Monday 14 August 2017

नयी जमीन /मकान /दूकान आपको तबाह भी कर सकता है

नया स्थान /मकान बर्बाद कर सकता है आपका जीवन
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यह सुनकर थोडा अजीब भी लग रहा होगा ,थोडा बुरा भी लग सकता है ,पर ऐसा होता है और यह बिलकुल सत्य है की नया स्थान या मकान आपको बर्बाद ,तबाह कर सकता है ,घोर कष्ट में डाल सकता है ,ऐसी समस्याओं में उलझा सकता है जिससे आप चाहकर भी जल्दी न निकल पायें |यह अनुभूत सत्य है और हमने बचपन में किराए के मकान में रहते हुए भी यह अनुभव किया था तथा तंत्र साधना के क्षेत्र में आने के बाद इसके अनेक मामले हमारे सामने आ चुके हैं |बड़े और पुराने शहरों के बहुत से मामले और समस्याएं इन्सी कारण उत्पन्न होते हमने पाया है |इनका विश्लेषण -निरीक्षण करते और कारण खोजते हुए अनेक अनुभव और आभास भी हुए हमें ,यहाँ की शक्तियों से सम्पर्क भी हुए | इन पर प्रयोग करते हुए ही हम इनसे निकलने के तरीके खोज पाए |इसीलिए हमारे मन में यह उत्कंठा हुई की इस पर एक लेख लिखा जाए जिससे हमारे पाठक लाभान्वित हो सकें ,अगर कहीं वह ऐसी परिस्थिति में फंस जाएँ तो |
हर व्यक्ति का सपना होता है की उसका अपना घर ,मकान हो जहाँ वह शान्ति से रह सके |बड़े शहरों में मकान न हो तो लोग फ़्लैट लेने का प्रयास करते हैं |गावों में तो अक्सर अपने मकान होते हैं किन्तु आज के भागदौड़ और रोटी -रोजगार -नौकरी के युग में बहुत से लोग अन्यत्र स्थानांतरित हो रहते हैं तथा वह किराए के मकान में आश्रय लेते हैं |हर व्यक्ति जो भी नया स्थान बनाता है या लेता है जरुरी नहीं की वह वहां सुखी ही रहे |चाहे बड़ी बिल्डिंग के फ़्लैट हों ,मकान /बंगले हों अथवा किराए के मकान /दूकान हो |वहां जाने पर कभी ऐसी भी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है की धीरे -धीरे आपकी आय कम हो जाए अथवा आय -व्यय में असंतुलन उत्पन्न हो जाए ,आपके घर परिवार में कलह का अनावश्यक वातावरण उत्पन्न हो ,तनाव /दबाव ,घुटन महसूस हो ,बच्चे बिगड़ने लगें और उनमे स्वछंदता /स्वेच्छाचारिता उत्पन्न हो अथवा बढ़ जाए ,रहने वालों अथवा बच्चों में व्यसन ,नशे की आदत उत्पन्न हो ,चारित्रिक दोष उत्पन्न हो ,नौकरी /व्यवसाय में उथल पुथल हो ,सहकर्मियों से अनबन हो अथवा अनावश्यक मित्र -सम्बन्धियों से विरोध उत्पन्न हो ,दूरी बन जाए ,जबकि प्रत्याक्स कोई कारण न समझ आये और लगे की अपनी तो कोई कमी या गलती ही नहीं थी |
वास्तव में आपमें कोई कमी होती भी नहीं ,कोई गलती आपकी होती भी नहीं पर फिर भी ऐसा हो जाता है |कभी कभी परिस्थितियां इतनी विकत हो जाती हैं की आपको रास्ता नहीं सूझता ,आपकी आर्थिक स्थिति इस कदर धीरे धीरे बिगडती जाती है की आप सुधार के न उपाय कर पाते हैं और न ही उस स्थान को छोड़ पाते हैं |आपको अनुभव भी हो जाता है की यहाँ आने पर अथवा यह प्रापर्टी लेने पर या यह मकान बनवाने या लेने पर यह समस्या हो रही पर आप उससे मुक्त भी नहीं हो पाते ,वह प्रापर्टी फिर जल्दी बिकती भी नहीं |कभी कभी परिवार में अलगाव की स्थिति भी आने लगती है ,पति- पत्नी के सम्बन्ध बिगड़ते हैं ,हर समय टेंसन होता है जबकि बाहर निकलते ही दिमाग हल्का हो जाता है और अच्छा महसूस होता है |प्रापर्टी दुसरे जगह हो और आप कहीं और हों तब भी इस तरह के प्रभाव आते हैं |कभी कभी तो महसूस तक होता है की यह स्थान ठीक नहीं यहाँ कुछ है ,पर यदि महसूस न हो तब भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं |इनका सबसे बुरा प्रभाव संसाधनों और बच्चों पर पड़ता है और रोग इत्यादि उत्पन्न होते हैं |
इस तरह की समस्याएं गावों में कम होती हैं ,पहाड़ी इलाकों में कम होती हैं ,पारंपरिक खेती वाली जमीनों पर बने रिहायसो में कम होती हैं ,किन्तु पुराने शहरों ,नदी तालाब पाटकर बनी जमीनों पर बने मकानों ,पूर्व के युद्ध आदि क्षेत्रों पर बने मकानों ,नदी /तालाब /बंदरगाह किनारे बने आवासों ,शहर से सटे जंगली क्षेत्रों को काटकर बने मकानों आदि में यह समस्याएं अधिक होती हैं |दिल्ली जैसे पुराने शहरों जहाँ मारकाट अधिक हुए हैं में इस तरह की अधिक समस्याएं है जबकि मुंबई के नए बसे इलाकों में यह समस्याएं कम हैं ,इसी तरह मैदानी इलाकों में यह समस्या अधिक हैं जबकि पहाड़ी इलाकों में यह समस्याएं कम हैं |ऐसा इसलिए हैं की यहाँ की जमीनें या तो दूषित हैं या शुद्ध हैं |हजारों वर्ष किसी नकारात्मक शक्ति की आयु हो सकती है जबकि मकान /घर बनाने वाला नहीं जानता की २० फीट जमीन के नीचे क्या दबा है पुराने कालखंडों के विप्लव के बाद |बिल्डर यह नहीं देखता की जमीन के नीचे क्या है ,उसे जमीन ले बिल्डिंग बना बेचने से मतलब है ,अक्सर मकान के लिए जमीन लेने वाले तक नहीं सोचते कल यहाँ क्या था ,आज मौके की जमीन है ले ली और मकान तैयार करा लिया या फ़्लैट ले लिया |अनुभव तो तब होता है जब वहां जो रहना शुरू करता है |रहने वाले में भी जिसका भाग्य बहुत अच्छा है उसकी गाडी भाग्यवश चलती रहती है और उसके समझ नहीं आता ,दूसरा इस भ्रम में रहता है की अमुक तो इसी मकान या आसपास ही बिलकुल ठीक है फिर यहाँ दोष कैसे हो सकता है |इस भ्रम में वह खुद कष्ट उठाता रहता है पर मानता कुछ नहीं जब तक की बहुत गंभीर समस्या न दिखे |
ऐसा नहीं की केवल किसी जमीन या मकान में रहने से ही समस्या होती है ,कभी कभी किसी जमीन को या मकान को खरीदने मात्र से भी समस्या उत्पन्न होती है क्योकि उस स्थान की नकारात्मक शक्ति को यह अच्छा नहीं लगता और वह समस्याएं उत्पन्न करती है |इस तरह के जमीन /मकान को दोबारा बेचने में भी समस्या आती है और अक्सर इन पर एक बार में कोई मकान /बिल्डिंग बन भी नहीं पाती बल्कि एकाध बार काम किसी न किसी कारण रुकता जरुर है |यदि किसी जमीन में अंदर राख का ढेर हो ,हड्डी दबी हो ,शव दबा हो ,कई लोगों की मृत्यु हुई हो ,कभी वहां कब्रिस्तान ,कारागार ,फांसी का स्थान ,श्मशान ,शवदाह गृह ,पुराना वृक्ष ,ब्रह्म चौकी ,कसाई खाना ,युद्ध क्षेत्र आदि रहा हो अथवा किसी मकान में कई अकाल मौतें हुई हों या किसी क्षेत्र में कभी कोई बड़ी महामारी आई रही हो और बहुत सी मौतें हुई हों तो उस स्थान पर नकारात्मक शक्तियों का वास हो सकता है |चूंकि इनकी सूक्ष्म शरीरों की क्षरण आयु हजारों वर्ष होती है अतः यह अभी भी वहां सक्रीय हो सकते हैं |ऐसे में सदियों से वहां आसपास रहते हुए वह आवास मानते हैं वहां अपना ,और जो उसे लेने की कोशिस करता है या मकान बनाने की कोशिश करता है उसे भी और वहां रहने वालों को भी वह परेशान करने की कोशिश करते हैं |
किसी मकान ,स्थान या दूकान का वास्तु दोष एक अलग मामला है और वहां किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव होना बिलकुल अलग |वास्तुदोष को अपेक्षाकृत जल्दी सुधारा जा सकता है किन्तु नकारात्मक शक्ति को हटाना या निष्क्रिय करना बेहद कठिन होता है |यहाँ तक की अच्छे तांत्रिक के लिए भी यह स्थिति कठिन हो जाती है ,चूंकि इनका अपना एक समूह बन जाता है और स्थानीय शक्तियाँ इनकी सहायता करती हैं |बेहद उच्च स्तर की शक्ति से ही इन्हें हटाया जा सकता है |यदि बहुत गहरे कोई बड़ी शक्ति हो तो उसे हटा पाना संभव नहीं होता अपितु फिर उसे मनाना पड़ता है की वह सम्बन्धित को परेशान न करे अथवा उसे फिर कहीं और स्थान देना पड़ता है |यह शक्तियाँ आस पास के क्षेत्र को भी प्रभावित करती हैं और अगल बगल के मकानों ,आवासों तक अपना प्रभाव दिखाती हैं |इनका प्रभाव समझ नहीं आता अधिकतर मामलों में ,कुछ ही मामलों में यह खुद को व्यक्त करते हैं |इनके प्रभाव इनकी प्रकृति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं |यदि यहाँ की शक्ति चरित्रहीन हुई तो चरित्रहीनता रहने वालों में बढ़ेगी ,क्रोधी हुई तो झगड़े बढ़ेंगे ,व्यसन -नशा अपने आप बढ़ेगी ,बच्चे -महिलाएं जल्दी प्रभावित होंगे तो इनमे कमिय पहले उत्पन्न होंगी |बेवजह दुर्घटना ,बीमारी ,मानसिक समस्या होगी ,घर अस्त व्यस्त होने से कार्य और दिनचर्या अव्यवस्थित होगी अतः आय -व्यय का संतुलन बिगड़ेगा |सबकुछ धीरे धीरे होगा और ऐसा होगा की जब तक समझ आएगा विकल्प सिमित हो जायेंगे |
यदि आप किसी ऐसी समस्या का सामना कर रहे जैसे कोई नया जमीन /मकान लेने के बाद आपकी समस्याएं बढ़ गयी हों ,आपने कोई मकान बनवाया हो और उलझने -परेशानियां बढ़ी हों ,आपने किसी मकान /फ़्लैट में खुद को स्थानांतरित किया हो और आप तबसे किसी न किसी कारण परेशान हों तो पहला प्रयास तो यह कीजिये की आप उससे मुक्त हो जाएँ |यदि ऐसा संभव न हो और आपकी पूँजी फंस गयी हो तो किसी बहुत अच्छे और योग्य तंत्र साधक से संपर्क कीजिये जो काली ,बगला ,भैरव जैसी शक्तियों का साधक हो और उसे अपना मकान /दूकान /स्थान दिखाइये और उसके बताये उपाय कीजिये |केवल वास्तु दोष के उपायों से अथवा किसी सात्विक शक्ति की उपासना से अथवा सामान्य कर्मकांड से इन समस्याओं का निराकरण नहीं हो सकता यद्यपि वास्तु के कुछ उपाय जमीन के अंदर करने हो सकते हैं ,परन्तु केवल उग्र और उच्च शक्तियाँ ही आपका भला कर सकती हैं |साथ ही किसी उग्र शक्ति की उपासना खुद भी जरुर करें जिससे कुछ प्रतिरोधक शक्ति आपमें उत्पन्न हो |चूंकि उपाय की प्रकृति शक्ति पर निर्भर करती है अतः हम अपनी तरफ से कोई भी विशेष उपाय नहीं लिख रहे |कारण यह है की उपाय की शक्ति समस्या कारक की शक्ति से अधिक होनी चाहिए अन्यथा वह गंभीर प्रतिक्रया भी दे सकती है |शक्ति का आकलन कर उपाय करना अथवा देना उस साधक का क्षेत्र है जो उस स्थान का निरिक्षण और विश्लेष्ण करेगा |भिन्न प्रकृति का उपाय भिन्न प्रकृति की शक्ति पर या तो काम नहीं करेगा या उसे और उग्र कर देगा जिससे वह चिढकर और परेशान करेगा |........................................................हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 



Sunday 13 August 2017

भूत -प्रेत ,नकारात्मक शक्ति को कैसे हटायें ?

कैसे हटाये भूत प्रेत /नकारात्मक उर्जा घर-परिवार-व्यक्ति पर से
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         आपके घर में ,आप पर ,परिवार पर नकारात्मक उर्जा अर्थात नुक्सान और क्षति देने वाली ऊर्जा का प्रभाव हो तो उन्हें अपने अन्दर ,परिवार में ,घर में सकारात्मक ऊर्जा बढाकर हटाया जा सकता है ,,नकारात्मक ऊर्जा घर के अँधेरे हिस्सों में हो सकती है,व्यक्ति पर हो सकती है ,परिवार पर हो सकती है ,पित्रदोष  ,कुलदेवता/देवी दोष ,स्थान दोष [भूमि में दबी,श्मशानिक क्षेत्र ,बड़े वृक्षीय क्षेत्र ],क्षेत्र दोष ,वास्तुदोष ,अभिचार कर्म ,हत्या आदि के कारन हो सकती है ,खुद आकर्षित होकर आई हो सकती है ,अक्सर इनका पता नहीं चलता ,पर इनके प्रभाव से उन्नति रूकती है ,तनाव-क्लेश होता है ,आया-व्यय की असमानता उत्पन्न होती है ,बचत संभव नहीं होता क्योकि ये किसी न किसी प्रकार असंतुलन उत्पन्न करते रहते हैं और अपना हिस्सा लेते रहते हैं ,रोग-व्याधि बढाते हैं ,दुर्घटनाये देते हैं,मांगलिक कार्यों ,पूजा पाठ में अवरोध आता है ,कोई काम ठीक से सफल नहीं होता ,परिवार में मतभेद -उत्पात रहता है ,संताने बिगड़ने लगती हैं  ,भाग्य कुछ और कहता है और होता कुछ और है ,अक्सर यह इतनी धीमी तरीके से अथवा इस प्रकार से होता है की व्यक्ति को कारण समझ में नहीं आता और वह भाग्य का दोष समझता रहता है ,वह किंकर्तव्यविमूढ़ सा देखता रहता है ,,किन्तु जब इनका प्रभाव समाप्त होता है तेजी से उन्नति-खुशहाली आती है तब उसे समझ में आता है की काश पहले ही हम यह सब कर देते |नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए और सकारात्मक ऊर्जा वृद्धि के लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए |
          [१]  नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए सर्वप्रथम वास्तुदोष पर ध्यान देकर उसके उपचार का उपाय कर घर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ानी चाहिए ,इससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को घर में दिक्कत होने लगती है और उसका बल कम होता है ,,आपके घर के आसपास या ऊपर किसी बड़े वृक्ष की छाया से भी नकारात्मक ऊर्जा की वृद्दि हो सकती है ,इस प्रकार की शक्तियों को कुछ वृक्षों के पास शांति मिलती है अतः ये वहां रहना पसंद करती है और मनुष्यों को वहां से हटाने का प्रयास कर सकती है ,वास्तु दोष आदि के लिए वास्तु पूजा ,कुछ अभिमंत्रित वस्तुओ को दबाना ,फेंगसुई की वस्तुओं का प्रयोग ,भारतीय वास्तु निदान प्रयोग लाभप्रद होते है ,कभी कभी विशिष्ट समयों पर हवन आदि करते रहने से सकारात्मकता बढती है |मकान आदि से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए सूर्य का सुबह का प्रकास कमरों में पहुचना लाभदायक होता है ,ऐसी व्यवस्था की जाए की हर कमरे में प्रकाश की प्राकृतिक व्यवस्था हो और हवा आदि आ जा सके तो नकारात्मक ऊर्जा अपने आप कम हो जाती है |
         [२] कुलदेवता /देवी की पूजा यथोचित विधि से और यथोचित समय पर हो रही है की नहीं यह देखना चाहिए ,उनका पता न हो तो पता लगाने का प्रयास करना चाहिए ,,न पता लगे तो घर में शिव परिवार की पूजा में वृद्धि कर देनी चाहिए ,क्योकि ९९ %कुलदेवी/कुलदेवता किसी न किसी रूप से शिव परिवार से जुड़े होते हैं या इनके रूप होते है ,शिव परिवार से सम्बंधित देवी-देवता पृथ्वी और प्रकृति की मूल ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते है और उत्पत्ति-संहार -सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं ,अतः इनकी आराधना सभी कुलदेवता/देवी की अपूर्णता पूर्ण कर देती है ,,इस हेतु विशिष्ट सिद्ध साधक से अभिमंत्रित यन्त्र ,मूर्ति अथवा शिवलिंग आदि ले कर स्थापित किये जा सकते है ,अथवा धारण किये जा सकते हैं ..काली -महाविद्या-दुर्गा-गणेश-शिव की विशिष्ट पूजा सभी प्रकार से सुरक्षा प्रदान करती है|  |
       [३] तीसरे बिंदु पर ध्यान देना चाहिए की घर में पित्र दोष तो नहीं है ,पित्र दोष होने पर अपने कुछ पित्र जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हों वे अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी परिवार से चाहते हैं ,सामान्य मृत्यु वाले भी परिवार के प्रति दृष्टि रखते हैं और उन्हें उचित सम्मान न मिलने ,उन्हें याद न करने ,संस्कारों के विरुद्ध कार्य करने से वे भी बाधाएं उत्पन्न करते हैं ,,सबसे बड़ी समस्या इनके साथ जुड़ने वाली दूसरी शक्तियां उत्पन्न करती हैं ,जिन्हें इस परिवार से कोई लगाव नहीं होता क्योकि ये दुसरे परिवारों से सम्बंधित होती हैं और मित्रता वश इस परिवार के पितरों से जुडी होती हैं ,क्योकि इन्हें इस परिवार से लगाव नहीं होता अतः अपनी सभी अतृप्त इच्छाएं ये इस परिवार से पूर्ण करने का प्रयास करते हैं ,और सीधे परिवार और घर को प्रभावित करते हैं ,चुकी इस परिवार के पित्र खुद असंतुष्ट होते हैं अतः उन्हें ये नहीं रोकते ,,अतः पित्र दोष न रहे यह सदैव ध्यान रखना चाहिए |
          [४] .नकारात्मक ऊर्जा आपके साथ कभी आपकी गलती से भी लग सकती है ,राह चलते किसी का उतारा हुआ है और आप प्रथमतः उसे लांघ देते हैं तो यह आपके साथ लग सकती है ,ऐसे उतारे या विशिष्ट स्थान-चौराहे आदि पर राखी गयी पूजन सामग्री ,फूल-माला-सिन्दूर-नीबू-अंडा-पिन आदि को छेड़ देने पर भी प्रभावित रहने की सम्भावना रहती है ,कभी भूलवश किसी मजार-कब्र ,समाधि ,चौरा ,पीठ आदि पर थूक देने या मूत्र त्याद आदि आसपास कर देने पर भी उससे सम्बंधित शक्ति रुष्ट हो आपके साथ लग सकती है और परेशान कर सकती है |अतः ऐसे स्थानों पर सावधानी बरतनी चाहिए और ऐसी समस्या के लिए अच्छे जानकार से सलाह लेनी चाहिए और निराकरण का उपाय करना चाहिए |इनसे बचने के लिए उग्र शक्ति की ताबीज-यन्त्र बहुत मददगार होता है जिसके प्रभाव से सामान्यरूप से ऐसी शक्तिया प्रभावित नहीं कर पाती .|इस  हेतु आप हमारे केंद्र से निर्मित दिव्य गुटिका की भी मदद ले सकते हैं |.
         [५] कभी नकारात्मक ऊर्जा किसी की सुन्दरता ,बलिष्ठता से भी आकृष्ट हो सकती है ,अथवा अपनी अतृप्त ईच्चायें पूर्ति के लिए भी व्यक्ति को निशाना बना सकती हैं ,अक्सर ऐसे मामलों में कुवारी अथवा नवविवाहिता महिलायें,बच्चे शिकार होते हैं ,यह नकारात्मक शक्तियां अधिकतर आत्माएं होती है जो अपनी अतृप्त इच्छाएं पूर्ण करने हेतु इन्हें शिकार बनाती हैं,कभी कभी यह बेहद शक्तिशाली भी होते हैं ,इसके उपचार के लिए अच्छे तांत्रिक की आवश्यकता होती है ,उग्र देवियों /शक्तियों के यन्त्र-ताबीज-पूजा से इन्हें हटाया जा सकता है |इन्हें गले-कमर-बाह  में काले धागे,जड़े,ताबीज आदि धारण करने से इनसे बचाव होता है |
        [६] दुश्मन अथवा विरोधी भी तांत्रिकों आदि की सहायता से या स्वयं आभिचारिक टोटके और तंत्र क्रिया से अपने विरोधी पक्ष को परेशांन करते है और काफी क्षति कर सकते है ,यह आभिचारिक क्रियाएं वातावरण की अदृश्य नकारात्मक ऊर्जा को व्यक्ति पर प्रक्षेपित कर देती है ,इनमे कभी कभी आत्माओं को भी भेजा जाता है ,यद्यपि यह जरुरी नहीं होता ,पर यदि आत्मा ऐसी क्रिया से जुडी होती है तो मामला बेहद गंभीर हो जाता है क्योकि यह आत्मा बंधी होती है और खुद नहीं जा सकती जब तक की सम्बंधित तांत्रिक न चाहे ,यहाँ बेहद उच्च स्तर का साधक ही विरोधी तांत्रिक की क्रिया को काट कर यह समाप्त कर सकता है |सामान्य तांत्रिक अभिचार को घर में अभिमंत्रित जल छिडकने ,कवच आदि का पाठ करने ,गायत्री -काली -दुर्गा आदि के हवंन से रोका अथवा हटाया जा सकता है ,हवन-जल छिडकाव से सकारात्मक उर्जा प्रवाह बढ़ता है और इनका प्रभाव कम होता है |
         [७] कभी कभी किसी जमीन में हड्डी-राख-कब्र-समाधि आदि दबी होती है और जानकारी के अभाव में व्यक्ति वहां मकान बनवा लेता है ,तब भी उस घर में नकारात्मक ऊर्जा की समस्या आ सकती है ,कभी के नदी-तालाब-कुआ-श्मशान के हिस्सा रहे भूमि में भी कुछ भी दबा हो सकता है जो घर में रहने वालो को प्रभावित करता है और रोग-शोक-विवाद-कलह-उत्पात-अशांति-उन्नति में अवरोध -दुर्घटनाओं  के लिए उत्तरदाई हो सकता है ,ऐसे में जमीन लेने पर उसकी जांच करनी चाहिए ,बाद में समस्या लगने पर अच्छे जानकार की मदद लेनी चाहिए ,तंत्र में इसके इलाज हैं ,उस मकान में ५ लाख महामृत्युंजय अथवा शतचंडी अथवा बगलामुखी अनुष्ठान करवाकर इन्हें रोका और मकान को शुद्ध किया जा सकता है ,जमीन में अभिमंत्रित पलास की कीले ,मकान में अभिमंत्रित कीले ठोककर सुरक्षित किया जा सकता है और सकारात्मक ऊर्जा बढाई जा सकती है |कोसिस करनी चाहिए की ऐसे मकानों में अन्धेरा हिस्सा न रहे ,दिन का प्रकाश हर हिस्से तक पहुचे .
         उपरोक्त तथ्यों पर ध्यान देते हुए व्यवस्था करने पर नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है फिर भी यदि इनका प्रभाव आ ही जाए तो घर-परिवार -व्यक्ति पर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हटाने के लिए सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ाना चाहिए, अच्छे जानकार की मदद लेनी चाहिए ,कोई भी दैवीय शक्ति जो मांगलिक हो उसका प्रभाव बढ़ाने से इन नकारात्मक शक्तियों की ऊर्जा का क्षरण होता है और इन्हें कष्ट होता है अतः ये पलायन करने लगते हैं ,उग्र और मांगलिक दैवीय शक्तियां यहाँ अधिक लाभदायक होते हैं यथा दुर्गा-काली-बगलामुखी-हनुमान आदि ,इनके पूजा-अनुष्ठान-यन्त्र प्रयोग-हवन आदि से नकारात्मक शक्तिया शीघ्र हटती हैं|इन बाधाओं को हटाने ,घर -जमीन के दोष को दबाने और नकारात्मकता दूर करने में चमत्कारी दिव्य गुटिका भी बहुत सहायक है | ……………………………..हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति क्या होती है और कैसे प्रभावित करती है ?

नकारात्मक ऊर्जा और उसका प्रभाव 
======================== नकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी के सतह के आसपास सृष्टि अथवा जीवन की उत्पत्ति पर क्रिया प्रतिक्रया के फलस्वरूप उत्पन्न ऊर्जा का रूप है जो जीवन को प्रभावित करती है ,,जो ऊर्जा जीवन को लाभ दे ,उन्नति दे ,विकास और खुशहाली दे वह उस जीवन के परिप्रेक्ष्य में सकारात्मक ऊर्जा कही जाती है और जो इन सबमे बाधक हो और कष्ट दे वह नकारात्मक ऊर्जा कही जाती है| जो ऊर्जा पृथ्वी पर उपस्थित जीवन वनस्पति को कष्ट दे ,स्वास्थय प्रभावित करे ,अवरोध दे ,सुचारू जीवन में बाधा उत्पन्न करे, जीवन नष्ट करने का प्रयत्न करे वह नकारात्मक ऊर्जा है ,,नकारात्मक ऊर्जा कहीं बाहर से नहीं आती यह पृथ्वी की सतह पर उपस्थित होती है और प्रभावित करतीरहती है ,,इस नकारात्मक ऊर्जा को हम कई श्रेणियों में बाँट सकते हैं ,,कुछ सदा सर्वदा उपस्थित रहती हैं और सदैवबनी रहती है तथा कुछ समय के अनुसार उत्पन्न और नष्ट होती रहती हैं | सकारात्मक ऊर्जा का गहरा सम्बन्ध प्रकाश और धनात्मक ऊर्जा से होता है जबकि नकारात्मक ऊर्जा का सम्बन्ध अँधेरे से होता है ,,,जहाँ भी अत्यधिक अँधेरा रहता हो वहां नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होने की सम्भावना रहती है[कुछ उग्र नकारात्मक शक्तियां तीब्र गर्मी और प्रकाश जैसे लू आदि में भी अधिक प्रभावी होते है ],,,यद्यपि यह पृथ्वी की आतंरिक ऊर्जा के उत्सर्जन पर भी निर्भर करता है जो सौरमंडल के परिप्रेक्ष्य में तो ऋणात्मक होती है किन्तु जीवन के परिप्रेक्ष्य में धनात्मक होती है ,,,जहाँ अँधेरा तो हो पर पृथ्वी की आतंरिक ऊर्जा के उत्सर्जन का क्षेत्र हो वहां नकारात्मक उर्जायें कम हो जाती है ,,,सभी शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग आदि पृथ्वी की आतंरिक ऊर्जा के वही उत्सर्जान क्षेत्र हैं ,इनकी स्थिति जानकर ही इन्हें साधना ,आराधना स्थल के रूप में परिकल्पित और विक्सित किया गया की यहाँ से धनात्मकता की वृद्धि होती है और शक्ति प्राप्ति शीघ्र संभव होती है ,कम से कम नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव पड़ता है | पृथ्वी के वातावरण में विभिन्न तरह की नकारात्मक उर्जायें रहती हैं ,जिन्हें हम विभिन्न नामों से जानते हैं |भूत,प्रेत, चुड़ैल आदि सबसे निचले स्तर की किन्तु सर्वाधिक क्रियाशील नकारात्मक शक्तियां हैं जो जीवन के हीअचानक नष्ट हो जाने से बनी हुई ऊर्जा परिपथ के नष्ट न हो पाने से बनते हैं ,,,चुकी यह भी कभी जीवित हुआ करते थे अतः यह सबसे अधिक जीवन को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं | इनका गहरा सम्बन्ध व्यक्तियों से होने से यह उन्हें ही अधिक प्रभावित करते हैं और अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ती अथवा अपनी कष्ट प्रद योनी से मुक्ति हेतु प्रभावित करते रहते हैं ,चूंकि इनमे छटपटाहट अधिक होती है अतः क्रियाशील अधिक होते हैं |भूत-प्रेतसे अधिक शक्तिशाली इसी योनी के अंतर्गत आने वाली कुछ अन्य शक्तियां ब्रह्म –बीर –शहीद,होते हैं ,जिनपर सामान्य सकारात्मक शक्तियों का कम प्रभाव पड़ता है और यह बहुत शक्तिशाली होते हैं ,क्योकि या तो यह अपना जीवन रहते बहुत शक्तिशाली शरीर तथा आत्मबल के रहे होते हैं अथवा बहुत धार्मिक और अलौकिक शक्तियां रखने वाले हुआ करते हैं ,ऐसे में इन पर सामान्य क्रियाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और यह प्रभावित करने की कोसिस करते वाले की हानि कर सकते हैं | इनमे से ब्रह्म, शहीद आदि मंदिर आदि तक में प्रवेश करजाते हैं ,यद्यपि बचने का प्रयास करते हैं ,,,,इनके उपर पिशाच, पिशाचिनी, जिन्न जैसी उग्र शक्तियां आती हैं जिनका क्षरण हजारों हजार वर्षों तक नहीं होता और जो अपनी शक्ति बढाने तथा तामसिकता की पूर्ती के लिए जीवन को निशाना बनाते हैं ,,,इनमे जिन्न अच्छे भी हो सकते हैं ,जबकि पिशाच तामसिक और कष्ट कारक ही होतेहैं ,,ये बेवजह भी किसी के जीवन में हस्तक्षेप कर सकते हैं और इन्हें तंत्र साधक भी अपने वशीभूत करके अथवानियंत्रण में लेकर तामसिक क्रियाएं संपन्न करते हैं ,,,यह धनात्मक शक्ति से दूर रहते हैं किन्तु ऋणात्मक शक्ति में तामसिक शक्तियों के साथ यह हो सकते हैं | उपरोक्त शक्तियों से ऊपर पृथ्वी की सतह की नकारात्मकता से उत्पन्न नैसर्गिक नकारात्मक शक्तियां आती हैं..इनमे डाकिनी, शाकिनी, बेताल, भैरव, भैरवियाँ आते हैं ,,,यह सभी निचली सभी शक्तियों पर नियंत्रण कर सकतेहैं ,और इन सब पर प्रकृति की परम शक्ति काली का नियंत्रण होता है ,अर्थात यह काली की शक्ति के अंतर्गतआते हैं,,यह शक्तियां बेवजह कहीं भी हस्तक्षेप नहीं करती और इनके साक्षात्कार या वशीभूत या नियंत्रण के लिएगंभीर प्रयास करना पड़ता है ,इनमे बेताल, भैरव पुरुषात्मक और अग्नि तत्व प्रधान होते हैं ,,इनमे से कोई भी शक्ति मंदिर आदि में भी प्रवेश कर सकती है और किसी सामान्य तंत्र साधक द्वारा नियंत्रित नहीं की जा सकती,बेताल की शक्ति रूद्र के उच्च स्तर के साधक के साथ भी परस्पर शक्ति संतुलन पर निर्भर करती है ,,,इनमे सेकोई भी शक्ति यदि वश में हो जाए तो भौतिक रूप से कुछ भी पाया जा सकता है ,यहाँ तक की काल ज्ञान भी ,,,,इन सभी शक्तियों का क्षरण नहीं होता और यह नैसर्गिक नकारात्मक शक्तियां है ,फिर भी यह स्वयं में रहती हैं औरऋणात्मक शक्तियों यथा महाविद्याये, नव दुर्गाओं की सहायक होती हैं ,,,इन्हें नकारात्मक में मूलतः इसलिए रखा जाता है की इनकी शक्ति रात्री अथवा अँधेरे में अधिक प्रबल होती है और यह सभी तामसिक शक्तियों के अंतर्गतआती हैं ,अन्यथा यह ऋणात्मक ही होती हैं ,,,इसी प्रकार की समान्तर शक्तियां योगिनी, यक्षिणी, अप्सरा आदि भीहोती हैं जो ऋणात्मक की सहायक शक्तियां हैं ,प्रकृति तामसिक होने पर भी इन्हें नकारात्मक में नहीं रखा जासकता ,,,,कभी कभी अपने पित्रादी ,कुलदेवता, देवी भी नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं ,अगर किसी प्रकार असंतुष्ट हुएतो ,,,वर्त्तमान  परिवेश और वातावरण में इनका कोप अधिक देखने में आता है ,,,यह खुद अगर नकारात्मक प्रभाव न भी उत्पन्न करें तो ये निष्क्रिय रहकर नकारात्मक प्रभाव को प्रभावित करने का मौका दे देते हैं और बचाव नहींकरते या उन्हें नहीं रोकते |आज ऐसी समस्याएं ७०% मामलों में देखि जा रही हैं | नकारात्मक शक्तियों में हम घर के वास्तुदोष से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा को भी रखते हैं ,जिनका सीधा प्रभाव घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है ,,,घर के निर्माण में वास्तु का ख़याल न रखने पर ऊर्जा असंतुलन होजाता है जो विभिन्न प्रकार से परेशानियां उत्पन्न करता है ,,,मकान के सामने वेध होने से ,सीधे सामने रास्ते आनेसे भी नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है और प्रभावित करता है ,,,मकान पर पेड़ आदि की छाया ,मंदिर आदि कीछाया भी प्रभावित करती है ,,,व्यक्ति विशेष के लिए अथवा स्थान विशेष के लिए ग्रहों का प्रभाव भी नकारात्मक हो सकता है ,इनमे कुछ ग्रहअधिकतर नकारात्मक प्रभाव प्रदान करने वाले होते है जबकि कुछ ग्रह कम नकारात्मक प्रभाव देते है ,,फिर भीकोई भी ग्रह सभी के लिए न तो शुभद होता है और न ही नकारात्मक ,यह उनकी स्थिति और ग्रहणकर्ता की स्थिति पर निर्भर करता है ,,,जिस प्रकार सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत शक्तिपीठों ,ज्योतिर्लिंगों के स्थान आदि होते हैं,जहाँ पृथ्वी से सकारात्मक तरंगें उत्सर्जित होती रहती हैं ,उसी प्रकार कई स्थान ऐसे होते हैं जहाँ से नकारात्मकऊर्जा या तरंगें उत्सर्जित होती रहती हैं |अधिकतर ऐसे स्थान वीरान हो जाया करते है |…………………………………………………….हर–हर महादेव

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कष्टकारक शक्तियों से प्रभावित तो नहीं हैं आप 
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प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा या शक्ति हमारे लिए लाभदायक और नकारात्मक उर्जा याशक्तिया नुक्सान करने वाली या परेशानी उत्पन्न करने वाली होती है ,,,यह समस्त प्रकृतिदो प्रकार की शक्तियों या उर्जाओं से बनता है ,धनात्मक और रिनात्मक ,सूर्य और अपनीऊर्जा से प्रकाशित ग्रह नक्षत्रों से उत्पन्न होने वाली या प्राप्त होने वाली ऊर्जा धनात्मकमानी जाती है ,जबकि पृथ्वी और ग्रहों से उत्पन्न ऊर्जा या शक्ति प्रकृति के परिप्रेक्ष्य मेंऋणात्मक होती है ,,यह दोनों ही उर्जाये हमारे लिए सकारात्मक ही होती हैं ,इन दोनों केसंतुलन और प्राप्ति से ही समस्त प्राणी और जीव वनस्पतियों की उत्पत्ति और स्थितिहोती है ,,,इन प्राकृतिक शक्तियों के अतिरिक्त दो अन्य पारलौकिक शक्तिया व्यक्तियों कोप्रभावित करती है ,सकारात्मक और नकारात्मक ,,सकारात्मक वह है जिनकी शक्ति आपकेलिए लाभदायक है जैसे आपके ईष्ट ,आपके कुल देवता ,महाविद्यायें,देवीदेवता आदि औरनकारात्मक वह है जो आपके लिए समस्या ही उत्पन्न करते है जैसे भूतप्रेतपिशाचब्रह्मराक्षसजिन्नशाकिनीडाकिनी आदि ,
आज के समय में नकारात्मक ऊर्जा शक्तियों का प्रभाव सामान्यतया घरों परिवारों पर बहुतदिखने लगा है ,जबकि उन्हें पता ही नहीं होता की वे इनसे प्रभावित है ,उनके द्वारा बतायेजाने वालो लक्षणों से प्रथम दृष्टया अकसर इनकी समस्या घरों में मिलती है ,इनके कारणवास्तु दोष ,घरों में सूर्य के प्रकाश की कमी ,गलत जगह गलत हिस्सों का बना होना ,पित्रदोष ,कुल देवता का दोष ,ईष्ट प्रबलता की कमी ,रहनसहन की स्थिति ,विजातीयता,धार्मिक श्रद्धा की कमी ,खुद की गलतियाँ ,प्रतिद्वंदिता ,अभिचार आदि हो सकते हैं ,
यदि घर से बाहर से घर पहुचने पर सर भारी हो जाए ,घर में अशांति का वातावरण हो ,कलहहोता हो,पतिपत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो ,पूजापाठ में मन  लगे ,पूजा पाठसे सदैव मन भागे ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो,लगे कोई आसपास है ,जम्हाई अधिकआये ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जाएँ ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओंमें अवरोध उत्पन्न हो ,बीमारियाँ अधिक होती हों ,आयव्यय का संतुलन बिगड़ा हो,आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक होती हों ,रोग हो किन्तु कारण पता  चले ,सदस्यों मेंमतभेद रहते हों ,मन हमेशा अशांत रहता हो ,खुशहाली  दिखे ,प्रगति रुकी लगे अथवाअवनति होने लगे ,संताने विरुद्ध जाने लगें ,संतान बिगड़ने लगे ,उनके भविष्य असुरक्षितहोने लगे ,संतान हीनता की स्थिति हो ,अधिक त्वचा रोग आदि हों ,अपने ही घर में भय लगे,लगे कोई और है आसपास ,अपशकुन हो ,अनावश्यक आग आदि लगे ,मांगलिक कार्यों मेंअवरोध उत्पन्न हो तो समझना चाहिए की घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हैइस स्थितिमें इनका पता लगाने का प्रयास करके इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए |जब आपके कुल देवता /देवी को ठीक से पूजा  मिले तो वे नाराज हो सकते हैं अथवानिर्लिप्त हो सकते हैं ,कमजोर भी हो सकते हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वालीमुख्य शक्ति हट जाती है और वह परिवार पर प्रभावी हो सकती है,कभी कभी कुलदेवता कीनाराजगी या निर्लिप्तता से या नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल होने से वह कुलदेवता याईष्ट को दी जाने वाली पूजा खुद लेने लगती है जिससे उसकी शक्ति बढने लगती है औरकुलदेवता/देवी कमजोर या रुष्ट होते जाते हैं और ईष्ट को भी पूजा नहीं मिलती है ,आपकेईष्ट कमजोर हों या कोई ईष्ट ही  हों या आप पूजा पाठ ठीक से  करते हों तो भीनकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर में हो सकता है ,,किसी से दुश्मनी हो तो वह भीआभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है ,,आपके घर मेंपित्र दोष है तो पितरों के साथ अन्य शक्तियां भी जुड़ जाती हैं जिन्हें आपके परिवार से कोईलगाव नहीं होता है ,पित्र भले नुक्सान कभी कभी  करें किन्तु साथ जुडी शक्तिया अवश्य अपनी अतृप्त इच्छाएं आपके परिवार या आप से पूर्ण करने का प्रयास करती हैं |ऐसी स्थिति में प्रत्यक्ष तो लगता है की ४ लोग घर में हैं किन्तु खर्च १० लोगों के बराबर होता है और कोई न कोई समस्या उत्पन्न होती ही रहती है |कभी कभी कोई नकारात्मक शक्ति किसी पर आधिपत्य करके अपने को देवी या देवता बताती है ,और पूजा प्राप्त करने लगती है जिससे उसकी शक्ति तो बढती ही है, उसके निकाले जाने की भी संभावना कम हो जाती है |घर में अन्धेरा हो तो भी नकारात्मक शक्तिया घर में स्थान बना लेती हैं क्योकि ऐसी जगहों पर उन्हें अच्छा लगता है रहना ,,फलतः वे वहां रहने वालों के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं |कभी कभी कोई नकारात्मक ऊर्जा आशक्तिवश भी किसी के पीछे लग जाती है और उससे अपनी अतृप्त वासनाएं पूर्ण करने का प्रयास करती है |कभी कभी किसी जमीन में नकारात्मक उर्जाओं का स्रोत होता है ,और उस पर मकान बना लेने पर वह वहां रहने वालों को परेशान करती है |कभी कभी बहुत अधिक दुर्घटनाएं अथवा हत्याएं भी किसी घर को इनका डेरा बना देते हैं ,
यदि व्यक्ति को लगे की उसके घर में या उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो उसेकिसी योग्य जानकार व्यक्ति ,सिद्ध व्यक्ति या उच्च स्तर के तांत्रिक से मिलना चाहिए,,इनसे मुक्ति का उपाय करना चाहिए ,पित्र दोष ,कुल देवत/देवी दोष ,ईष्ट दोष ,गृह दोष काउपचार करना चाहिए ……………………………………………………….हरहर महादेव

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