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चतुर्थ मंत्र - सात्विक पद्धति ]]
कर्ण
पिशाचिनी मूलतः वाम मार्ग द्वारा साधित होने वाली एक अति उग्र तामसिक शक्ति है जो
वाम मार्ग से शीघ्र सिद्ध होती है ,तथापि इसके सात्विक रूप भी हैं और यह सिद्ध भी
होती है इन पद्धतियों से यद्यपि इनमे समय अधिक लग सकता है |हमने अपने पहले के तीन
लेख में अघोर क्रियागत ,वाम मार्गीय साधना और सात्विक साधना के बारे में सामान्य
जानकारी लिखी है |अब इस अंक में हम कर्ण पिशाचिनी की एक और सात्विक साधना पद्धति
अपने blog पाठकों के लिए लिख रहे
हैं |कर्ण पिशाचिनी है क्या इसे जाने बिन ,बिना गुरु आज्ञा ,बिन ठीक से समझे ,बिना
समुचित सुरक्षा के साधना न करें |हम मात्र जानकारी उपलब्ध करा रहे |कुछ गोपनीय
तकनिकी गोपनीय यहाँ भी हैं जिन्हें साधक को अपने गुरु से समझना होगा |कर्ण पिशाचिनी
है क्या इसे जानने के लिए हमारे ब्लॉग का "" कर्ण पिशाचिनी ""
लेख देखें |
स्थान - साधक
को कर्ण पिशाचिनी की साधना घर में नहीं करनी चाहिए |घर में इसकी साधना करने पर घर
का वातावरण तो दूषित होता ही है साथ ही सिद्धि भी बहुत देर से प्राप्त होती है |घर
में सिद्धि का प्रयास प्रारम्भ करते ही अनेको कष्ट उत्पन्न होने लगते हैं हालांकि
सिद्ध होने पर नियंत्रित हो जाने पर सबकुछ ठीक हो जाता है किन्त इतने दिनों में ही
उथल पुथल सबकुछ अस्त व्यस्त ककर सकती है |इसलिए साधना तामसी वातावरण का एकांत
स्थान ,या श्मशान या एकांत में स्थित वट वृक्ष के आसपास करना उपयुक्त होता है |
मन्त्र - ॐ
कर्ण पिशाचिनी श्मशानवासिनी महादेव्यै रतिप्रिये काल ज्ञान ज्ञानिनी स्वप्न
कामेश्वरी पद्मावती त्रैलोक्य वार्ता कथय कथय स्वाहा |
वस्त्र -
रक्तिम लाल या काला
आसन - लाल
,रक्तिम या काला कम्बल
दिशा - पूर्व
मुख
माला -
रुद्राक्ष या लाल मूंगे की माला
सामग्री - -
काला कपडा ,लकड़ी का पटरा ,कांसे की थाल ,पूजन सामग्री ,मूर्ती ,कर्ण पिशाचिनी
यन्त्र ,दीपक तेल का ,बाजोट ,अगर बत्ती |
तिलक -
सिन्दूर का
तिथि और समय -
अमावश्या या शुक्ल पक्ष की द्वितीया की अर्धरात्रि के बाद
मंत्र संख्या
- सवा लाख
हवन संख्या -
जप संख्या का दसवां भाग
विधि -
-------- जब
तक नीरव शान्ति रहे तब तक जप करें ,उसके बाद दिन भर मानसिक ध्यान में रहें |शैया
साधना स्थल पर ही बनानी चाहिए |साधक को फलों एवं दूध आदि पर रहना चाहिए |स्थान
वर्जित है और मंत्र जप के समय निर्वस्त्र जप करना चाहिए |पूर्णाहुति के बाद किसी
कुँवारी कन्या को भोजन करानी चाहिए ,जो रजस्वला नहीं हो |पूर्णाहुति हवन अनुष्ठान
में खीर ,खांड ,पूरी ,शराब [देशी ], गुग्गल ,लौंग ,इतर ,अंडे आदि का प्रयोग किया
जाता है |इसके बाद स्त्री को लाल वस्त्र एवं श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है
|साधना समय लगातार अगरबत्ती जलती रहनी चाहिए |
प्रस्तुत
साधना में मल -मूत्र आदि का उपयोग तो नहीं है किन्तु कर्ण पिशाचिनी एक तामसी शक्ति
है जो अशुद्धि पसंद करती है अतः पूर्ण तामसिकता और काम भाव से ही साधना होनी चाहिए
|साधना के अंतिम दिन अथवा पहले भी कर्ण पिशाचिनी प्रकट हो सकती है ,ऐसे में इसे
वचन बढ किया जाना चाहिए |ये तमोगुणी होती हैं अतः वचनबद्ध होकर वचनों का पालन करना
इनकी अनिवार्य विवशता है |इनकी व्यवस्था में वचन भंग करना कठोर दंडनीय अपराध है
|साधना समय अनेक भयानक अनुभव भी हो सकते हैं किन्तु साधक को डरना नहीं चाहिए
|इसलिए कहा जाता है की कमजोर हृगे वाले यह साधना न करें |साधना समय आसन समेटना
नहीं चाहिए |वह लगातार बिछा ही रहे |साधना समय ग्वारपाठा अथवा घृतकुमारी को साथ
रखना उपयुक्त होता है जो कर्ण पिशाचिनी की उग्रता भी कम करता है और विघ्न भी कम
उत्पन्न होने देता है |पिशाचिनी प्रकट तो यौवना रूप में होती है किन्तु यह एक
ऊर्जा है जिसका निश्चित आकार नहीं है ऐसे में यह निश्चित स्वरुप ,प्रकृति और आकृति
की मांग करती है ,ऐसे में साधक जिस रूप में उसे प्राप्त करना चाहता है उस स्वरुप
की उसके पास कमी हो जाती है |पिशाचिनी साकार रूप में नहीं रहती किन्तु फिर भी उस
स्वरुप यथा माता ,बहन ,पत्नी ,पुत्री अथवा प्रेमिका जो भी माँगा गया हो उसे यह
साधक के साथ नहीं रहने देती अथवा समाप्त कर देती है |
विशेष चेतावनी
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उपरोक्त साधना पद्धति मात्र जानकारी के उद्देश्य से दिया जा रहा है |जैसा की
शास्त्रों में ,किताबों में कर्ण पिशाचिनी की साधना दी हुई है ,हम भी ब्लॉग और पेज
पर मात्र जानकारी देने के उद्देश्य से इसे प्रकाशित कर रहे हैं |मात्र इस लेख के
आधार पर साधना न करें |साधना पूर्व अपने गुरु से अनुमति लें और किसी सिद्ध काली
साधक से सुरक्षा कवच बनवाकर जरुर धारण करें ,जो ऐसा हो की सुरक्षा भी करे औए
पिशाचिनी के आगमन को रोके भी नहीं |योग्य ग्यानी से समस्त प्रक्रिया और मंत्रादी
समझ लें ,जांच लें |किसी भी हानि अथवा परेशानी के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे
|धन्यवाद |...................................................................हर-हर महादेव
विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
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