Tuesday, 3 October 2017

शाबर मंत्र सुप्त हो सकते हैं

शाबर मंत्र सुप्त हो सकते हैं
===================
भगवान् शिव ने सभी मंत्रो को कीलित कर दिया पर साबर मन्त्र कीलित नहीं है ! साबर मन्त्र कलयुग में अमृत स्वरुप है ! साबर मंत्रो को सिद्ध करना बड़ा ही सरल है लम्बे विधि विधान की आवश्यकता और ही करन्यास और अंगन्यास जैसी जटिल क्रियाए ! इतने सरल होने पर भी कई बार साबर मंत्रो का पूर्ण प्रभाव नहीं मिलता क्योंकि साबर मन्त्र सुप्त हो जाते है ऐसे में इन मंत्रो को एक विशेष क्रिया द्वारा जगाया जाता है !
शाबर मंत्रो के सुप्त होने के मुख्य कारण -
---------------------------------------------
. यदि सभा में साबर मन्त्र बोल दिए जाये तो साबर मन्त्र अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी साबर मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
.साबर मन्त्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
.यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रो का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि साबर मंत्रो को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है|..............................................हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

शाबर मन्त्र साधना में ध्यान रखने योग्य बातें

शाबर मन्त्र साधना में ध्यान रखने योग्य बातें
=============================
.इस साधना को किसी भी जाति ,वर्ण ,आयु का पुरुष या स्त्री कर सकती है |
. इन मन्त्रों की साधना में गुरु की बहुत आवश्यकता नहीं रहती ,क्योकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक रहे हैं |इतने पर भी कोई निष्ठावान साधक गुरु बन जाए तो कोई आपत्ति नहीं ,क्योकि किसी होने वाले विक्षेप से वह बचा सकता है |
. साधना करते समय किसी भी रंग की धुली हुई धोती पहनी जा सकती है तथा किसी भी रंग का आसन उपयोग में लिया जा सकता है |
४॰ साधना में जब तक मन्त्र-जप चले घी या मीठे तेल का दीपक प्रज्वलित रखना चाहिए। एक ही दीपक के सामने कई मन्त्रों की साधना की जा सकती है।
५॰ अगरबत्ती या धूप किसी भी प्रकार की प्रयुक्त हो सकती है, किन्तु शाबर-मन्त्र-साधना में गूगल तथा लोबान की अगरबत्ती या धूप की विशेष महत्ता मानी गई है।
६॰ जहाँ दिशा’ का निर्देश हो, वहाँ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करनी चाहिए। मारण, उच्चाटन आदि दक्षिणाभिमुख होकर करें। मुसलमानी मन्त्रों की साधना पश्चिमाभिमुख होकर करें।
७॰ जहाँ माला’ का निर्देश हो, वहाँ कोई भी माला’ प्रयोग में ला सकते हैं। रुद्राक्ष की माला सर्वोत्तम होती है। वैष्णव देवताओं के विषय में तुलसी’ की माला तथा मुसलमानी मन्त्रों में हकीक’ की माला प्रयोग करें। माला संस्कार आवश्यक नहीं है। एक ही माला पर कई मन्त्रों का जप किया जा सकता है।
८॰ शाबर मन्त्रों की साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व है। अपने सभी मन्त्रों से ग्रहण काल में कम से कम एक बार हवन अवश्य करना चाहिए। इससे वे जाग्रत रहते हैं।
९॰ हवन के लिये मन्त्र के अन्त में स्वाहा’ लगाने की आवश्यकता नहीं होती। जैसा भी मन्त्र हो, पढ़कर अन्त में आहुति दें।
१०॰ शाबर’ मन्त्रों पर पूर्ण श्रद्धा होनी आवश्यक है। अधूरा विश्वास या मन्त्रों पर अश्रद्धा होने पर फल नहीं मिलता।
११॰ साधना काल में एक समय भोजन करें और ब्रह्मचर्य-पालन करें। मन्त्र-जप करते समय स्वच्छता का ध्यान रखें।
१२॰ साधना दिन या रात्रि किसी भी समय कर सकते हैं।
१३॰ मन्त्र’ का जप जैसा-का-तैसा करं। उच्चारण शुद्ध रुप से होना चाहिए।
१४॰ साधना-काल में हजामत बनवा सकते हैं। अपने सभी कार्य-व्यापार या नौकरी आदि सम्पन्न कर सकते हैं।
१५॰ मन्त्र-जप घर में एकान्त कमरे में या मन्दिर में या नदी के तट- कहीं भी किया जा सकता है।
१६॰ शाबर-मन्त्र’ की साधना यदि अधूरी छूट जाए या साधना में कोई कमी रह जाए, तो किसी प्रकार की हानि नहीं होती।..........................................................हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

शाबर मंत्र

:::::::::::::::::::::शाबर मंत्र और उनकी विशेषता :::::::::::::::::::::
==========================================
              शाबर तंत्र तंत्र की ग्राम्य शाखा है | शाबर का प्रतीक अर्थ होता है ग्राम्य अथवा अपरिष्कृत | अत्यंत सरल भाषा में पाए जाने वाले सभी मंत्र शाबर की श्रेणी में आते हैं |ये मंत्र होते तो अत्यंत सरल भाषा में है परन्तु इनका कोई अर्थ नहीं होता |यह सभी बोली जाने वाली भाषाओं में पाए जाते हैं यहा तक की गाँव गाँव की गूढ़ शब्दावली में भी मंत्र पाए जाते हैं |कुछ में विभिन्न भाषाओं का भी प्रयोग देखने में आता है |शाबर मंत्र अर्थ युक्त और अर्थ हीन दोनों प्रकार के पाए जाते हैं |गोसामी तुलसीदास के अनुसार --अनमिल आखर अरथ न जापू |प्रगट प्रभाव महेश प्रतापू || शाबर मन्त्रों का जन्म प्रायः सिद्ध साधकों द्वारा ही हुआ है ,,संभवतः यही कारण है की मंत्र के समापन के समय देवता को विकत आन दी जाती है |इन्हें देखकर बालक के हठ का स्मरण हो आता है |ठीक उसी प्रकार स्वयं सिद्ध साधकों ने शास्त्रीय मन्त्रों का सहारा न लेकर अपनी समस्या को अपनी ही भाषा में कहा और उस समस्या की पूर्ति न होने की स्थिति में एक हठी बालक की भाँती अनर्गल सी आन कहकर अपनी समस्या पूर्ति कर ली |वास्तव में यह साधक का अपने ईष्ट के प्रति अपनत्व है जो उन्हें कसम देता है |कभी कभी शास्त्रीय मन्त्रों की कमी को ये शाबर मंत्र बड़ी ही सफलता से पूर्ण करते हैं|
 इसके प्रथम प्रवर्तक भगवान शंकर हैं ,और जिन सिद्धों ने इसको आगे बढाया वे परम शिव भक्त ही थे  |मानवीय गुरुओं में गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मछंदर नाथ "शाबर मन्त्र "के जनक माने जाते हैं |अपने तप प्रभाव से वे भगवान शंकर के समान पूज्य माने जाते हैं |अपनी साधना और शक्ति के कारण वे मन्त्र प्रवर्तक ऋषियों के समान विश्वास और श्रद्धा के पात्र हैं |सिद्ध और नाथ सम्प्रदायों ने परम्परागत मन्त्रों के मूल सिद्धांतों को लेकर बोलचाल की भाषा में मन्त्रों को जन्म दिया |
                    शाबर’-मन्त्रों में आन’ और शाप’, ‘श्रद्धा’ और धमकी’ - दोनों का प्रयोग किया जाता है साधक याचक’ होता हुआ भी देवता को सब कुछ कहता है, उसी से सब कुछ कराना चाहता है आश्चर्य यह है कि उसकी यह आन’ भी काम करती है शास्त्रीय प्रयोगों में उक्त प्रकार की आन’ नहीं रहती बाल-सुलभ सरलता का विश्वास शाबर मन्त्रों का साधक मन्त्र के देवता के प्रति रखता है जिस प्रकार अबोध बालक की अभद्रता पर उसके माता-पिता अपने वात्सल्य-प्रेम के कारण कोई ध्यान नहीं देते, वैसे ही बाल-सुलभ सरलता’ और विश्वास’ के आधार पर शाबर’ मन्त्रों की साधना करने  वाला सिद्धि प्राप्त कर लेता है
शाबर’-मन्त्रों में संस्कृत, प्राकृत और क्षेत्रीय सभी भाषाओं का उपयोग मिलता है किन्हीं-किन्हीं मन्त्रों में संस्कृत और मलयालय, कन्नड़, गुजराती, बंगला या तमिल भाषाओं का मिश्रित रुप मिलेगा, तो किन्हीं में शुद्ध क्षेत्रीय भाषाओं की ग्राम्य-शैली और कल्पना भी मिल जायेगी
भारत के एक बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली भाषा हिन्दी’ है अतः अधिकांश शाबर’मन्त्र हिन्दी में ही मिलते हैं इस मन्त्रों में शास्त्रीय मन्त्रों के समान षडङ्ग’ - ऋषि, छन्द, वीज, शक्ति, कीलक और देवता - की योजना अलग से नहीं रहती, अपितु इन अंगों का वर्णन मन्त्र में ही निहित रहता है इसलिए प्रत्येक शाबर’ मन्त्र अपने आप में पूर्ण होता है उपदेष्टा ऋषि’ के रुप में गोरखनाथ जैसे सिद्ध-पुरुष हैं कई मन्त्रों में इनके नाम लिए जाते हैं और कइयों में केवल गुरु के नाम से ही काम चल जाता है
पल्लव’ (मन्त्र के अन्त में लगाए जाने वाले शब्द) के स्थान में शब्द साँचा पिण्ड काचा, फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा’वाक्य ही सामान्यतः रहता है इस वाक्य का अर्थ है शब्द ही सत्य है, नष्ट नहीं होता यह देह अनित्य है, बहुत कच्चा है हे मन्त्र ! तुम ईश्वरी वाणी हो (ईश्वर के वचन से प्रकट हो)” इसी प्रकार के या इससे मिलते-जुलते दूसरे शब्द इस मन्त्रों के पल्लव’ होते हैं|

शाबर मन्त्र स्वयं सिद्ध होते हैं |शाबर मन्त्र शीघ्र प्रभावी होते हैं और सरल भाषा में होते हैं |इनके प्रयोग भी अत्यंत सुगम होते हैं |शाबर मन्त्र में कोई भी सुधार करने या अर्थ निकालने की आवश्यकता नहीं होती क्योकि यह मन्त्र प्रायः ग्रामीण भाषाओं में पाए जाते हैं |शाबर मन्त्र से प्रत्येक समस्या का निराकरण सहज ही हो जाता है |शाबर मन्त्र सभी के लिए हैं ,यह किसी वर्ग विशेष का प्रतिनिशित्व नहीं करते ,जो भी चाहे विधि के अनुसार प्रयोग करके लाभ उठा सकता है |..............................................................हर - हर महादेव  

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .