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भूत–प्रेत बाधाओं, जादू–टोनों आदि के प्रभाव से भले–चंगे लोगों का जीवन भी दुखमय होजाता है। ज्योतिष तथा शाबर ग्रंथों में इन बाधाओं से मुक्ति के अनेकानेक उपाय उपायबताए गए हैं।इस प्रकार की बाधा निवारण करने से पूर्व स्वयं की रक्षा भी आवश्यकहें.इसलिए इन मन्त्रों द्वारा अपनी तथा अपने आसन की सुरक्षा कर व्यवस्थित हो जाएँ…1. जब भी हम पूजन आदि धार्मिक कार्य करते हैं वहां आसुरी शक्तियां अवश्य अपना प्रभावदिखाने का प्रयास करती हैं, उन आसुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए हम मंत्रों का प्रयोगकर सकते हैं। इसे रक्षा विधान कहते हैं। नीचे रक्षा विधान के बारे में संक्षिप्त में लिखा गयाहै। रक्षा विधान का प्रयोग करने से बुरी शक्तियां धार्मिक कार्य में बाधा नहीं पहुंचाती तथादूर से ही निकल जाती हैं।
रक्षा विधान– रक्षा विधान का अर्थ है जहाँ हम पूजा कर रहे है वहाँ यदि कोई आसुरीशक्तियाँ, मानसिक विकार आदि हो तो चले जाएं, जिससे पूजा में कोई बाधा उपस्थित नहो। बाएं हाथ में पीली सरसों अथवा चावल लेकर दाहिने हाथ से ढंक दें तथा निम्न मंत्रउच्चारण के पश्चात सभी दिशाओं में उछाल दें।
मंत्र—–ओम अपसर्पन्तु ते भूता: ये भूता:भूमि संस्थिता:।ये भूता: बिघ्नकर्तारस्तेनश्यन्तु शिवाज्ञया॥अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचा: सर्वतो दिशम।सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्मसमारभ्भे॥
2. देह रक्षा मंत्र:—-
ऊँ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों धामका यती हनुमन्त रखवाला।इस मंत्र को किसी भी ग्रहण काल में पूरे समय तक लगातार जप करके सिद्ध कर लें।. किसीदुष्ट व्यक्ति से अहित का डर हो, ग्यारह बार मंत्र पढ़कर शरीर पर फूंक मारे तो आपकाशरीर दुश्मन के आक्रमण से हर प्रकार सुरक्षित रहेगा।
3. उल्टी खोपड़ी मरघटिया मसान बांध दें, बाबा भैरो की आन।इस मंत्र को श्मशान में भैरोजी की पूजा, बलि का भोग देकर सवा लाख मंत्र जपे तथाआवश्यकता के समय चाकू से अपने चारों तरफ घेरा खींचे तो अचूक चैकी बनती है।4. इससे किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति साधना में विघ्न नहीं डाल सकती, होली,दीपावली या ग्रहण काल में इस मंत्र को सिद्ध कर लें 11 माला जपकर।
ऊँ नमः श्मशानवासिने भूतादिनां पलायन कुरू–कुरू स्वाहा।इस मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके लहसुन, हींग को पीसकर इसके अर्क को बाधाग्रस्तरोगी के नाक व आंख में लगायें, भूत तुरंत शरीर छोड़कर चला जाएगा।5. बहेड़े के पत्ते या जड़ को घर लाकर धूप, दीप, नैवेद्य और पंचोपचार पूजा के बाद 1माला यानि 108 बार इस मंत्र से 21 दिन अभिमंत्रित करने से सिद्ध हो जाएगा।ऊँ नमः सर्वभूताधिपतये ग्रसग्रस शोषय भैरवी चाजायति स्वाहा।’
इस पत्ते को जहां स्थापित किया जाता है, वहां किसी भी प्रकार से भूत प्रेतबाधा व जादू टोनेका प्रभाव नहीं पड़ता तथा सिद्ध जड़ को बच्चे या बड़े के गले में ताबीज बनाकर पहनाया जासकता है।6. प्रेतबाधा निवारण भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी तथा पिशाच, मशान आदि तामसीशक्तियों से रक्षा के लिए यह साधना सर्वोत्तम तथा सरल उपाय वाली है। .इसके लिएसाधक को चाहिए कि किसी शुभ घड़ी में रविपुष्य योग अथवा शनिवार को) उल्लू लेकर,उसके दाएं डैने के कुछ पंख निकाल लें तथा उल्लू को उड़ा दें। इसके बाद उस पंख कोगंगाजल से धोकर स्नानादि करके पूर्वाभिमुख होकर लाल कंबल के आसन पर बैठकर2100 बार मंत्र पढकर प्रत्येक पंख पर फूंक मारे। इस प्रकार से अभिमंत्रित करके, जलाकरउन पंखों की राख बना लें ।मंत्र: ऊँ नमः रूद्राय, नमः कालिकायै, नमः चंचलायै नमः कामाक्ष्यै नमः पक्षिराजाय, नमःलक्ष्मीवाहनाय, भूत–प्रेतादीनां निवारणं कुरू–कुरू ठं ठं ठं स्वाहा।इस मंत्र से सिद्ध भभूति को कांच के चैड़े पात्र में सुरक्षित रख लें। जब भी किसी स्त्री या पुरुषको ऊपरी बाधा हो, इसे निकालकर चुटकी भर विभूति से 108 बार मंत्र पढ़कर झाड़ देने सेजो अला बला हो, वह भाग जाती है।अधिक शक्तिशाली आत्मा हो तो इसे ताबीज में रखकर पुरुष की दाहिनी भुजा पर, स्त्री कीबाई भुजा पर बांधने से दुबारा किसी आत्मा या दुरात्मा का प्रकोप नहीं होता।…………………………………………हर -हर महादेव
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