Tuesday, 3 October 2017

शाबर मन्त्रों को जगाने की विधि

~ साबर मंत्रो को जगाने की विधि ~
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किसी भी कारण से शाबर मन्त्र सुप्त हो तो इस विधि के बाद साबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !
|| मन्त्र ||
सत नमो आदेश !
गुरूजी !
ड़ार शाबर बर्भर जागे ,
जागे अढैया और बराट
मेरा जगाया जागे
तो तेरा नरक कुंड में वास !
दुहाई शाबरी माई की !
दुहाई शाबरनाथ की !
आदेश गुरु गोरख को !

|| विधि ||
इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उस पर गुगल डाले और इस मन्त्र का १०८ जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गुगल धुप रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको २१ दिन करनी है , अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी अनुभवी विद्वान साधक के मुख से ले ! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूरी है !

|| प्रयोग विधि ||

जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा ! यदि कोई मन्त्र बार बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले ! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे ! घी का दीपक जलाये , अग्नि पर गुगल की धुनि दे और इस मन्त्र को १०८ बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का १०८ बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक मिटटी का कलश ( घड़ा ) भी पहले से मंगवा कर रखे ! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे ! दुसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे ! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को !............................................................हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

शाबर मंत्र सुप्त हो सकते हैं

शाबर मंत्र सुप्त हो सकते हैं
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भगवान् शिव ने सभी मंत्रो को कीलित कर दिया पर साबर मन्त्र कीलित नहीं है ! साबर मन्त्र कलयुग में अमृत स्वरुप है ! साबर मंत्रो को सिद्ध करना बड़ा ही सरल है लम्बे विधि विधान की आवश्यकता और ही करन्यास और अंगन्यास जैसी जटिल क्रियाए ! इतने सरल होने पर भी कई बार साबर मंत्रो का पूर्ण प्रभाव नहीं मिलता क्योंकि साबर मन्त्र सुप्त हो जाते है ऐसे में इन मंत्रो को एक विशेष क्रिया द्वारा जगाया जाता है !
शाबर मंत्रो के सुप्त होने के मुख्य कारण -
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. यदि सभा में साबर मन्त्र बोल दिए जाये तो साबर मन्त्र अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी साबर मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
.साबर मन्त्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रो का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि साबर मंत्रो को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है|..............................................हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

शाबर मन्त्र साधना में ध्यान रखने योग्य बातें

शाबर मन्त्र साधना में ध्यान रखने योग्य बातें
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.इस साधना को किसी भी जाति ,वर्ण ,आयु का पुरुष या स्त्री कर सकती है |
. इन मन्त्रों की साधना में गुरु की बहुत आवश्यकता नहीं रहती ,क्योकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक रहे हैं |इतने पर भी कोई निष्ठावान साधक गुरु बन जाए तो कोई आपत्ति नहीं ,क्योकि किसी होने वाले विक्षेप से वह बचा सकता है |
. साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग का आसन उपयोग में लिया जा सकता है |
४॰ साधना में जब तक मन्त्र-जप चले घी या मीठे तेल का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए। एक ही दीपक के सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है।
५॰ अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर-मन्त्र-साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गई है।
६॰ जहाँ दिशा’ का निर्देश हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनी चाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें।
७॰ जहाँ माला’ का निर्देश हो, वहाँ कोई भी माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। वैष्णव देवताओं के विषय में तुलसी’ की माला तथा मुसलमानी मन्त्रों में हकीक’ की माला प्रयोग करें। माला संस्कार आवश्यक नहीं है। एक ही माला पर कई मन्त्रों का जप किया जा सकता है।
८॰ शाबर मन्त्रों की साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व है। अपने सभी मन्त्रों से ग्रहण काल में कम से कम एक बार हवन अवश्य करना चाहिए। इससे वे जाग्रत रहते हैं।
९॰ हवन के लिये मन्त्र के अन्त में स्वाहा’ लगाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसा भी मन्त्र हो, पढ़कर अन्त में आहुति दें।
१०॰ शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है। अधूरा विश्वास या मन्त्रों पर अश्रद्धा होने पर फल नहीं मिलता।
११॰ साधना काल में एक समय भोजन करें और ब्रह्मचर्य-पालन करें। मन्त्र-जप करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें।
१२॰ साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं।
१३॰ मन्त्र’ का जप जैसा-का-तैसा करं। उच्चारण शुद्ध रुप से होना चाहिए।
१४॰ साधना-काल में हजामत बनवा सकते हैं। अपने सभी कार्य-व्यापार या नौकरी आदि सम्पन्न कर सकते हैं।
१५॰ मन्त्र-जप घर में एकान्त कमरे में या मन्दिर में या नदी के तट- कहीं भी किया जा सकता है।
१६॰ शाबर-मन्त्र’ की साधना यदि अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसी प्रकार की हानि नहीं होती।..........................................................हर-हर महादेव

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