाती है | सम्पूर्ण तकनीक समझने के बाद खुद जुट जाए साधना या उपाय करने में |तब तक लगे रहे जब तक की काम न हो जाए |कभी यह न सोचे की इतने दिन में काम नहीं हुआ अतः छोड़ देते हैं |क्योकि सारा खेल ऊर्जा का है और जब तक पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न नहीं होगी और भेजी नहीं जायेगी तब तक सफलता नहीं मिलेगी |यदि बीच में ही उस साथी का विवाह हो जाए अथवा मिलने की सम्भावना समाप्त हो जाए तब उपाय छोड़ सकते हैं |कभी कभी ऐसा भी होता है की कोई पद्धति या प्रक्रिया सटीक नहीं बैठती और बीच में बदलाव चाहिए होता है |ऐसे में उस ज्ञानी तांत्रिक से सम्बन्ध बरक़रार रखना चाहिए और सलाह लेते रहना चाहिए |संभव है कोई मंत्र अथवा पद्धति कारगर न होने पर वह कोई और बदलाव करे और किसी अन्य पद्धति की सलाह दे |फिर उसका पालन गम्भीरता से करना चाहिए |यह स्थिति तब तक होनी चाहिए जब तक की सफलता न मिल जाए |उसके बाद उन्हें उपयुक्त दक्षिणा प्रदान कर आशीर्वाद लेना चाहिए जब सफल हो जाएँ |प्रक्रिया आदि किसी को नहीं बताना चाहिए ,यहाँ तक की साथी अथवा माता -पिता को भी नहीं |
किसी दुसरे द्वारा इतने समय और इतनी एकाग्रता से कोई ऊर्जा नहीं भेजी जा सकती जितनी एकाग्रता से और लगाव से व्यक्ति भेजता है अतः खुद उपाय अथवा प्रक्रिया करने से सफलता की उम्मीद अधिक हो जाती है |कोई भी ऊर्जा भेजने पर कुछ कारक बाधा उत्पन्न करते हैं अतः उन्हें नियंत्रित करने अथवा हटाने में समय लगता है |कुलदेवता /देवी ,स्थान पर सक्रीय शक्तिया ,ईष्ट देवता और आत्मबल इस तरह के ऊर्जा में बाधक होते हैं अतः कभी कभी लम्बी अवधि तक प्रक्रिय करनी पड़ जाती है जबकि कभी कभी कुछ ही दिनों में काम हो जाता है |कोई नहीं जानता की व्यक्ति का आत्मबल कितना मजबूत है ,उसके कुलदेवता /देवी में कितनी शक्ति है ,परिवार के ईष्ट देव कितनी सहायता कर रहे ,उस स्थान पर कितनी शक्ति से कोई शक्ति सक्रिय है |भले ही इसमें कई महीनो लगे किन्तु फिर भी यह सबसे बेहतर विकल्प है ,क्योकि इसी से अधिकतम सफलता पाई जा सकती है |हाँ प्रक्रिया में उग्र शक्ति का प्रयोग करने से सफलता की सम्भावना और बढ़ जाती है |छोटे -छोटे टोटकों ,उपायों को करने अथवा यहाँ वहां पैसे बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं | यदि मिलना होगा व्यक्ति का लक्षित तो इसी तरीके से मिलेगा ,जब बिलकुल किस्मत में ही नहीं होगा तो कोई प्रयोग या कोई तांत्रिक उसे नहीं दिला सकता |अधिक उपाय अथवा अनेक टोटकों के भी अपने दुष्प्रभाव होते हैं जो की व्यक्ति के मष्तिष्क पर कार्य करते हैं और कभी कभी यह आपस में टकराकर भी व्यर्थ हो जाते हैं अथवा समस्या को और उलझा देते हैं |इसलिए जो करें सोच समझकर करें |............................................................हर-हर महादेव 

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

Saturday 28 October 2017

क्या हैं बंधन ,कैसे बचें इससे

क्या हैं बंधन ,कैसे बचें इससे
==================
बंधन अर्थात्‌ बांधना। जिस प्रकार रस्सी से बांध देने से व्यक्ति असहाय हो कर कुछ कर नहीं पाता, उसी प्रकार किसी व्यक्ति, घर, परिवार, व्यापार आदि को तंत्र-मंत्र आदि द्वारा अदृश्य रूप से बांध दिया जाए तो उसकी प्रगति रुक जाती है और घर परिवार की सुख शांति बाधित हो जाती है। ये बंधन क्या हैं और इनसे मुक्ति कैसे पाई जा सकती है जानने केलिए पढ़िए यह आलेख... 
मानव अति संवेदनशील प्राणी है। प्रकृति और भगवान हर कदम पर हमारी मदद करते हैं। आवश्यकता हमें सजग रहने की है। हम अपनी दिनचर्या में अपने आस-पास होने वाली घटनाओं पर नजर रखें और मनन करें। यहां बंधन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं।
किसी के घर में -१० माह का छोटा बच्चा है। वह अपनी सहज बाल हरकतों से सारे परिवार का मन मोह रहा है। वह खुश है, किलकारियां मार रहा है। अचानक वह सुस्त या निढाल हो जाता है। उसकी हंसी बंद हो जाती है। वह बिना कारण के रोना शुरू कर देता है, दूध पीना छोड़ देता है। बस रोता और चिड़चिड़ाता ही रहता है। हमारे मन में अनायास ही प्रश्न आएगा कि ऐसा क्यों हुआ?
किसी व्यवसायी की फैक्ट्री या व्यापार बहुत अच्छा चल रहा है। लोग उसके व्यापार की तरक्की का उदाहरण देते हैं। अचानक उसके व्यापार में नित नई परेशानियां आने लगती हैं। मशीन और मजदूर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जो फैक्ट्री कल तक फायदे में थी, अचानक घाटे की स्थिति में जाती है। व्यवसायी की फैक्ट्री उसे कमा कर देने के स्थान पर उसे खाने लग गई। हम सोचेंगे ही कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
किसी परिवार का सबसे जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति, जो उस परिवार का तारणहार है, समस्त परिवार की धुरी उस व्यक्ति के आस-पास ही घूम रही है, अचानक बिना किसी कारण के उखड़ जाता है। बिना कारण के घर में अनावश्यक कलह करना शुरू कर देता है। कल तक की उसकी सारी समझदारी और जिम्मेदारी पता नहीं कहां चली जाती है। वह परिवार की चिंता बन जाता है। आखिर ऐसा क्यों हो गया?
कोई परिवार संपन्न है। बच्चे ऐश्वर्यवान, विद्यावान सर्वगुण संपन्न हैं। उनकी सज्जनता का उदाहरण सारा समाज देता है। बच्चे शादी के योग्य हो गए हैं, फिर भी उनकी शादी में अनावश्यक रुकावटें आने लगती हैं। ऐसा क्यों होता है?
आपके पड़ोस के एक परिवार में पति-पत्नी में अथाह प्रेम है। दोनों एक दूसरे के लिए पूर्ण समर्पित हैं। आपस में एक दूसरे का सम्मान करते हैं। अचानक उनमें कटुता तनाव उत्पन्न हो जाता है। जो पति-पत्नी कल तक एक दूसरे के लिए पूर्ण सम्मान रखते थे, आज उनमें झगड़ा हो गया है। स्थिति तलाक की गई है। आखिर ऐसा क्यों हुआ?
हमारे घर के पास हरा भरा फल-फूलों से लदा पेड़ है। पक्षी उसमें चहचहा रहे हैं। इस वृक्ष से हमें अच्छी छाया और हवा मिल रही है। अचानक वह पेड़ बिना किसी कारण के जड़ से ही सूख जाता है। निश्चय ही हमें भय की अनुभूति होगी और मन में यह प्रश्न उठेगा कि ऐसा क्यों हुआ?
हमें अक्सर बहुत से ऐसे प्रसंग मिल जाएंगे जो हमारी और हमारे आसपास की व्यवस्था को झकझोर रहे होंगे, जिनमें 'क्यों'' की स्थिति उत्पन्न होगी।
विज्ञान ने एक नियम प्रतिपादित किया है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। हमें निश्चय ही मनन करना होगा कि उपर्युक्त घटनाएं जो हमारे आसपास घटित हो रही हैं, वे किन क्रियाओं की प्रतिक्रियाएं हैं? हमें यह भी मानना होगा कि विज्ञान की एक निश्चित सीमा है। अगर हम परावैज्ञानिक आधार पर इन घटनाओं को विस्तृत रूप से देखें तो हम निश्चय ही यह सोचने पर विवश होंगे कि कहीं यह बंधन या स्तंभन की परिणति तो नहीं है ! यह आवश्यक नहीं है कि यह किसी तांत्रिक अभिचार के कारण हो रहा हो। यह स्थिति हमारी कमजोर ग्रह स्थितियों गण के कारण भी उत्पन्न हो जाया करती है। हम भिन्न श्रेणियों के अंतर्गत इसका विश्लेषण कर सकते हैं। इनके अलग-अलग लक्षण हैं। इन लक्षणों और उनके निवारण का संक्षेप में वर्णन यहां प्रस्तुत है।
कार्यक्षेत्र का बंधन, स्तंभन या रूकावटें
-------------------------------------------
दुकान/फैक्ट्री/कार्यस्थल की बाधाओं के लक्षण :- किसी दुकान या फैक्ट्री के मालिक का दुकान या फैक्ट्री में मन नहीं लगना। ग्राहकों की संख्या में कमी आना। आए हुए ग्राहकों से मालिक का अनावश्यक तर्क-वितर्क-कुतर्क और कलह करना। श्रमिकों मशीनरी से संबंधित परेशानियां। मालिक को दुकान में अनावश्यक शारीरिक मानसिक भारीपन रहना। दुकान या फैक्ट्री जाने की इच्छा करना। तालेबंदी की नौबत आना। दुकान ही मालिक को खाने लगे और अंत में दुकान बेचने पर भी नहीं बिके।
कार्यालय बंधन के लक्षण :- कार्यालय बराबर नहीं जाना। साथियों से अनावश्यक तकरार। कार्यालय में मन नहीं लगना। कार्यालय और घर के रास्ते में शरीर में भारीपन दर्द की शिकायत होना। कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित होना।
घर-परिवार में बाधा के लक्षण
----------------------------------  परिवार में अशांति और कलह। बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना। आर्थिक परेशानियां। योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में अनावश्यक अड़चन। विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत होकर अन्य मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना। परिवार का कोई कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद, चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो। घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना। इष्ट की अगरबत्तियां बीच में ही बुझ जाना। भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना। पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना।
व्यक्ति विशेष का बंधन
----------------------------  हर कार्य में विफलता। हर कदम पर अपमान। दिल और दिमाग का काम नहीं करना। घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर की सोचना। शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद गला सूखना।सर का भारी रहना |घर बाहर हर स्थान पर उद्विग्नता |स्त्रियों की संतान न होना ,अपमान होना |संतान का गर्भ में ही क्षय अथवा गर्भ ही न ठहरना |आय होने पर भी पता न चलना की धन गया कहाँ |अनावश्यक शारीरिक कष्ट |मन चिडचिडा होना |निर्णयों का गलत होना |हानि और पराजय |
हमें मानना होगा कि भगवान दयालु है। हम सोते हैं पर हमारा भगवान जागता रहता है। वह हमारी रक्षा करता है। जाग्रत अवस्था में तो वह उपर्युक्त लक्षणों द्वारा हमें बाधाओं आदि का ज्ञान करवाता ही है, निद्रावस्था में भी स्वप्न के माध्यम से संकेत प्रदान कर हमारी मदद करता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम होश मानसिक संतुलन बनाए रखें। हम किसी भी प्रतिकूल स्थिति में अपने विवेक अपने इष्ट की आस्था को खोएं, क्योंकि विवेक से बड़ा कोई साथी और भगवान से बड़ा कोई मददगार नहीं है। इन बाधाओं के निवारण हेतु हम निम्नांकित उपाय कर सकते हैं।
उपाय :
---------- पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें, पूजा नियमित होनी चाहिए। इष्ट पर आस्था और विश्वास रखें। स्वयं की साधना पर ज्यादा ध्यान दें। गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें। इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें। जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें। कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ करें। घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें। हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप दें।
व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए
--------------------------------------- व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा। अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह अमावस्या को प्रातःकाल गायों को फल खिलाएं।
गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकरनमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें। यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें। बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें। पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।
विशेष
===== उपरोक्त समस्त उपाय सामान्य उपाय और टोटके हैं जो टोटकों द्वारा उत्पन्न की गई बंधन को रोक अथवा हटा सकते हैं ,किन्तु यदि टोना अथवा अनुष्ठान करके बंधन किया गया है तो यह सामान्य टोटके उसे नहीं हटा सकते |आप विभिन्न टोटके कर चुके हों और लाभ न मिला हो तो किसी अच्छे और योग्य तांत्रिक से संपर्क करना चाहिए और उसके बताये उपाय करने चाहिए अथवा उसके द्वारा बंधन हटवाना चाहिए |साथ ही आपको बगलामुखी ,काली जैसी उग्र शक्तियों के यन्त्र कवच धारण करने चाहिए जिससे बंधन का प्रभाव रुके अथवा हटे |आपके शरीर को बंधन प्रभावित न करे और आप कम से कम किसी प्रभाव से मुक्त रहकर कार्य कर सके |घर का बंधना हटाने के लिए या प्रतिष्ठान का बंधन हटाने के लिए तो विशेष प्रयास ही करने होंगे |..............................................................................हर-हर महादेव

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .