Tuesday 3 October 2017

हमजाद साधना

::::::::::::::::::हमजाद साधना ::स्वयं द्वारा स्वयं की साधना ::::::::::::::::::::
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मूलतः यह इस्लामी साधना है |इसे सिद्धों ने अपनाया और बहुत विकसित किया |बाद में इसका भारतीयकरण कर दिया गया और इसे सूक्ष्म शरीर की साधना कहा जाने लगा ,परन्तु यह सूक्ष्म शरीर की साधना नहीं है ,बल्कि उसके ऋणात्मक प्रतिरूप की साधना है |हमजाद साधना अपने ही स्वरुप के ऋण रूप की सिद्धि है |यह खुद द्वारा खुद की साधना है |अपने अन्दर उपस्थित सूक्ष्म शरीर की शक्ति की साधना है |यह अपनी अद्रश्य शक्ति या छाया की साधना है |इसकी सिद्धि होने पर आप इससे ऐसे रहस्यों को भी जान सकते हैं ,जो आप नहीं जान सकते |इसे ऐसे स्थानों पर भेजा जा सकता है ,जहाँ आप नहीं जा सकते |इससे वे कार्य भी करवाए जा सकते हैं जो आप नहीं कर सकते |हमजाद की सिद्धि का प्रयोग वशीकरण में भी किया जाता है |इसको लक्ष्य के प्रति एकाग्र करके वशीकरण का निर्देश देने पर यह साधक की मनोकामना को पूर्ण करता है |हमजाद का प्रयोग शत्रु दमन ,गुप्त क्रिया विधियों ,किसी रहस्य के ज्ञान ,जटिल समस्याओं के उत्तर आदि को जानने के लिए किया जाता है |इसका अभ्यास साधना पूर्ण होने के पश्चात् भी जब तब करते रहना चाहिए अन्यथा शक्ति क्षीण होने लगती है |
साधना विधि
==========अर्ध रात्री में दक्षिण दिशा की और मुह करके किसी एकांत कमरे में सरसों तेल में भैंस की चर्बी मिलाकर दीपक जलाएं |सामने एक आदमकद आइना लगाएं ,जिसमे आप अपनी पूरी क्षवी देख सकते हों |स्नानादि से निवृत्त हो आदमकद आईने के सामने बैठें |अपने इस रूप पर ध्यान लगाकर मंत्र जाप करें |यह क्रिया ४३ दिन तक २१०० मन्त्रों के जाप से करें |सात दिन तक यह उपर्युक्त प्रकार से की जाती है ,फिर यह सात दिनों तक घी-कपूर-लोबान-लौंग-जायफल आदि के साथ अपने सर के बाल के टुकड़े डालकर खैर की लकड़ी में हवंन करके की जाती है |शेष दिनों में आँखें बंद करके ध्यान में अपना रूप लाकर मंत्र जाप किया जाता है |जाप पूर्ण रूपें अपनी छवि में डूबकर किया जाता है |सिद्धि होने पर अपना स्वरुप ही प्रकट होता है |इसे पूरी तरह सिद्ध करके वचनबद्ध करके अनुष्ठान समाप्त किया जाता है |यह साधना विधि सामान्य जानकारी के उद्देश्य से दी गयी है की इस प्रकार इसकी साधना की जाती है |केवल इसके आधार पर साधना नहीं की जानी चाहिए क्योकि इसमें कुछ विशेष तकनीकियाँ अपनाई जाती है और कुछ समस्याएं भी आ सकती है |अतः बिना गुरु अथवा मार्गदर्शक के इसे नहीं किया जाना चाहिए |इसीलिए मंत्र भी नहीं दिया जा रहा है |बिना सुरक्षा कवच और गुरु के साधना नहीं किया जाना चाहिए |
विशेष जानकारी और चेतावनी
===================== --यह साधना कोई भी कर सकता है ,किन्तु यह तांत्रिक साधना ही है |मूल तांत्रिक पद्धति क्लिष्ट और गुरुगम्य होती है अतः गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है |साधना समय में आसपास और व्यक्ति में उपस्थित अथवा उससे जुडी नकारात्मक शक्तियों को कष्ट और तकलीफ होती है ,उनकी ऊर्जा का क्षरण होता है ,फलतः वह तीब्र प्रतिक्रया करती है और साधक को विचलित करने के लिए उसे डराने अथवा बाधा उत्पन्न करने का प्रयास करती हैं ,कभी कभी पूजा से भी दूसरी नकारात्मक शक्ति आकर्षित हो सकती हैं |व्यक्ति के काम को बिगाड़ने और दिनचर्या प्रभावित करने का प्रयास भी यह नकारात्मक उर्जायें कर सकती हैं ,इसलिए यह अति आवश्यक होता है की साधना की अवधि में साधक किसी उच्च सिद्ध साधक द्वारा बनाया हुआ शक्तिशाली यन्त्र-ताबीज अवश्य धारण करे ,जिससे वह सुरक्षित रहे और साधना निर्विघ्न संपन्न करे |तीब्र प्रभावकारी साधना होने से प्रतिक्रिया भी तीब्र हो सकती है अतः सुरक्षा भी तगड़ी होनी चाहिए |यह गंभीरता से ध्यान दें की आप जो यन्त्र-ताबीज धारण कर रहे हैं वह वास्तव में उच्च शक्ति को सिद्ध किया हुआ साधक ही अपने हाथों से बनाए और अभिमंत्रित किये हुए हो ,अन्यथा बाद में सामने कह्तरे आने पर मुश्किल हो सकती है |सिद्ध अथवा साधक के यहाँ की भीड़ ,अथवा प्रचार से उनका चुनाव आपको गंभीर मुसीबत में डाल सकता है |साधना पूर्व गुरु से पूरी प्रक्रिया समझें , किसी भी प्रकार की त्रुटी होने अथवा समस्या-मुसीबत आने पर हम जिम्मेदार नहीं होंगे |गुरु का मार्गदर्शन और समुचित सुरक्षा करना साधक की जिम्मेदारी होगी |हमारा उद्देश्य सरल ,सात्विक ,तंत्रोक्त साधना की जानकारी देना मात्र है |..................................................................हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

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