Tuesday 12 September 2017

कैसे समाप्त हो वशीकरण का प्रभाव

कैसे निष्क्रिय करें वशीकरण की क्रिया
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आज के समय में सबसे अधिक दुरुपयोग अगर किसी तांत्रिक विधा का हुआ है तो वह वशीकरण का है |दुसरे स्थान पर कष्ट देने अथवा अपनी समस्या दुसरे को देने के प्रयोग आते हैं |लोग बिना किसी गंभीर कारण के ,शारीरक आकर्षण ,क्षणिक लगाव ,एकतरफा प्यार आदि तक में वशीकरण के टोटके कर रहे ,तांत्रिकों से क्रिया करवा दे रहे ,खुद प्रयोग कर रहे |अक्सर असफल होने पर भी स्वार्थ की बावना इतनी प्रबल है की खुद का स्वार्थ देखा जा रहा ,सामने वाले की कोई नहीं सोचता |अपने पति -पत्नी ,बेटे -बेटी ,परिवार -खानदान तक तो ठीक है पर लोग किसी दुसरे के पति ,पत्नी ,बेटा ,बेटी को वश में करने के लिए वशीकरण का सहारा ले रहे भले उनका कोई सीधे सम्बन्ध न हो |किसी का घर टूटे ,किसी का जीवन खराब हो ,बच्चे अनाथ जैसा जीवन जीने को विवश हों ,किसी की इज्जत जाए ,या कोई क्षति हो लोग नहीं सोच रहे केवल खुद का स्वार्थ देख रहे |इसमें आग में घी सा काम कर रहे तथाकथित तांत्रिक और बाबा ,जो खुले आम लव -वशीकरण स्पेस्लिस्ट बन टोटके बता रहे ,अपना उल्लू सीधा कर रहे |
भले सब पर यह क्रियाएं काम न करें किन्तु कुछ कमजोर ग्रह स्थितियों वाले ,कमजोर मानसिक बल वाले ,कमजोर कुलदेवता /देवी वाले अथवा कमजोर ईष्ट वाले या पतले खून वाले और डरपोक प्रकृति के लोग इन टोटकों से प्रभावित भ हो जा रहे |इसके कारण इनका जीवन खराब हो रहा |मान मर्यादा भूल कर ये ऐसी गलतियाँ कर जा रहे जो इन्हें बाद में कष्ट दे ,तत्काल तो समझ नहीं आता | हमारे पास अक्सर किसी की पत्नी ,किसी के पति ,किसी के पिता ,किसी की माता अथवा किसी के रिश्तेदार संपर्क करते रहते हैं की उनके अमुक पर वशीकरण जैसा प्रभाव लग रहा |अमुक का व्यवहार ऐसा हो गया या अमुक इससे जुड़ अपनी जिम्मेदारियां भूल रहा या अमुक इनके प्रति अन्याय इसके लिए कर रहा आदि आदि |इन सबको देखते हुए ही हमें यह लेख लिखने की प्रेरणा मिली की ,यदि लगे की किसी पर वशीकरण का प्रभाव है तो उसे कैसे समाप्त करें |कैसे किसी को किसी के वशीकरण के चंगुल से निकाले |आज के समय में वशीकरण करने से अधिक वशीकरण से बचाने की जरूरत लग रही ,जिससे वशीकरण जैसी एक अच्छी विधा का दुरुपयोग और प्रभाव सीमित किया जा सके |वशीकरण के प्रभाव कम अथवा समाप्त करने के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं -
. यदि लगे की किसी पर वशीकरण जैसी कोई क्रिया हुई है या पता चले की वशीकरण किया गया है तो अगर बहुत अधिक प्रभाव नहीं समझ आता तो ३ से ६ महीने इन्तजार किया जा सकता है |सामान्यतया टोटकों आदि का प्रभाव ३ से ६ महीने में समाप्त हो सकता है अथवा उनकी शक्ति कम हो जाती है |
. वशीकरण अथवा किसी भी अभीचार की संभावना पर सबसे पहले कुलदेवता /देवी पर ध्यान देना चाहिए और देखना चाहिए की उनकी पूजा आदि ठीक से हो रही है या नहीं |उनकी प्रसन्नता हेतु अपने कुल परंपरा अनुसार प्रयास करने चाहिए |इससे उन्हें बल भी मिलेगा और वे प्रसन्न हो सुरक्षा भी करेंगे |
. उच्च शक्ति द्वारा वशीकरण के प्रभाव अधिक दिनों और समय तक स्थायी होते हैं इसलिए इन्हें हटाना या निष्क्रिय करना भी कठिन होता है |सामान्य टोटकों अथवा ओझा -गुनिया द्वारा इन्हें दूर से हटा पाना मुश्किल होता है |ऐसी स्थिति में वशीकृत व्यक्ति के नजदीकी व्यक्ति द्वारा उग्र उच्च शक्ति की उपासना की जाती चाहिए जो शिव /काली कुल से सम्बंधित हो |इससे दो तरह की प्रतिक्रिया होती है ,एक तो वशीकरण जैसे अभिचार का प्रभाव कम होता है ,दुसरे कुलदेवता /देवी को बल मिलता है |
. यदि किसी स्त्री -पुरुष या युवक -युवती पर वशीकरण हुआ है और वह इसे जानता है तथा इसके प्रभाव को हटाना चाहता है तो उसे काली यन्त्र [ स्त्री के लिए ]अथवा बगलामुखी यन्त्र [पुरुष के लिए ] सिद्ध साधक से बनवाकर ताबीज में धारण कराना चाहिए और उससे विपरीत प्रत्यंगिरा का पाठ कराना चाहिए |
५. यदि किसी पर वशीकरण का प्रभाव हो और वह इतना वशीभूत हो की कोई उपाय न करना चाहे या न माने या वशीकरण कर्ता के विरुद्ध कुछ न सुनना चाहे तो उसके अनजाने में उसके तकिये /बिस्तर के नीचे काली कवच /ताबीज रखें और उसे काली अथवा दुर्गा कवच अथवा काली सहस्त्राक्षरी के कम से कम ११ पाठ से अभिमंत्रित जल पीने के पानी में मिलाकर दें |संभव हो तो उच्चाटन मंत्र से अभिमंत्रित जल भी पीने को दें |घर का कोई सदस्य अथवा पति -पत्नी जो भी उससे सम्बंधित हो वह विपरीत काली प्रत्यंगिरा का पाठ कम से कम २१ बार रोज करते हुए वशीभूत व्यक्ति का ध्यान करे और कामना रखे की सम्बन्धित व्यक्ति पर से अभिचार प्रभाव समाप्त हो |
. यदि किसी को वशीकरण की क्रिया कर कुछ खिला -पिला दिया गया है तो किसी अच्छे जानकार के पास ले जाएँ और खिलाया निकलवाने का प्रयास करें |अगर व्यक्ति तैयार न हो जाने के लिए तो किसी तांत्रिक से उच्चाटन मंत्र से लौंग अभिमंत्रित करा उसके खाने में मिला दें उपर से ,खिलाया वस्तु निकल भी सकता है अथवा उसका प्रभाव समाप्त हो सकता है |यह भी सम्भव न हो तो काली की पूजा कर दो लौंग चढ़ा उसके सामने बैठ ११ बार काली कवच या ह्रदय स्तोत्र या सहस्त्राक्षरी का पाठ करें और सम्बन्धित व्यक्ति के खाने पीने में उपर से मिला दें |यह क्रिया ११ दिन करें |खिलाये पिलाए का प्रभाव समाप्त हो जाएगा या कम हो जाएगा |
७. यदि किसी अपने पर वशीकरण की क्रिया हुई हो और वह दूर चला गया हो किसी के वशीभूत होकर या दूर जाने लगा हो तो उससे सम्बंधित व्यक्ति को स्वयं श्यामा मातंगी यन्त्र /कवच धारण करना चाहिए और भगवती काली के मन्त्र का जप करते हुए सम्बंधित व्यक्ति का ध्यान करना चाहिए |यदि वशीभूत व्यक्ति से मुलाक़ात सम्भव हो तो उसे १०८ महाविप्रीत काली प्रत्यंगिरा पाठ से अभिमंत्रित जल अथवा लौंग -इलायची किसी माध्यम से खिलाना पिलाना चाहिए |
. वशीकरण प्रभाव समाप्ति हेतु हमारे केंद्र से निर्मित चमत्कारी दिव्य गुटिका की रोज पूजा करें और उसके सामने २ लौंग और एक इलायची चढ़ाएं |इसके बाद २१ बार काली ह्रदय स्तोत्र अथवा काली कवच अथवा काली सहस्त्राक्षरी अथवा चंडी कवच अथवा महा विपरीत प्रत्यंगिरा का पाठ करें |यदि दुर्गा नवार्ण मन्त्र का जप करें तो कम से कम 5 माला करें |जप या स्तोत्र पाठ याद हों तथा पाठ समय ध्यान व्यक्ति पर हों |ऐसा लगातार २१ दिन करे |इसके बाद लौंग इलायची सम्बंधित व्यक्ति के भोज्य पदार्थ में ऊपर से पीसकर मिलाकर धीरे -धीरे कुछ दिनों में खिला दें |दिव्य गुटिका में सिन्दूर रोज चढ़ाएं और पूजा बाद उसमे से थोडा सिन्दूर ले सम्बंधित व्यक्ति के कपडे या शरीर पर लगा दें |वशीकरण प्रभाव समाप्त अथवा कम हो जाएगा |यह क्रिया पति -पत्नी अथवा माता -पिता और उनके बच्चों के लिए उपयोगी है |
. किसी सिद्ध प्राचीन काली मंदिर में शनिवार को सुबह जाएँ ,जहाँ रोज पूजा अर्चना जरुर होती हो और शिवलिंग की स्थापना भी जरुर हो मंदिर में |एक लुटिया जल साथ ले जाएँ |देवी का पूजन कर उनसे अपनी समस्या व्यक्त करें |लुटिया का जल वहां किसी स्थान पर ऐसे रखें की कोई उसे छुए नहीं |इस हेतु वहां के पुजारी को कुछ दान दक्षिणा देकर सहमत कर सकते हैं |२४ घंटे वह लुटिया वहां रहने दें |दुसरे दिन वहां जाकर पुनः पूजन कर लुटिया जल सहित घर ले आयें |इस जल को वशीभूत व्यक्ति को रविवार और मंगलवार उसके पीने के पानी में एक -दो बूँद मिलाकर दें |कुछ दिनों में वशीकरण का प्रभाव कम अथवा समाप्त हो जाएगा |
१०. किसी सिद्ध प्राचीन काली अथवा भैरव मंदिर में पता करते रहें की वहां कब कब हवन होता है |वहां के पुजारी को दान दक्षिणा देकर हवन भस्म प्राप्त करें |इस भस्म को वशीभूत के शरीर -कपडे पर अथवा तकिये के नीचे रखें या लगाएं |कम तीव्रता के वशीकरण प्रभाव समाप्त हो जायेंगे |
उपरोक्त तरीकों के अतिरिक्त और भी अनेकानेक तरीके हर पद्धति में हैं और जिनका प्रयोग तांत्रिक ऐसे मामलों में करते रहे हैं |उपरोक्त तरीके सामान्य लोगों के करने योग्य हैं अतः इन्हें यहाँ स्थान दिया गया है |तांत्रिक तो स्वयं अपने तरीके जानते हैं और वे उनका प्रयोग करेंगे ,जब आप उनसे संपर्क करेंगे तो |..................................................हर-हर महादेव


विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

Sunday 10 September 2017

वशीकरण कब और क्यों काम नहीं करता

क्यों और कब काम नहीं करता वशीकरण प्रयोग
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बहुत से लोग कहते मिलते हैं वशीकरण काम नहीं किया |कुछ कहते हैं वशीकरण जैसा कुछ नहीं होता या पूछते मिलते हैं क्या सचमुच वशीकरण होता है |इनके कारण हैं |वशीकरण हमेशा हो ही जाए या वशीकरण क्रिया सफल ही हो जाए जरुरी नहीं होता |कोई भी षट्कर्म हो उसकी सफलता -असफलता कई कारकों पर निर्भर करती है |ऐसा ही वशीकरण के साथ भी है |यह सही है की किसी को भी वशीभूत किया जा सकता है ,किन्तु यह तभी संभव होता है जब उसे वशीभूत करने वाले की शक्ति उससे अधिक हो |शक्ति संतुलन करता की ओर होने पर वशीकरण होगा और शक्ति संतुलन लक्षित व्यक्ति की ओर होने पर वशीकरण नहीं होगा |इसी तरह वशीकरण की पूर्ण तकनिकी का ज्ञान न हो ,केवल पदार्थ या मंत्र उपयोग किये जाए तो भी वशीकरण नहीं होगा चाहे जितना मंत्र जप किया जाए |इस प्रकार वशीकरण आदि कई प्रकार के कारक पर निर्भर है |
वशीकरण किसी विवाहित स्त्री पर किया जा रहा हो और वह स्त्री पूर्ण पतिव्रता हो तो सामान्यतया वशीकरण काम नहीं करता ,जबकि यदि स्त्री का स्वभाव चंचल या विचलित होने वाला हो तो वशीकरण कार्य कर जाएगा |कोई पुरुष बहुत मजबूत आत्मबल का हो ,बेहद आत्मविश्वासी और निडर हो तो उस पर सामान्य वशीकरण काम नहीं करेगा | कुछ विशेष ज्योतिषीय योगों वाले लोगों अथवा विशेष लग्न के लोगों पर भी सामान्य वशीकरण की क्रियाएं काम नहीं करती |कोई कन्या बहुत मजबूत आत्मबल की ,निडर स्वभाव की ,चारित्रिक रूप से मजबूत हो तो उस पर सामान्य वशीकरण की क्रियाएं काम नहीं करेंगी |ऐसा ही किसी युवक के साथ होगा ,जबकि चारित्रिक रूप से कमजोर ,भयालू ,कमजोर आत्मबल के युवक -युवती सामान्य वशीकरण की क्रियाओं से प्रभावित हो जायेंगे |
किसी व्यक्ति के ईष्ट मजबूत हों ,प्रबल हों ,व्यक्ति उनसे गहरा लगाव रखता हो ,किसी के ईष्ट उग्र शक्ति हों और व्यक्ति उनकी नियमित आराधना -पूजा करता हो तो सामान्य वशीकरण की क्रियाएं उसपर काम नहीं करेंगी |किसी व्यक्ति अथवा युवक -युवती के कुलदेवता /देवी प्रसन्न हों उसके परिवार पर ,उनकी पूजा नियमित नियमानुसार हो रही हो और वह उसके परिवार की रक्षा कर रहे हों तो भी वशीकरण आदि षट्कर्म सामान्यतया काम नहीं करेंगे ,क्योकि कुलदेवता और कुलदेवी अधिकतर शिव परिवार से सम्बंधित होते हैं और इनके प्रसन्न रहने पर कोई अभिचार काम नहीं करता |यह परिवार व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं तथा किसी वशीकरण आदि क्रिया के लिए बाधा उत्पन्न कर उसे असफल कर देते हैं |यदि किसी परिवार में किसी उग्र शक्ति दुर्गा ,काली ,भैरव आदि की स्थापना हो तो वहां वशीकरण आदि क्रिया काम नहीं करती |किसी परिवार पर कोई आत्मिक शक्ति प्रसन्न हो तो वह किसी षट्कर्म के प्रति परिवार को विभिन्न तरीके से सचेत कर देती है |
उपरोक्त प्रकार के लोगों पर वशीकरण की क्रिया करने के लिए बेहद सक्षम साधक ,प्रबल तकनीक और पद्धति की आवश्यकता होती है |यहाँ खिलाने -पिलाने - लगाने -सुंघाने की वस्तुएं काम करती हैं किन्तु उन्हें भी तीव्र मन्त्रों और पद्धतियों से अभिमंत्रित ,क्रियाशील करना पड़ता है |सामान्य टोटकों ,मन्त्रों ,तरीकों से यहाँ काम नहीं बनता और अक्सर वशीकरण असफल हो जाता है अथवा इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता |यहाँ प्रयोग किये जाने वाले मंत्र भी सामान्य न होकर विशेष होते हैं जिन्हें पहले विशिष्ट अनुष्ठान पर सिद्ध करना होता है और यह विशेष तीव्र अथवा उग्र शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं |यहं ऐसी पद्धति प्रयोग में लाइ जाती है जो विशेष ग्रहों के प्रभाव होने पर भी क्रिया करे ,कुलदेवता -देवी की शक्ति को काट सके ,प्रबल ईष्ट होने पर भी प्रभाव दे अथवा किसी शक्ति की सूचना पर भी अपना काम कर जाए |यह सब सामान्य लोगों के वश का अक्सर नहीं होता |विशेष साधक अथवा व्यक्ति ही यह सब कर सकता है ,अतः अक्सर सामान्य क्रियाएं उपरोक्त प्रकार के लोगों पर प्रभाव नहिन्दाल पाती और असफलता हाथ लगने से लोग कहने लगते हैं की वशीकरण काम नहीं किया |
वशीकरण के लिए उपयुक्त शक्ति का प्रयोग न हो ,लक्षित व्यक्ति तक पहुँचने की सुविधा न हो ,लक्षित व्यक्ति उपरोक्त किसी प्रकार से सक्षम हो तो वशीकरण काम नहीं करेगा |किसी पर कोई उग्र अभिचार पहले से किया गया हो |किसी प्रकार की वशीकरण आदि क्रिया पहले से की गयी हो तो भी वशीकरण की क्रिया काम नहीं करेगी |किसी पर वशीकरण आदि की क्रिया पहले से हो या कुछ खिलाया -पिलाया गया हो अभिमंत्रित कर तो पहले उसे उदासीन अथवा निष्क्रिय किये बिन कोई नयी क्रिया उस पर काम नहीं करेगी या अगर काम भी करेगी तो उसका मानसिक संतुलन बना रहेगा इसमें संदेह हो जाएगा ,क्योकि कोई भी क्रिया व्यक्ति के मष्तिष्क को प्रभावित करता है |किसी पर अनेक क्रिया कर दी जाए तो व्यक्ति उलझ जाएगा ,अस्त व्यस्त हो जाएगा और असंतुलित हो सामान्य जीवन नहीं जी पायेगा |

वशीकरण की पूर्ण तकनीक का ज्ञान न हो ,मंत्र आदि के उच्चारण ,पद्धति का ज्ञान न हो तो भी वशीकरण क्रिया काम नहीं करेगी |इन सब बातों का ध्यान रखने पर ही वशीकरण सफल हो सकता है अन्यथा असफल हो जाता है और काम नहीं करता |अक्सर ऐसे ही असफल लोग जो उपरोक्त बात नहीं जानते ,उपरोक्त कारण नहीं समझते ,शक्ति संतुलन नहीं पकड पाते ,कहते मिलते हैं की सब धोखा है ,कोई वशीकरण नहीं होता ,वशीकरण आदि काम नहीं करता आदि आदि |यद्यपि इस मार्ग में धोखे तो बहुत हैं और अक्सर धोखे तब मिलते हैं जब व्यक्ति खुद कुछ न करना चाहे और उम्मीद करता है की तांत्रिक उनका काम कर दे और वे कुछ पैसे देकर किसी को वशीभूत करा लें |पैसे लेने के बाद किसने क्या किया कोई नहीं जानता ,अगर कुछ करता भी है तो उपरोक्त वशीकरण में बाधक कारणों के अतिरिक्त तांत्रिक का कोई मानसिक जुड़ाव भी लक्ष्य के प्रति नहीं होता और दूरी भी होती है ,इस कारण या तो वह बहुत सक्षम अनुष्ठान करे तब सफल हो या खुद कहीं शामिल हो तब |जबकि सामान्यतया इतना न कोई देता है न कोई करता है |इसलिए भी वशीकरण मुश्किल हो जाता है ||अतः अगर खुद प्रयास किया जाए तो बेहतर है |.....[[ अगला अंक - कैसे निष्क्रिय करें वशीकरण की क्रिया को ]]...........................................हर-हर महादेव

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वशीकरण :: भ्रम या सच

क्या सचमुच वशीकरण होता है
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हमने अपने पहले के लेखों में वशीकरण पर बहुत कुछ लिखा है ,जैसे वशीकरण क्या है ,,कैसे कार्य करता है वशीकरण ,, वशीकरण की तकनीक कैसी होती है ,वशीकरण के सूत्र -सिद्धांत -कार्यप्रणाली क्या हैं ,क्यों असफल होती है वशीकरण की क्रिया ,,आदि आदि |आज के अंक में हम देखते हैं की क्या सचमुछ वशीकरण होता है ,जो की एक पाठक का प्रश्न रहा है ,अतः इसे हम आज विश्लेषित करने का प्रयास करते हैं | तंत्र ,अध्यात्म और सामान्य जनों में वशीकरण एक जाना पहचाना नाम है |पर क्या सचमुच वशीकरण ,मोहन ,आकर्षण आदि होता है ,यह प्रश्न बहुत से लोग करते हैं या यह मात्र भ्रम है |शास्त्रों और जन सामान्य की कथाओं ,उक्तियों में तो वशीकरण का क्षेत्र बहुत व्यापक है |देवता ,ईष्ट से लेकर सामान्य मनुष्य तक को वशीभूत करने के प्रयोग ,तरीके शास्त्रों में दिए गए हैं |बहुत से लोग खुद यह प्रयोग करते हैं ,करवाते हैं अथवा तांत्रिक आदि की मदद लेते हैं |यहाँ वहां इसके लिए दौड़ते ,प्रयास करते हैं |अगर वशीकरण जैसी कोई विद्या नहीं तो फिर क्यों इतना इसका प्रचार है ,क्यों लोग ऐसा प्रयास करते हैं |क्या केवल सुनकर ?या केवल पढकर |
तंत्र आदि गुह्य विद्याओं के शास्त्रों में लगभग सभी धर्मों में षट्कर्म जैसी विद्याएँ पाई जाती हैं | इनमे से ही एक विद्या वशीकरण भी है |वशीकरण ,सम्मोहन के ही समान कार्य करता है किन्तु इसमें व्यक्ति पूरे होशोहवास में सबकुछ जानते बूझते खुद ऐसी क्रियाएं और कार्य करता है जैसा उसे वशीभूत करने वाला चाहता है |वास्तव में यह एक विद्या तो है किन्तु अधिकांश लोगों के लिए वशीकरण असफल हो जाती है |कुछ लोगों के लिए सफल भी होती है |[ क्यों असफल हो जाती है वशीकरण की क्रिया - इसके लिए हमारे ब्लॉग पर इसी नाम का लेख देखें ].वशीकरण के नाम पर ही बहुत से लोग छद्म तांत्रिकों अथवा सोसल मिडिया के स्वयंभू बाबाओं द्वारा लुटे भी जाते हैं |इसकी बहुतायत में असफलता ,इसके नाम पर हो रहे लूट ,इसके तकनीक का ज्ञान न होने के कारण बहुत से लोग यह मानने लगते हैं की वशीकरण नहीं होता |या प्रश्न करने लगते हैं ,क्या सचमुच वशीकरण होता है |आधुनिक लोग तो किसी भी षट्कर्म जैसे शन्ति ,उच्चाटन ,विद्वेषण ,वशीकरण ,आकर्षण ,मोहन आदि के अलावा कर्मकांड ,शास्त्रीय पूजा पाठ तक को नहीं मानते |
तंत्र ,अध्यात्म आदि का मूल उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है ,किन्तु जब तक भौतिक जीवन सफल न हो मोक्ष अथवा मुक्ति की तरफ व्यक्ति संतुष्टिपूर्वक नहीं बढ़ पाता |अतः ज्ञानियों ,ऋषियों ने भौतिक जीवन में सफलता ,किसी प्रकार के विक्षोभ के निवारण ,दाम्पत्य जीवन की सफलता ,मानव मन के भटकने पर उसके नियंत्रण ,गलत संगत आदि से बचाने ,कशों ,दुखों ,विभिन्न बाधाओं को उच्चाटित करने अथवा भगाने ,शान्ति बनाये रखने के लिए ऐसे तरीके ,पद्धतियाँ ,प्रयोग बनाए जिससे उपरोक्त उद्देश्य पूरे हों और व्यक्ति अथवा लोग अपने भौतिक जीवन में संतुष्ट ,सुखी होते हुए अंततः मुक्ति मार्ग पर बिन चिंता बढ़ सकें |इन प्रयोगों ,क्रियाओं को छः भागों में बांटकर इन्हें षट्कर्म का नाम दिया गया |जैसा उद्देश्य वैसा विशिष्ट कर्म |वशीकरण भी एक ऐसा ही कर्म है और इसी के अंतर्गत आकर्षण और मोहन भी आते हैं |
षट्कर्म हो अथवा पूजा -पाठ ,साधना -अनुष्ठान ,कर्मकांड ,सब प्रकृति और ब्रह्माण्ड के विज्ञान पर आधारित हैं और सबके अपने नियम हैं जिससे एक विशेष प्रकार की शक्ति अथवा ऊर्जा उत्पन्न होती है और उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती है |भौतिक रूप से किये जा रहे कार्य तरंग में बदल उद्देश्य पूर्ण करते हैं |ऐसा ही वशीकरण में है |यह भी तरंगों का विज्ञान है |इस क्रिया में व्यक्ति पूर्ण चैतन्य होने पर भी दुसरे के प्रति वशीभूत होता है और कभी कभी ऐसा तक कर जाता है जो उसके स्वभाव तक के बिलकुल विपरीत होता है |वशीकरण में तांत्रिक वस्तुओ की ऊर्जा और तरंगों को मानसिक शक्ति और निश्चित भाव के साथ एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपित किया जाता है |जब व्यक्ति विशेष के लिए प्रबल मानसिक बल से तरंगों और उर्जा का प्रक्षेपण किया जाता है तो यह लक्षित व्यक्ति के ऊर्जा परिपथ ,मष्तिष्क और अवचेतन मन को प्रभावित करता है और वहा परिवर्तन होने लगता है ,इसमें तंत्रिकीय वस्तुए ऊर्जा बढाने वाली ,परिवर्तन करने वाली ,वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली होती है |जबकि लक्ष्य के कपडे ,बाल ,चित्र या उपयोग की हुई वस्तुए उसके शरीर में तरंगों को पकड़ने और ग्रहण करने का माध्यम बन जाते है |यहाँ मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति होती है |मंत्र और हवनीय द्रव्य ऊर्जा उत्पन्न करने वाले ,लक्ष्य पकड़ने वाले और कार्य से किसी ऊर्जा शक्ति को जोड़ने वाले होते है |वशीकरण केवल मंत्र से ,,मंत्र के साथ व्यक्ति की उपयोग की हुई वस्तुओ के प्रयोग के साथ ,अथवा अभिमंत्रित वास्तु के खिलाने-पिलाने से भी हो सकता है |
वशीकरण में कई प्रकार की पद्धतियाँ कार्य में लाइ जाती है ,कुछ केवल वस्तुगत और शारीरिक रसायनों के बल पर कार्य कर जाती हैं ,कुछ में मंत्र शक्ति आवश्यक हो जाती है ,कुछ में मानसिक बल और एकाग्रता की प्रमुखता होती है |किसी के लिए कभी भी कोई भी प्रकार की पद्धति सिद्धिप्रद नहीं होती अर्थात एक ही प्रकार की पद्धति या क्रिया सबके लिए सिद्धिप्रद नहीं होती |इस सम्बन्ध में विषय पर अच्छी पकड़ बहुत मायने रखती है |यह सब उर्जा का खेल है जिसमे एक व्यक्ति द्वारा दुसरे के उर्जा उर्जा परिपथ और मष्तिष्क को प्रभावित करके उसे अपने वशीभूत कर लिया जाता है |ईश्वर को भी अपने मानसिक बल-मंत्रादी से आकर्षित कर उसके अनुकूल क्रियाएं कर उसे अपने सानिध्य में कर लेना या उसे किसी कार्य को करने पर मजबूर कर देना वशीकरण ही है और फिर उसी ईश्वर से किसी मनुष्य को भी वशीभूत कराया जा सकता है |लगभग यही तकनीक मंत्र प्रयोग की होती है |
वशीकरण अथवा किसी भी षट्कर्म के पीछे एक पूर्ण वैज्ञानिक तकनीक होती है |यह आधुनिक विज्ञान सी भी हो सकती है भिन्न भी ,किन्तु यह फिर प्रकृति और ब्रह्माण्ड की ऊर्जा संरचना का विज्ञान होगी |यदि किसी के वस्त्र या बाल के साथ प्रबल मानसिक शक्ति से तांत्रिक वस्तुओ का सम्मिश्रण कर विशिष्ट तांत्रिक क्रियाए की जाती है तो उत्पन्न उर्जा तरंगों में परिवर्तित हो मानसिक शक्ति और भावो के प्रभाव से लक्षित व्यक्ति को प्रभावित करती है ,तरंगों का ग्रहणकर्ता लक्षित होता है क्योकि इन तरंगों के साथ लक्षित के बाल या वस्त्र [गन्धादि]की तरंगे संयुक्त होती है ,[जैसे रिसीवर और तरंग प्रक्षेपक ] |इनके साथ प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति ,प्रयोग की गयी वास्तु और प्रक्रिया की ऊर्जा ,भावनात्मक आदेश संयुक्त होता है ,फलतः इन तरंगों के ग्रहण होने पर लक्षित व्यक्ति के स्वभाव ,विचार ,पसंद-नापसंद में परिवर्तन होने लगते है ,उसमे शारीरिक रासायनिक परिवर्तन होने से विशिष्ट गंधों ,हार्मोनो ,फेरोमोंस के प्रति संवेदनशीलता परिवर्तित हो जाती है और वह प्रयोगकर्ता के गंध ,गुण ,स्वभाव की और आकृष्ट होने लगता है ,उसे प्रयोगकर्ता के साथ आनंद और सुख महसूस होता है अतः वह उसके अनुकूल आचरण करने लगता है ,प्रयोगकर्ता का साथ ,उसके विचार उसे अच्छे लगने लगते है ,उसका साथ रहना उसे सुखकारक ,आनंददायक लगता है ,उसके विचार बार बार आते है ,इस सुख को पाने के लिए वह उसकी बात मानने लगता है और वशीभूत रहता है |

यदि कोई क्रिया कर्म बनाए गए हैं तो उनके कुछ कारण ,उद्देश्य और तकनीक होती हैं |वशीकरण का उद्देश्य मूलतः किसी अपने को बिगड़ने अथवा भटकने से बचाकर सुधारना रहा है ,किन्तु इसका अधिकतर दुरुपयोग हुआ और फिर जानकार ज्ञानियों ने अपने ज्ञान खुद में सीमित कर लिए |समय क्रम में तकनीक ज्ञान कम होती गयी और मंत्र आदि ही लोगों को उपलब्ध रहे |इस कारण सफलता कम होती गयी |इस प्रकार वशीकरण होता तो जरुर है ,जरूरत सक्षम तरीका पाने अथवा सक्षम ज्ञानी पाने की होती है |सही तकनिकी ज्ञान ,पद्धति पता हो तो वशीकरण संभव है और वशीकृत किया जा सकता है किसी को भी |सामान्यतया कुछ बार वशीकरण कुछ लोगों पर काम नहीं करती ,इसके अपने कारण हैं |कब और क्यों वशीकरण कार्य नहीं करता यह जानने के लिए आपको हमारा अगला लेख देखना होगा |हमेशा और किसी भी स्थिति में वशीकरण सफल हो जरुरी नहीं होता |वशीकरण कुछ बार असफल भी होता है और कुछ लोगों पर सामान्य अवस्था में काम भी नहीं करता |अतः ऊर्जा संतुलन का ध्यान रखना पड़ता है |इन्ही असफलताओं के कारण बहुत से लोग कहते मिलते हैं वशीकरण नहीं होता |.......................................................हर -हर महादेव 

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Friday 8 September 2017

कैसे करें ध्यान की शुरुआत

कैसे करें ध्यान की शुरुआत   
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ध्यान की शुरुआत के पूर्व की क्रिया- 'मैं क्यों सोच रहा हूं' इस पर ध्यान दें।' हमारा 'विचार' भविष्य और अतीत की हरकत है। विचार एक प्रकार का विकार है। वर्तमान में जीने से ही जागरूकता जन्मती है। भविष्य की कल्पनाओं और अतीत के सुख-दुख में जीना ध्यान विरूद्ध है।

स्टेप- 1 : ओशो के अनुसार ध्यान शुरू करने से पहले आपका रेचन हो जाना जरूरी है अर्थात आपकी चेतना (होश) पर छाई धूल हट जानी जरूरी है। इसके लिए चाहें तो कैथार्सिस या योग का भस्त्रिका, कपालभाति प्राणायाम कर लें। आप इसके अलावा अपने शरीर को थकाने के लिए और कुछ भी कर सकते हैं।

स्टेप 1 : शुरुआत में शरीर की सभी हलचलों पर ध्यान दें और उसका निरीक्षण करें। बाहर की आवाज सुनें। आपके आस-पास जो भी घटित हो रहा है उस पर गौर करें। उसे ध्यान से सुनें।

स्टेप 3 : फिर धीरे-धीरे मन को भीतर की ओर मोड़े। विचारों के क्रिया-कलापों पर और भावों पर चुपचाप गौर करें। इस गौर करने या ध्यान देने के जरा से प्रयास से ही चित्त स्थिर होकर शांत होने लगेगा। भीतर से मौन होना ध्यान की शुरुआत के लिए जरूरी है।

स्टेप 4 : अब आप सिर्फ देखने और महसूस करने के लिए तैयार हैं। जैसे-जैसे देखना और सुनना गहराएगा आप ध्यान में उतरते जाएंगे।

ध्यान की शुरुआती विधि प्रारंभ में सिद्धासन में बैठकर आंखें बंद कर लें और दाएं हाथ को दाएं घुटने पर तथा बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखकर, रीढ़ सीधी रखते हुए गहरी श्वास लें और छोड़ें। सिर्फ पांच मिनट श्वासों के इस आवागमन पर ध्यान दें कि कैसे यह श्वास भीतर कहां तक जाती है और फिर कैसे यह श्वास बाहर कहां तक आती है।

पूर्णत: भीतर कर मौन का मजा लें। मौन जब घटित होता है तो व्यक्ति में साक्षी भाव का उदय होता है। सोचना शरीर की व्यर्थ क्रिया है और बोध करना मन का स्वभाव है।

ध्यान की अवधि उपरोक्त ध्यान विधि को नियमित 30 दिनों तक करते रहें। 30 दिनों बाद इसकी समय अवधि 5 मिनट से बढ़ाकर अगले 30 दिनों के लिए 10 मिनट और फिर अगले 30 दिनों के लिए 20 मिनट कर दें। शक्ति को संवरक्षित करने के लिए 90 दिन काफी है। इसे जारी रखें।

सावधानी ध्यान किसी स्वच्छ और शांत वातावरण में करें। ध्यान करते वक्त सोना मना है। ध्यान करते वक्त सोचना बहुत होता है। लेकिन यह सोचने पर कि 'मैं क्यों सोच रहा हूं' कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है। सिर्फ श्वास पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि 20 मिनट के लिए मैं अपने दिमाग को शून्य कर देना चाहता हूं।

अंतत: ध्यान का अर्थ ध्यान देना, हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी है। शरीर पर, मन पर और आस-पास जो भी घटित हो रहा है उस पर। विचारों के क्रिया-कलापों पर और भावों पर। इस ध्यान देने के जारा से प्रयास से ही हम अमृत की ओर एक-एक कदम बढ़ सकते है।

ध्यान और विचार जब आंखें बंद करके बैठते हैं तो अक्सर यह शिकायत रहती है कि जमाने भर के विचार उसी वक्त आते हैं। अतीत की बातें या भविष्य की योजनाएं, कल्पनाएं आदि सभी विचार मक्खियों की तरह मस्तिष्क के आसपास भिनभिनाते रहते हैं। इससे कैसे निजात पाएं? माना जाता है कि जब तक विचार है तब तक ध्यान घटित नहीं हो सकता।

अब कोई मानने को भी तैयार नहीं होता कि निर्विचार भी हुआ जा सकता है। कोशिश करके देखने में क्या बुराई है। ओशो कहते हैं कि ध्यान विचारों की मृत्यु है। आप तो बस ध्यान करना शुरू कर दें। जहां पहले 24 घंटे में चिंता और चिंतन के 30-40 हजार विचार होते थे वहीं अब उनकी संख्या घटने लगेगी। जब पूरी घट जाए तो बहुत बड़ी घटना घट सकती है।………………………………………………………………………..हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

ध्यान साधना से संभव है अलौकिक कार्य

ध्यान साधना से संभव है अलौकिक कार्य      
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परामनोविज्ञान के वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क में छुपे हुए रहस्यमयी शक्तियों पर शोध करते हुये पता लगाया कि मनुष्य के अवचेतन मन मे अलौकिक, अविश्वसनीय और अकल्पनीय शक्तियां विद्यमान है। यदि अवचेतन मन की उन शक्तियों को योग आदि क्रियाओं के द्वारा जागृत कर लिया जाय तो अनेकानेक कौतुकमयी चमत्कार खुद खुद होने लगते हैं जैसे- किसी व्यक्ति के जीवन के गुप्त रहस्यों का पतालगना, मन की बात जान लेना, किसी भी व्यक्ति से मिलते ही उस व्यक्ति के भुत, भविष्य तथा वर्तमान की जानकारी प्राप्त कर लेना या उसके साथ घटने वाली घटनाओं को स्पष्ट देख लेना इत्यादि क्रियायें साधक के जीवन में आकस्मीक होने लगती हैं। ऐसी चमत्कारिक घटनाओं को अतिंद्रिय शक्ति का चमत्कार कहा जाता है।
वैज्ञानिक शोध
अमेरिकी मनोवैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में उठ रही तरंगों पर काफी शोध किया फलस्वरूप वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मन के अन्दर की अवचेतन मन को यदि क्रियाशील बनाया जाय तो बीना किसी आधुनिक उपकरणों तथा बीना किसी संचार 
माध्यमों के भी मन के तरंगों को पढ़ कर किसी भी व्यक्ति के मन के रहस्यों को जाना जा सकता है, तथा एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति के मन पर अपना प्रभाव डाल सकता है और उसे अपने मनोकुल कार्य करने को बाध्य कर सकता है। 
इसी आधार पर मनो वैज्ञानिकों ने अतिंद्रिय शक्तियों से सम्पन्न व्यक्तियों पर परिक्षण कर पता लगाया कि मनुष्य के मस्तिष्क में विचार उत्पन्न होते ही सारे आकाश मंडल में अल्फा तरंगों के रूप मे फैल जातीे है जीसे कोई भी व्यक्ति अपने अंर्तमन को जाग्रत कर उन अल्फा तरंगो को पकड़ कर किस्ी भी व्यक्ति के मन मे उठ रहे विचारों को पढ़ सकता है अथवा हजारों किलोमिटर दुर घट रही घटनाओं को स्पस्ट रूप से देख सकता है तथा भुत भविष्य तथा वर्तमान काल मे भी प्रवेश कर भुतकाल की जानकारी तथा भविष्य में घटने वाली घटनाओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। प्राचीन योग शास्त्रों के अनुसार ध्यान साधना के द्वारा अतिंद्रय शक्तियों को जगाकर मानसिक शक्तियों के माध्यम से दुर दृष्टि, दुरबोध, विचार संप्रेषण एवं भुत भविष्य तथा वर्तमान दर्शन इत्यादि कार्य संपन्न किये जा सकते हैं।................................................................हर-हर महादेव

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