Wednesday, 1 November 2017

डिप्रेशन [Depression] के प्रकार

डिप्रेशन [Depression] के प्रकार
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डिप्रेसन /अवसाद अथवा मानसिक दबाव कई तरह का होता है |कुछ गंभीर तो कुछ कम गंभीर |कुछ के प्रभाव दीर्घकालिक होते हैं तो कुछ के अल्पकालिक |
मेजर डिप्रेशन
----------------जब भी किसी का साथ अचानक छुट जाता है, तो आप इसे इमोशनल डिसऑर्डर कह सकते हैं। जब भी आप मेजर डिप्रेशन में होते हो, तो आप खुदकुशी की हद तक जा सकते हो।यूनिपोलर या मेजर डिप्रेशन तब माना जाता है जब आपमें अवसाद के पांच या अधिक लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे में कार्य करने, सोने, अध्ययन करने, खाने और सामान्य अनुभव की क्षमताएं बाधित या कम हो जाती हैं।
टिपिकल डिप्रेशन
-------------------यह ऐसा डिप्रेशन होता है जिसमे इन्सान अपनी ख़ुशी या गम को किसी के साथ शेयर नहीं करता।
साइकाटिक डिप्रेशन
----------------------यह ऐसी हालत होती है जिसमे रोगी को अनजान आवाजें सुनाई देती है, साथ ही काल्पनिक चीजों में उसे यकीन होने लगता है, उसे शक करने की बीमारी हो जाती है और वह खुद से ही बाते करने लगता है।घबरायें नहीं यदि आप गंभीर अवसाद के साथ किसी प्रकार की साइकोसिस जैसे कि डिल्यूजन (झूठे विश्वास), हैलुसिनेशन (ऐसी चीज़ें देखना या सुनना जो वास्तव में हों), या पैरानोइया (यह गलतफहमी कि अन्य लोग आपको नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं) का अनुभव कर रहे हैं। यह समय के साथ तथा सही उपचार द्वारा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
डिस्थायमिया
---------------जिन्दगी तो समान्य चल रही होती है, लेकिन वो अक्सर उदास रहते हैं वह अपनी लाइफ को इंजॉय नहीं करते। यह उदासी लगातार एक वर्ष से चली रही है तो इसे डिस्थायमिया कहते हैं।यह लक्षण कम से कम दो साल तक रहता है जिस दौरान आप अवसाद के गंभीर दौरों से प्रभावित होते हैं तथा इसके साथ ही अवसाद के कम से कम दो अन्य लक्षणों से भी पीड़ित होते हैं।अवसाद का यह स्थायी स्वरूप जो कि डिस्थाइमिया या मनस्ताप भी कहलाता है, आपकी कार्य करने की क्षमता को बाधित करता है।
पोस्टपॉर्टम
-------------जब भी महिलाओं की डिलीवरी होती है, तो कई बार महिला डिप्रेशन में चली जाती है। ऐसे डिप्रेशन को हम पोस्टपॉर्टम डिप्रेशन कह सकते हैं |यह प्रायः महिलाओं द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद अनुभव किया जाता है, इस प्रकार का अवसाद सामान्य 'बेबी ब्ल्यूज' से भिन्न होता है। हार्मोन तथा बड़े बड़े शारीरिक बदलाव और शिशु की जिम्मेदारी, कुछ माताओं को भार महसूस बहुत हो सकती है(?) लगभग 10-15% महिलाएं प्रसव के बाद अवसाद का अनुभव करती हैं।
मेनिया
--------- ऐसा हम चाहते है वैसा हो तो ऐसे में अक्सर मायूसी जाती है। इसमें व्यक्ति की भावनाओं तथा संवेग में कुछ समय के लिए असामान्य परिवर्तन जाते है, जिनका प्रभाव उसके व्यवहार, सोच और निद्रा पर पड़ता है।
उपचार प्रतिरोधी अवसाद (ट्रीटमेंट रेसिस्टेंट डिप्रेशन)
---------------------------------------------------------------यह स्थायी या पुराना हो सकता है और इसमें अवसाद निवारक दवाएं काम नहीं करतीं। समस्या की प्रकृति और गंभीरता के अनुसार ऐसे में प्रायः इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेपेरी (ईसीटी) का प्रयोग किया जाता है।
मैनिक डिप्रेसिव डिसआर्डर 
-------------------------------बाइपोलर अवसाद में उन्माद का स्तर घटता बढ़ता रहता हैं। इसके लक्षण हैं - अत्यधिक आत्म-सम्मान बोध, अनिद्रा, ज्यादा बोलना, तेजी से विचारों का आना , ध्यान भटकना, लक्ष्य-आधारित गतिविधि में वृद्धि या शारीरिक उत्तेजना और पीड़ादायक कामों से जुड़ना।
अप्रधान (सेकेंड्री) अवसाद
------------------------------क्या आप हाइपोथायराइडिज्म, स्ट्रोक, पार्किन्सन रोग, एड्‌स या किसी मनोवैज्ञानिक समस्या जैसे कि  स्कित्ज़ोफ्रेनिया, संत्रास या बुलीमिया से पीड़ित हैं या रहे हैं? इन बीमारियों के दौरान अनुभव किए गए भावनात्मक और शारीरिक कष्टों की वजह से आप में अवसाद के लक्षण पनप सकते हैं ।..........[ अगला अंक - डिप्रेसन के लक्षण ].....................................हर हर महादेव

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 


डिप्रेसन [Depression ] क्या है

अवसाद [Depression] /डिप्रेसन क्या है
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अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।डिप्रेशन किसी बीमारी का नाम नहीं है और ही यह कोई दिमागी फितूर होता है। यह एक ऐसी मानसिक हालत होती है, जिसमें इन्सान की सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है। वह किसी भी प्रकार का सही डिसीजन नहीं ले सकता। देखा जाए, तो डिप्रेशन ने एक बीमारी का रूप धारण कर लिया है जिसने बच्चों से लेकर बूढों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसका मुख्य कारण होता ही दुःख। जब भी हम अधिक दुखी हो जाते हैं तो हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है जिसके कारण हम डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।  
कारण
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अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण ,आनुवंशिकता ,मौसम में बदलाव ,हार्मोनल असंतुलन ,बीमारी ,कमजोरी ,तनाव नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अवसाद के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक ,आनुवंशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैव रासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है।इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं।इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में रहने दें। हंसाने की कोशिश करें।
मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं,लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं | इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है | इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं | मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पांच को अवसाद की आशंका रहती है |
अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का अवसाद आनुवांशिक होता है। अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। अवसाद के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है।

इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण जानने का प्रयत्न करें। अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा। घर में अन्य सदस्यों को अवसाद की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है। क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अवसाद ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है |......[ अगला अंक - डिप्रेसन के प्रकार ]..............................................हर हर महादेव 

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .