Wednesday, 1 November 2017

डिप्रेसन [Depression ] क्या है

अवसाद [Depression] /डिप्रेसन क्या है
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अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।डिप्रेशन किसी बीमारी का नाम नहीं है और ही यह कोई दिमागी फितूर होता है। यह एक ऐसी मानसिक हालत होती है, जिसमें इन्सान की सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है। वह किसी भी प्रकार का सही डिसीजन नहीं ले सकता। देखा जाए, तो डिप्रेशन ने एक बीमारी का रूप धारण कर लिया है जिसने बच्चों से लेकर बूढों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसका मुख्य कारण होता ही दुःख। जब भी हम अधिक दुखी हो जाते हैं तो हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है जिसके कारण हम डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।  
कारण
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अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण ,आनुवंशिकता ,मौसम में बदलाव ,हार्मोनल असंतुलन ,बीमारी ,कमजोरी ,तनाव नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अवसाद के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक ,आनुवंशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैव रासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है।इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं।इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में रहने दें। हंसाने की कोशिश करें।
मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं,लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं | इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है | इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं | मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पांच को अवसाद की आशंका रहती है |
अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का अवसाद आनुवांशिक होता है। अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। अवसाद के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है।

इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण जानने का प्रयत्न करें। अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा। घर में अन्य सदस्यों को अवसाद की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है। क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अवसाद ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है |......[ अगला अंक - डिप्रेसन के प्रकार ]..............................................हर हर महादेव 

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Monday, 30 October 2017

प्यार -वैवाहिक जीवन -धोखा और तंत्र प्रयोग

प्यार में धोखा और तंत्र प्रयोग 
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आज के समय में युवा वर्ग खुले समाज और तकनिकी युग में जी रहा है ,वह पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावत हो रहा |भारतीय संस्कार उसे पुरातन लग रहे ,परम्पराओं और मर्यादाओं को वह पिछडापन मान रहा |माता -पिता ,बुजुर्गों द्वारा शादी विवाह करना उसे नहीं भा रहा |खुद के पसंद नापसंद उसके सर्वोपरि हैं |इंटरनेट के युग में उसे बहुत कुछ ऐसा इंटरनेट पर मिल रहा जो अब तक बंदिशों में था |उसकी कल्पनाएँ उड़ान मार रही |देश -विदेश के लोग और रहन सहन देख वह भी वैसा ही जीवन जीने को इच्छुक हो रहा |प्यार तो पहले भी था पर आज उसका स्वरुप बिगड़ रहा |अब कोमल प्रेम की जगह शारीरिक आकर्षण और चमक दमक प्रमुखता ले रहे |एक का होकर रहना भी अब आज का युवा जरूरी नहीं समझता |बहुतों के कईयों से सम्बन्ध पहले भी होते थे पर आज वह सब खुले आम हो गया |कालेज की तो बात ही क्या अब तो स्कूलों तक में प्यार -मुहब्बत होने लगा |कुछ मालों में यह दूर दूर से होता है और कुछ में शारीरिक संपर्क तक हो जाता है |कालेजों तक आते आते आज हर बच्चा /बच्ची सबकुछ जानता समझता है और मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को सक्षम मानने लगता है |आज के पारिवारिक माहौलों के कारण उन पर बंदिशें कम होती हैं और बहुत कुछ उनके विवेक पर छोड़ दिया जाता है |आखिर विवेक भी तो एक किशोर का ही होता है और अक्सर वह भटकने लगता है खुला माहौल पाने पर |फिर शुरू होता है प्यार ,प्रेम ,मुहब्बत और शारीरिक आकर्षण का खेल |यहाँ गंभीरता कम और उत्सुकता ,आकर्षण अधिक होता है |जाति ,धर्म ,संस्कार ,मर्यादा ,परिवार ,उंच -नीच मायने नहीं रखती अक्सर ऐसे मामलों में और उम्र में |यह स्वभाव परिवर्तन अक्सर उन्हें भविष्य के लिए कष्ट दे जाता है |
कुछ युवा इसे गंभीरता से नहीं लेते पर कुछ गंभीरता से लेते हैं और समर्पण दिखाते हैं |गंभीर युवाओं की संख्या कम ही होती है पर इनका प्यार परवान चढ़ जाता है |एक  गंभीर न हुआ और उसका साथी गंभीर हुआ तो स्थिति विकट हो जाती है |फिर यहाँ धोखे की गुंजाइश बन जाती है |अभी भी युवा करने को तो कुछ भी करें पर जब अंतिम निर्णय की स्थिति आती है तब वह अपने परिवार के दबाव में आ जाते हैं और उन्हें परिवार के मुताबिक़ विवाह करना पड़ जाता है ,तब जो उनका प्रेमी /प्रेमिका होता है उससे अलग होने की वह कोशिस करता है |यदि वह प्रेमी /प्रेमिका गंभीर हुआ तो उसे यह धोखा लगता है |अधिकतर युवा खुद चाहे जो करें ,खुद कृष्ण या गोपियाँ बने फिरते रहें ,पर जब जीवन साथी की बात आती है तो वह सीता या राम ही खोजते हैं |ऐसे में वह अपने पूर्व के प्यार से भागने लगते हैं और विवाह किसी और से करना चाहते हैं |बहुत से ऐसे युवा भी होते हैं जो प्यार को एक खेल की तरह लेते हैं और मानते हैं की जब शादी होगी तो देखेंगे अभी तो मौज मस्ती कर लें |यह कईयों से जुड़े हो सकते हैं |आज इनसे तो कल किसी और से जुड़ते मिल जाते हैं |यहाँ इनमे कोई पार्टनर यदि गंभीर हुआ तो उसे सम्बन्ध टूटना धोखा लगता है |पहले से तो किसी ने कुछ पता किया नहीं होता और बस प्यार हो गया ,फिर जब हाथ से वह फिसलता है तो धोखा लगता है |
बहुत से ऐसे भी लोग मिलते हैं जो किसी उच्च ,समृद्ध घर की कन्या अथवा युवा पुरुष को देखकर ,अथवा किसी सुन्दर कन्या को देखकर स्वार्थवश सोची समझी योजना के साथ उसको प्यार में फंसाते हैं |यहाँ मकसद समृद्ध से विवाह कर सुखमय जीवन पाने की कामना या स्वार्थवश किसी का शोषण होता है |युवा का भी शोषण होता है और उसके पैसे पर मौज मस्ती होती है ,भले शादी हो पाए या नहीं |कई मामलों में यह युवा अपने परिवार के विरुद्ध खड़े भी हो जाते हैं |कभी कभी ब्लैकमेल की भी स्थितियां आती हैं |कोई व्यक्ति या युवा किसी कन्या को पैसे के लालच पर अथवा शादी का झांसा दे प्यार में फंसा लेता है और फिर कुछ समय बाद भागने लगता है |तब कन्या को यह धोखा लगता है |कोई कन्या किसी को पहले तो खूब यूज करती है फिर कन्नी काट लेती है और सम्बन्ध तोड़ किसी और से जुड़ जाती है अथवा कहीं और शादी करने लगती है या कर लेती है या परिवार के दबाव में अलग हो कहीं और विवाह करती है |ऐसे में वह युवा ठगा और धोखे का शिकार महसूस करता है |कुछ मामलों में विवाहित पुरुष -स्त्री के बीच भी प्यार पनप जाता है और किसी एक के हटने पर दुसरे को धोखा लगता है ,हटने का कारण कुछ भी हो |कभी कभी कोई युवती अथवा युवक किसी विवाहित पुरुष अथवा स्त्री को प्यार में फंसा लेता है और अपना स्वार्थ सिद्ध करता है |स्वार्थ पूरा होने पर वह भागने लगता है और फिर धोखे वाली स्थिति उत्पन्न होती है |
मानसिक चोट ,शारीरिक चोट से अधिक घातक होती है और व्यक्ति को तोड़ कर रख देती है |विकल्प तथा हल हर समस्या का होता है पर कोई विकल्प नहीं चाहता |चिंता ,तनाव ,उद्विग्नता ,खालीपन ऐसा घेरता है की व्यक्ति खुद को पंगु महसूस करता है और अच्छा भला क्षमतावान युवा अकर्मण्य ,असहाय ,चुका हुआ लगता है |कुछ गंभीर युवक /युवती को दुनिया उजड़ गयी लगती है और उन्हें कुछ नहीं दिखता ,पूरा भविष्य समाप्त लगता है ,चूंकि वह गंभीर होते हैं और लाहों सपने बन लिए होते हैं |सपने टूट जाने से उन्हें अब कुछ नहीं सूझता |इन मामलों में पहले तो हर युवक /युवती अपने स्तर से अपने साथी को पाना चाहता है |असफल होने पर घर -परिवार और दोस्तों -मित्रों की मदद ली जाती है और अंत में फिर कोई सफलता न मिलने पर ज्योतिषियों ,पंडितों ,ओझा -गुनिया ,साधुओं और तांत्रिकों की शरण ली जाती है |इंटरनेट पर तरीके ,उपाय ,टोटके खोजे जाते हैं ,आजमाए जाते हैं |यदि भाग्य ने साथ दिया तो कुछ मामलों में सफलता भी मिल जाती है परन्तु अधिकतर मामलों में असफलता ही हाथ लगती है |ऐसा नहीं है की टोटकों ,उपायों ,तरीकों में शक्ति नहीं होती और वे सफल नहीं बना सकते ,अपितु कारण यह होता है की सही तरीका ,पद्धति या तो बताई नहीं जाती या ज्ञात नहीं होती अथवा ऊर्जा संतुलन सही नहीं होता ,जितनी शक्ति की मात्रा किसी कार्य की सम्पन्नता के लिए चाहिए वह नहीं दे पाते और असफल होते हैं |
यहाँ भाग्य की भूमिका तो होती है और ज्योतिष यह तो बताता है की वापस खोया प्यार मिल सकता है या नहीं पर ज्योतिषीय उपायों की एक निश्चित सीमा होती है और वह सफल ही हो जाएँ जरुरी नहीं |ओझा -गुनिया कुछ मामलों में सफल हो जाते हैं जबकि व्यक्ति से संपर्क संभव हो |संपर्क संभव न हो तो मुश्किल हो जाता है |पंडित और कर्मकांड की प्रक्रिया लम्बी भी होती है और इसकी प्रक्रिया प्यार -मुहब्बत के लिए नहीं बनाई गयी होती |अधिकतर प्यार समाज यहाँ तक की परिवार से भी छिपा होता है ऐसे में पूजा पाठ ,कर्मकांड करना -कराना कठिन हो जाता है |इन मामलों में तंत्र और तांत्रिक कारगर होते हैं ,पर यदि वह वास्तव में जानकार हों और उन्हें ऊर्जा संतुलन के साथ तकनिकी समझ भी हो |आज के समय में अधिकतर ने तो दूकान ही खोली हुई है और लूट खसोट में ही लगे हुए हैं |प्यार -मुहब्बत के मामले तो यह खोजते रहते हैं जबकि पीड़ित व्यक्ति सब तरफ से निराश ,असहाय होता है और किसी को कुछ बता तक नहीं पाता |इंटरनेट पर तो तांत्रिकों ,बाबाओं ,बड़े बड़े नाम वाले सिद्धों ,साधकों ,साधुओं की बाढ़ आई हुई है और यह ऐसे मामले तो कुछ घंटों में हल करने का दावा करते हैं |व्यक्ति जब शुल्क भुगतान करता है तब फिर वह भुगतने लगता है इनके लूट को |बाद में या तो इनसे संपर्क मुश्किल हो जाता है ,या धमकियां मिलती हैं या अनेक बहाने बनाए जाते हैं और दुसरे दुसरे कारण बता और कुछ करने तथा भुगतान करने को कहा जाता है |पहले से मजबूर ,फंसा व्यक्ति या तो फिर किसी तरह शुल्क देता है या फिर चुपचाप बैठ दुसरे मार्ग तलाशने लगता है |अधिकतर ऐसे मामलों में वह निराश होता है और उसका विश्वास उठने लगता है |
हम चूंकि तंत्र क्षेत्र से जुड़े हुए हैं अतः इस तरह के मामले हमारे पास अक्सर आते रहते है ,जबकि हम खुले आम अपने पेज ,प्रोफाइल आदि पर लिखते रहे हैं की हम केवल विवाहित जोड़ों में से किसी की इस तरह के मामलों में मदद करते हैं जबकि पति या पत्नी में से कोई अपने पति या पत्नी को धोखा दे रहा हो अथवा कुछ गलत कर रहा हो |पर लोग हैं की मानते ही नहीं और रोज ही कोई न कोई संपर्क करता ही है |इनका भी दुःख देखा नहीं जाता ,इसलिए यह लेख दिमाग में आया और लिख रहे |सीधे इन मामलों में हस्तक्षेप के लिए हमारी नैतिकता अनुमति नहीं देती इसलिए कुछ मामलों में हमने लोगों को सलाह भी दिए हैं जबकि वह हर तरफ से निराश हो चुके थे और अपना धन भी उपायों आदि पर गँवा चुके थे |लगभग सभी मामलों में अच्छे परिणाम मिले ,क्योंकि सभी उपाय और प्रयोग हमने खुद पीड़ित करने को कहे |केवल तकनिकी ज्ञान प्रदान किया |इससे उन्हें स्वयं ऊर्जा मिली और उनके सीधे उस व्यक्ति से जुड़े होने के कारण ऊर्जा स्थानान्तरण सीधे हुआ जिससे वह सफल हुए |इस प्रकार वह धोखे और लूट से भी बचे |इस सम्बन्ध में हमारे कुछ सुझाव हैं ,यदि इन पर अमल किया जाए तो इस तरह के मामलों में सफलता बढ़ सकती है |
इस तरह के मामलों में तंत्र शत प्रतिशत कारगर है क्योंकि यह ऊर्जा प्राप्ति ,संरक्षण ,संचय और प्रक्षेपण का विज्ञानं है |असफल केवल वहां होता है जब शक्ति कम प्राप्त की जाए और प्रक्षेपित की जाए जबकि आवश्यकता अधिक हो |ऊर्जा प्रक्षेपण जाया कभी नहीं होता किन्तु कम ऊर्जा होने पर परिणाम दीखता नहीं और उद्देश्य सफल नहीं होता |सफलता पाने के लिए उचित शक्ति अथवा ऊर्जा की आवश्यकता होती है |इसीलिए अक्सर टोटकों ,उपायों आदि से काम नहीं बनता |दूर से अथवा तांत्रिक द्वारा की गयी क्रिया में कई गुना अधिक उर्जा /शक्ति की आवश्यकता होती है इसलिए जितने समय में खुद भुक्त भोगी अपना काम कर सकता है उससे अधिक समय और श्रम तांत्रिक को लगता है अथवा उसे अपनी संचित ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है |आज के समय में एक तो वैसे ही सच्चा तांत्रिक मिलना मुश्किल है ,दुसरे वह अपनी शक्ति खर्च कर किसी का काम करेगा मुश्किल होता है |कुछ लोग कुछ अनुष्ठान करते हैं उचित शुल्क मिलने पर ,किन्तु ऊर्जा मात्रा उपयुक्त हुई तो काम हो जाता है अन्यथा परिणाम नहीं मिलता |अधिकतर ऐसे अनुष्ठानों में खर्च अधिक आता है जबकि पीड़ित बहुत कम ऐसे होते हैं की उपयुक्त खर्च उठा सकें |
इस तरह के मामलों में सबसे अच्छा तरीका यही है की खुद व्यक्ति प्रयास करे |पहले किसी अच्छे जानकार तांत्रिक की तलाश करे |आँख मूंदकर यहाँ वहां पैसे न दे दे या किसी और के सहारे उद्देश्य पाने की कोशिस न करे |अच्छे से समझे उसके बाद उस तांत्रिक से सम्पर्क कर अपनी परिस्थिति ,उद्देश्य बताये |सामने वाले अपने साथी की स्थिति पृष्ठभूमि व्यक्त करे |कहीं भी कुछ भी न छिपाए ,चूंकि जब डाक्टर से रोग छिपाया जाएगा तो इलाज असफल हो जाएगा |सबकुछ बताने के बाद उससे उपयुक्त मंत्र ,पद्धति और तकनिकी ज्ञान प्रदान करने का अनुरोध करे |वह जो भी शुल्क कहे उसे प्रदान करे क्योकि यह सही तरीका है खुद में ही ऊर्जा पाने का |कई जगह लूट ,खसोट ,धोखे से बचने के लिए भी यह बेहतर है |यहाँ यह ध्यान रखे की यह तंत्र है और यहाँ गोपनीयता शास्त्रों में ही है अतः कभी भी मंत्र ,पद्धति ,तकनीक आदि किसी को न बताये |तीसरे तक पहुचते ही असफलता की संभावना शुरू हो जाती है | सम्पूर्ण तकनीक समझने के बाद खुद जुट जाए साधना या उपाय करने में |तब तक लगे रहे जब तक की काम न हो जाए |कभी यह न सोचे की इतने दिन में काम नहीं हुआ अतः छोड़ देते हैं |क्योकि सारा खेल ऊर्जा का है और जब तक पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न नहीं होगी और भेजी नहीं जायेगी तब तक सफलता नहीं मिलेगी |यदि बीच में ही उस साथी का विवाह हो जाए अथवा मिलने की सम्भावना समाप्त हो जाए तब उपाय छोड़ सकते हैं |कभी कभी ऐसा भी होता है की कोई पद्धति या प्रक्रिया सटीक नहीं बैठती और बीच में बदलाव चाहिए होता है |ऐसे में उस ज्ञानी तांत्रिक से सम्बन्ध बरक़रार रखना चाहिए और सलाह लेते रहना चाहिए |संभव है कोई मंत्र अथवा पद्धति कारगर न होने पर वह कोई और बदलाव करे और किसी अन्य पद्धति की सलाह दे |फिर उसका पालन गम्भीरता से करना चाहिए |यह स्थिति तब तक होनी चाहिए जब तक की सफलता न मिल जाए |उसके बाद उन्हें उपयुक्त दक्षिणा प्रदान कर आशीर्वाद लेना चाहिए जब सफल हो जाएँ |प्रक्रिया आदि किसी को नहीं बताना चाहिए ,यहाँ तक की साथी अथवा माता -पिता को भी नहीं |
किसी दुसरे द्वारा इतने समय और इतनी एकाग्रता से कोई ऊर्जा नहीं भेजी जा सकती जितनी एकाग्रता से और लगाव से व्यक्ति भेजता है अतः खुद उपाय अथवा प्रक्रिया करने से सफलता की उम्मीद अधिक हो जाती है |कोई भी ऊर्जा भेजने पर कुछ कारक बाधा उत्पन्न करते हैं अतः उन्हें नियंत्रित करने अथवा हटाने में समय लगता है |कुलदेवता /देवी ,स्थान पर सक्रीय शक्तिया ,ईष्ट देवता और आत्मबल इस तरह के ऊर्जा में बाधक होते हैं अतः कभी कभी लम्बी अवधि तक प्रक्रिय करनी पड़ जाती है जबकि कभी कभी कुछ ही दिनों में काम हो जाता है |कोई नहीं जानता की व्यक्ति का आत्मबल कितना मजबूत है ,उसके कुलदेवता /देवी में कितनी शक्ति है ,परिवार के ईष्ट देव कितनी सहायता कर रहे ,उस स्थान पर कितनी शक्ति से कोई शक्ति सक्रिय है |भले ही इसमें कई महीनो लगे किन्तु फिर भी यह सबसे बेहतर विकल्प है ,क्योकि इसी से अधिकतम सफलता पाई जा सकती है |हाँ प्रक्रिया में उग्र शक्ति का प्रयोग करने से सफलता की सम्भावना और बढ़ जाती है |छोटे -छोटे टोटकों ,उपायों को करने अथवा यहाँ वहां पैसे बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं | यदि मिलना होगा व्यक्ति का लक्षित तो इसी तरीके से मिलेगा ,जब बिलकुल किस्मत में ही नहीं होगा तो कोई प्रयोग या कोई तांत्रिक उसे नहीं दिला सकता |अधिक उपाय अथवा अनेक टोटकों के भी अपने दुष्प्रभाव होते हैं जो की व्यक्ति के मष्तिष्क पर कार्य करते हैं और कभी कभी यह आपस में टकराकर भी व्यर्थ हो जाते हैं अथवा समस्या को और उलझा देते हैं |इसलिए जो करें सोच समझकर करें |............................................................हर-हर महादेव 

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