Monday 7 August 2017

अप्सरा /यक्षिणी रति करती हैं - भ्रम या सच ?

भ्रम या सच -
अप्सरा /यक्षिणी रति करती हैं 
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अप्सरा /परी /यक्षिणी का नाम ,कथा -कहानी से लेकर पुराण ,शास्त्र ,तंत्र जगत ,में भी आता है ।विश्वामित्र की याद आती है अप्सरा का नाम सुनते ही ।इंद्र की याद आती है अप्सरा और सुंदरियों के लिए ।तंत्र जगत में आते ही अक्सर साधकों के मन में इच्छा उठती है ,कोई अप्सरा /यक्षिणी सिद्ध हो जाती और फिर कुछ करने की जरूरत ही नहीं रहती ।कहा जाता है कि अप्सरा /यक्षिणी अलभ्य वस्तुओं ,भौतिक उपभोग की वस्तुओं को देने सहित शारीरिक सुख भी ेती हैं ।बस यही सोच सब पागल हुए जाते हैं और खोजते रहते हैं साधना तथा गुरु ।आजकल तो इसी रुझान को देखकर बाकायदा प्रचार दिया जा रहा फेसबुक ,इंटरनेट पर अप्सरा /यक्षिणी साधना देने का सिद्ध करवाने का ।मंत्र ,साधनाएं दी जा रही और दावे किये जा रहे सिद्ध करवाने के जैसे यह बहुत आसान हो की हाथ उठाया और पकड़ा दिया अप्सरा /यक्षिणी |किसने क्या किया है ,क्या किसने पाया ,किसको सिद्ध है और किसने शारीरिक सुख पाये यह कोई नहीं बताता ।अप्सरा /यक्षिणी सिद्ध करना और इन्हें अपने उपयोग में लेना सिद्धों ,नाथों ,अघोरियों ,कापालिकों ,बड़े बड़े तंत्र साधकों के लिए भी सपना होता है और यहाँ आराम से बाकायदा प्रचार कर सिद्ध कराने का दावा किया जा रहा है |एक भ्रम चारो ओर फैला हुआ है और इस भ्रम पर शोषण भी हो रहा ।सच्चाई पर कोई विचार नहीं करता
यह सत्य है कि अप्सरा /यक्षिणी /परी होती हैं और इनके पास अच्छी शक्तियां भी होती हैं किंतु इनका भौतिक अथवा पंचभूत अस्तित्व नहीं होता ।इन शक्तियों का ऊर्जा मंडल में एक स्तर होता है जो देवलोक से नीचे सहायक स्तर पर होता है ।यह भी समझना जरुरी है की अप्सरा और यक्षिणी में भी अंतर होता है |यक्षिणी से उपर की शक्ति हैं अप्सराएं |यक्ष लोक अलग होता है |अप्सराएं देवताओं के कार्य करने वाली शक्तियाँ हैं |इन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता |इन्हें प्रसन्न करके अपना कार्य कराया जा सकता है |यक्षिणी को किन्ही मामलों में मजबूर भी किया जा सकता है किन्तु उस स्थिति में बेहद सावधानी और शक्ति की आवश्यकता होती है |इन दोनों का कोई भौतिक शरीर नहीं होता ,यहाँ तक की मानव के अतिरिक्त किसी भी स्तर पर भौतिक शरीर नहीं होता अपितु ऊर्जा शरीर ही होता है जिससे आभासी शरीर तो उतपन्न होता है किंतु पञ्च तत्वीय शरीर नहीं बनता ।ऐसे में सीधे अप्सरा /यक्षिणी शारीरिक सम्पर्क नहीं बना सकती ।इस हेतु इन्हें माध्यम चाहिए ही ।इसलिए यह भ्रम है कि यह सीधे शारीरिक सम्पर्क बना सकती हैं हालांकि यह सच है कि यह चाहें तो माध्यम द्वारा शारीरिक सम्पर्क बना सकती हैं
अप्सरा /यक्षिणी का प्रयोग अधिकतर संसाधन जुटाने में ही सिद्ध ,योगी ,महात्मा करते हैं और अपनी साधना की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ही इन्हें सिद्ध करते हैं |उच्च साधकों के लिए इन्हें सिद्ध करने में बहुत मुश्किल नहीं आती क्योंकि उच्च शक्तियों की साधना करने से उनमे जो शक्ति आती है उससे इन अपेक्षाकृत छोटी शक्तियों को सिद्ध करना आसान हो जाता है |कभी कभी किसी उच्च स्तर के साधक की शक्ति से प्रकृति के संतुलन में विक्षोभ उत्पन्न होने लगता है जबकि वह साधक लक्ष्य विशेष के लिए शक्ति प्राप्त कर रहा हो |ऐसे में ऊर्जा स्तरों में विचलन होता है और वहां क्रियाशील शक्तियाँ उद्वेलित होती हैं |इस कारण यह शक्तियाँ उस साधक की साधना भंग करने का भी प्रयत्न करती हैं और उससे सम्पर्क करती हैं |ऐसा ही हुआ विश्वामित्र जी के साथ जबकि एक अप्सरा उनकी साधना में विघ्न डालने और उन्हें भटकाने हेतु चली आई |ऐसा कई मामलों में हुआ है |चूंकि उच्च ऊर्जा स्तरों में विक्षोभ होता है अतः कहा जाता है की देवताओं ने साधना भंग करने हेतु इन्हें भेजा उन्हें भेजा |उच्च ऊर्जा मंडल की शक्तियाँ नहीं चाहती की उनके मंडल तक कोई अतिक्रमण कर पहुंचे |
अप्सरा /यक्षिणी शारीरिक सम्पर्क बनाती हैं किन्तु अपनी इच्छा से |अधिकतर मामलों में इनके साथ सम्पर्क शारीरिक होकर मानसिक होता है और रति तक मानसिक रति होती है किंतु अत्यधिक उच्च अवस्था में जबकि प्रकृति में विक्षोभ होने लगे तब यह शारीरिक रति जैसी स्थिति भी उतपन्न करती हैं ,जैसा कि विश्वामित्र के लिए कहा जाता है ।यह केवल बेहद उच्च स्तर पर होता है जबकि प्रकृति उद्वेलित हो जाय और ऊर्जा मंडल असंतुलित होने लगे ।मुझे नहीं लगता कि आज विश्वामित्र सा साधक है कहीं ।यह यदि अति प्रसन्न भी हो जाएँ तो माध्यम द्वारा संपर्क बना सकती हैं अथवा यदि साधक मजबूर करे तो माध्यम द्वारा क्रिया करती हैं |इसके लिए ऐसा भी हो सकता है की किसी मृतक का शरीर ग्रहण कर लें ,किन्तु सीधे अपने आभासी शरीर को पंचभूत में बदल किसी के साथ रति अथवा शारीरिक क्रिया जैसा कुछ करें यह बहुत मुश्किल है |
जबकि इनकी साथ अधिकतर मानसिक रति ही होती है तो साधक को भी मानसिक रति लायक अवस्था में पहुंचा होना चाहिए |क्या मानसिक रति लायक अवस्था में पहुंचा साधक समाज में दिखेगा |वह तो एकांत पकड लेगा ,क्योंकि उसे तो किसी की कोई जरूरत ही नहीं |जब अप्सरा /यक्षिणी उसके साथ मानसिक रति कर सकती है तो वह तो सारे भौतिक संसाधन भी जुटा देगी |फिर वह साधक समाज में क्यों रहेगा |इसलिए अधिकतर मामलों में सच जाने बगैर लोग भ्रम में ही होते हैं |अधिकतर अप्सरा /यक्षिणी साधना के चक्कर में समय बर्बाद करते हैं और कभी कभी विपरीत परिणाम भी पाते हैं क्योकि किसी को वश में करने के प्रयास में जरा सी भी गलती हुई नहीं की नुकसान बहुत अधिक हो जाता है |नए साधकों के लिए तो इन्हें प्रसन्न कर पाना सिद्ध कर पाना लगभग असंभव सा ही है |दावे कोई कुछ करे पर यह एक कठिन काम है |.................................हर हर महादेव

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