Tuesday, 3 October 2017

मूर्ती और चित्र के सम्बन्ध में नियम

:::::::::::::::मूर्ती और चित्र के सम्बन्ध में सामान्य नियम:::::::::::::::::
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आज के समय में हनुमानजी के भक्तों की संख्या काफी अधिक है, क्योंकि बजरंग बली श्रद्धालुओं की समस्याओं को बहुत ही जल्द दूर करते हैं। इसी वजह से लोग हनुमानजी की प्रतिमा या फोटो अपने घर में भी रखते हैं। हनुमानजी के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां या फोटो घर में हों तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।मूर्तियां चमत्कारी असर दिखाती हैं। इसी वजह से शास्त्रों में मूर्तियों और तस्वीरों के लिए महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। 

विशेष रूप से हनुमानजी की फोटो बेडरूम में नहीं रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनका चित्र बेडरूम में नहीं बल्कि घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है।अगर आप एक ही कमरे के स्थान में रहते हैं और विकल्प नहीं है साथ ही आप हनुमान की पूजा भी करना चाहते हैं तो आप उनके चित्र को किसी आलमारी या पूजा के लकड़ी आदि के मंदिर में रखें ,साम होने पर दीपक अगर बत्ती करके उस स्थान को परदे से ढक दें |

अपने घर में आप यदि कोई मूर्ती किसो देवता की रखते हैं तो कोसिस करें की वह मूर्ती अंगुष्ठ प्रमाण में हो अर्थात आपके अंगूठे की लम्बाई जितनी बड़ी हो |घर में कभी भी टूटी-फूटी तस्वीर अथवा मूर्ति नहीं रखना चाहिए। अगर कोई मूर्ति या तस्वीर टूट जाए तो उसे तुरंत घर से हटा दें। मूर्तियों का खंडित होना अपशकुन माना जाता है। पूजा करते समय भक्त का पूरा ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। ऐसे में मूर्ति खंडित होगी तो भक्त का ध्यान भंग हो सकता है। ध्यान भंग होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। इसी वजह से खंडित मूर्तियां घर में नहीं रखना चाहिए।..................................................हर-हर महादेव 

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

नाहर सिंह बीर की साधना

::::::::::::::::नाहर सिंह बीर और उनकी साधना :::::::::::::::::: 
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तंत्र साधना में भूत-प्रेत ,बीर-बेताल .पिशाच-पिशाचिनी ,ब्रह्म-जिन्न ,डाकिनी-शाकिनी ,भैरव-भैरवी आदि की भी साधनाएँ होती हैं ,जो की पृथ्वी के नजदीकी वातावरण की शक्तियां हैं और तंत्र में निम्न तथा तामसिक साधना में गिनी जाती है ,इनमे बीर साधना बीर को वशीभूत करने और वचनबद्ध करने की साधना है ,इससे उनसे ऐच्छिक कार्य कराया जा सकता है उनकी क्षमता के अनुसार |,यह बेहद कठो, उग्र ,तामसिक और वाम मार्गीय साधनाएँ है ,यद्यपि सात्विक उच्चा स्तर का साधक भी इन्हें वश में कर सकता है अपने बल से ,पर मुख्य रूप से इन्हें साधना करके वशीभूत किया जाता है |ऐसे ही एक बीर नाहर सिंह हैं जिनकी साधना तंत्र साधकों में प्रचलित है |
ऊना जिला से 40 किलोमीटर दूर और नैहरियां से तीन किलोमीटर के फासले पर गांव मैड़ी में उत्तर भारत का प्रसिद्व धार्मिक स्थल डेरा बाबा बड़भाग सिंह उपस्थित है। यहाँ पावन चरण गंगा में स्नान करने से प्रेतात्माओं की परेशानियों से पीडि़त लोगों को मुक्ति मिलती है। जनश्रुतियों के अनुसार लगभग तीन सौ साल वर्ष पूर्व करतारपुर पंजाब में बाबा राम सिंह माता राम कौर के घर जन्मे बड़भाग सिंह जी सोढ़ी परिवार करतारपुर की धार्मिक गद्दी पर आसीन हुए। परंतु अफगान बादशाह अहमद शाह अबदाली ने पंजाब पर हमला किया और करतारपुर को तहस-नहस करना चाहा, तो खतरे को भांपते हुए किसी तरह बाबा बड़भाग सिंह वहां से निकलकर शिवालिक की पहाडि़यों में गए और मैड़ी के सुनसान जंगल में एकांत स्थल पर दर्शनी खड्ड के समीप पहुंचकर बेरी के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने लगे।
कहा जाता है कि उस बेरी के वृक्ष पर वीर नाहर सिंह का वास था। जो उधर से आने-जाने वाले राहगीरों को बहुत परेशान किया करता था। जिसके फलस्वरूप लोग वहां से गुजरने से भी डरते थे। वीर नाहर सिंह ने बाबा बड़भाग सिंह को भी अपने कब्जे में करने की कोशिश की, तब बाबा बड़भाग सिंह ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति के बल पर वीर नाहर सिंह को अपने वश में करके उसे एक पिंजरे में बंद कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप भयक्रांत लोगों को उसकी परेशानियों से मुक्ति मिली। बाबा बड़भाग सिंह ने वीर नाहर सिंह से यह भी वचन लिया कि भूत-प्रेत आत्माओं से पीडि़त जो भी व्यक्ति वहां पर आएगा,उसे प्रेतात्माओं से छुटकारा दिलाया जाएगा। कहा जाता है कि होली के दिनों में पूर्णमासी के रोज पवित्र चरण गंगा में स्नान करने से मानसिक रोगों से निजात मिलती है और भूत- प्रेत से पीडि़त लोगों को मुक्ति मिलती है। बाबा बड़भाग सिंह ने जिस बेरी के नीचे बैठकर तपस्या की थी वह आज भी विद्यमान है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्वालु आकर नमन करते हैं। बेरी के पेड़ के साथ ही निशान साहिब भी है, जहां होली के दो दिन पूर्व पुराना झंडा उतारकर नया झंडा चढ़ाया जाता है और मेला समाप्त होने के दिन की पूर्व मध्य रात्रि से प्रसिद्व पवित्र प्रसाद का वितरण किया जाता है। मेले का मुख्य आकर्षण यहां की प्रसिद्ध चरण गंगा है जिसमें बाबा जी अपने जीवनकाल में नित-नियम से स्नान किया करते थे।
मन्त्र : -
वीर दा वीर बाबा बडभाग सिंह जी दा वजीर ! हाजिर हो मेरे नाहर सिंह वीर !!
विधि :- अपने गुरुदेव से आज्ञा लेकर इस मन्त्र को किसी निर्जन स्थान पर बैठकर रोजाना रात 9 बजे बाद 21 माला जप करे ! सर्वप्रथम गणपति पूजन करे फिर आसन जाप करके अपने शरीर की रक्षा करे ! फिर रक्षा मन्त्र से चारो तरफ सुरक्षा घेरा बनाये , उस घेरे के अन्दर मिटटी के बर्तन में शराब रखे ओर सरसों के तेल का दीपक जलाये जप समाप्त होने तक सुरक्षा घेरे से बहार नहीं आये ! यह विधान 41 दिन करना है ! साधना के दौरान वीर प्रत्यक्ष हो तो वरदान मांग ले तथा इस साधना ओर सिद्धि के अनुभव गुप्त रखे ! इस साधना से बाबा बडभाग सिंह जी ओर वीर नाहर सिंह दोनों की कृपा प्राप्त होती है !

चेतावनी :~ साधना में डरावने अनुभव हो सकते है , डरे नहीं . अपने गुरु ओर इष्ट पर विश्वास रखे ! गुरु आज्ञा बिना इस साधना को कदापी करे |..........................................................................हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .