Sunday, 12 November 2017

अगिया बेताल साधना -1

अगिया बेताल साधना
==============[ प्रथम पद्धति ]
यह पद्धति बेताल के एक प्रकार अगिया बेताल की है ,जो शाबर मंत्र अर्थात नाथ सम्प्रदाय द्वारा बनाई गयी है |अगिया बेताल की साधना नाथ और सिद्ध परंपरा में अधिक विकसित हुई थी और इसके अनेक मंत्र तथा पद्धति इस परंपरा में विकसित किये गए |वाम मार्गीय साधना सबके वश की नहीं होती और जो केवल गुरुगम्य है उसे हम प्रकाशित नहीं कर सकते |जितना प्रकाशित किया जा सकता है वह हम लिखने का प्रयत्न कर रहे |
नीचे दिए गए मंत्र द्वारा साधक अकेले में किसी निर्जन स्थान अथवा पुराने शिव मंदिर या श्मशान में साधना कर सकता है |मंत्र बहुत उग्र नहीं किन्तु अगिया बेताल उग्र शक्ति तो है ही अतः जैसा की हमने पूर्व के लेखों में लिखा है वैसी सावधानियां और साधक की प्रकृति तो होनी ही चाहिए |
मंत्र - ॐ अगिया बेताल महाबेताल बैठ बेताल अग्नि अग्नि
      तेरे मुख में सवामन अग्नि महाविकराल फट स्वाहा ||
साधना विधि
--------------- अपने गुरु से अनुमति लेकर ,उनके द्वारा प्रदत्त रक्षा कवच पहनकर ही साधना करनी चाहिए |बेताल साधना में मंत्र संख्या का कोई महत्त्व नहीं कि इतनी संख्या में मंत्र जप पर बेताल सिद्ध हो जाएगा या आएगा इसलिए समय सीमा निश्चित करना अच्छा है की इतने समय तक जप करूँगा |माला रुद्राक्ष की होनी चाहिये |पूजन सामग्री साथ में हो जिससे पहले शिव जी की पूजा करें |एक माला और कुछ खाद्य पदार्थ हमेशा पास में होनी चाहिए जितने दिनों तक साधना चले |बेताल के उअपस्थित होने पर माला पहनाने को और नैवेद्य खिलाने या अर्पित करने को चाहिए होती है |

एकांत स्थान या शिव मंदिर का चुनाव कर गुरु अनुमति के बाद रक्षाकवच के साथ पहले कुछ दिन शिव मंदिर में मंत्र का जप करना चाहिए |पास में घास के सूखे फूस भी रखने चाहिए |कुछ दिन बाद मंत्र के साथ उड़द के दाने घास पर डालना शुरू करना चाहए |साधना क्रम में एक दिन एक समय ऐसा आता है जब मंत्र पढ़ते हुए घास पर उड़द के दाने डालते हुए सामने रखा घास फूस बिना अग्नि दिखाए अपने आप जलने लगता है |इस प्रकार स्वतः अग्नि प्रज्वलित होने का अर्थ है की बेताल प्रकट हो रहा है |इस प्रकार अपने आप अग्नि के जलते ही दाहिने हाथ से मेवे का प्रसाद रख दिया जाना चाहिए |यदि बेताल साकार रूप में प्रकट हो तो उसे देखकर भयभीत न हों |उसे श्रद्धापूर्वक नमस्कार कर माला पहना दें तथा साष्टांग दंडवत करें |निश्चित रूप से बेताल वर मांगने का आग्रह करेगा |तब श्रद्धा पूर्वक हाथ जोडकर निवेदन करें की मेरी जीभ पर निवास करने की कृपा करें |.........[अगला अंक -अगिया बेताल साधना द्वितीय पद्धति ]...............................................हर -हर महादेव 

विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

ताल बेताल साधना

ताल बेताल साधना
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यह प्रयोग एक वेताल साधना और सिद्धि है किन्तु यह साधना स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकती |न ही इस साधना को सामान्य व्यक्ति कर सकता है |इसके लिए शव की आवश्यकता होती है और पहले साधक को कामकला काली की साधना करनी होती है अर्थात कामकला काली का साधक ही इस साधना को कर सकता है |इसमें एक और दिक्कत है की मूल पद्धति में नर बली जैसी बात भी है जो की उपयुक्त नहीं |इसके स्थान पर अनुकल्प उपयोग हो सकते हैं आज के समय में |
यह साधना राजाओं आदि के लिए अधिक उपयुक्त रही है और बेहद तीव्र भयावह साधना है |इसके परिणाम भी बेहद तीव्र होते हैं |इस साधना को वीर वेताल साधना भी कहते हैं क्योंकि इसमें वीर के शव का भी उपयोग किया जाता है |कामकलाकाली के अंतर्गत इसकी साधना की जाती है ,क्योकि यह मूलतः काली की ही शक्ति है ,किन्तु कामकलाकाली के अंतर्गत आने वाली साधना राजाओं इत्यादि के अधिक अनुकूल रही है ,जिसमे योद्धा के सर सहित मृत शव पर साधना की जाती है और साधना में नर चोर की बलि दी जाती है ,परिणामस्वरुप मृत योद्धा और चोर ताल बेताल हो जाते हैं |
इस साधना में युद्ध में मरे योद्धा /वीर के शव को लाकर रखा जाता है |इसके बाद स्नान ,संध्यावंदन आदि करने के बाद राजा को कृष्ण चतुर्दशी की रात्री में एक वध्य पुरुष चोर को लाना होता है |इसके बाद शव पर आरूढ़ होकर पवित्र और निर्भय मंत्र का जप करना होता है |एक हजार या दो हजार जप के पूर्ण होने तक कपालिनी उस शव में प्रवेश कर आवेश उत्पन्न करती है |इसके बाद कपालिनी के लिए बली देनी होती है |

कामकला काली की साधना शुद्ध वाममार्गीय साधना है जहाँ मांस ,मदिरा आदि का प्रयोग होता है और इसमें बलि एक आवश्यक कर्म माना जाता है |कामकला ,काली का एक बेहद उग्र रूप है जिसमे सौम्यता और दयालुता जैसी भावना का प्रवेश वर्जित होता है |इनसे सम्बंधित साधनाओं में और इनके मंत्र के उप साधनाओं ,जैसे ताल -बेताल ,खेचरी ,पादुका आदि की सिद्धि में भी भावनाएं और कर्म कामकला काली साधना से ही होने चाहिए |आज के समय में ताल बेताल साधना एक कठिन साधना है और सामान्य के लिए है भी नहीं ,यद्यपि यह नहीं कहा जा सकता की कहीं कोई इसे नहीं कर रहा या नहीं कर सकता ,किन्तु सभ्य समाज में यह करना मुश्किल है |इसकी पद्धति और मंत्र ,प्रयोग विधि आदि देना इसीलिए उपयुक्त भी नहीं है |मात्र जानकारी हेतु इसके बारे में हम यहाँ लिख रहे ,चूंकि बेताल साधना के अंक हम लिख रहे क्रमशः |.......[अगला अंक - अगिया बेताल साधना [प्रथम पद्धति ].......................................................हर हर महादेव 

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बेताल और बेताल साधना

बेताल और बेताल साधना
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प्राचीन कथा साहित्य में बेताल का अनेकों प्रकार का उल्लेख आता है |वास्तव में बेताल कोई कथा जनित काल्पनिक पात्र न होकर वास्तविक शक्ति होता है |कई तांत्रिक ग्रंथों में भी बेताल का उल्लेख होता है |बेताल शक्ति के प्रतीक माने गए हैं और यह अनेकों प्रकार के कार्यों ,मनोरथों की पूर्ती में सहायक होते हैं |तंत्र शास्त्र इन्हें भगवान् शंकर का एक गण मानता है |तंत्र साधना से पूर्व बेताल साधना का उल्लेख नहीं मिलता है |इसलिए सामान्य मान्यता के अनुसार बेताल साधना तंत्र काल से ही प्रचलित मानी जाती है |विक्रमादित्य की कथाओं में बेताल का उल्लेख आया है |कथा साहित्य में बेताल का उल्लेख काल्पनिक भी हो सकता है लेकिन तंत्र शास्त्र में इन्हें पूर्ण मान्यता प्राप्त है |विक्रमादित्य से हजारों वर्ष पूर्व के तंत्रशास्त्र महाकाल संहिता के कामकला काली खंड में ताल बेताल या वीर बेताल की साधना और पद्धति का उल्लेख है ,यद्यपि यह सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं अपितु मात्र राजाओं के लिए ही है और उनके लिए ही संभव भी है |बाद के तंत्र शास्त्रों में इसका सरलीकरण हुआ है |
गुणधर्म ,स्वभाव एवं शक्ति के कारण बेताल को भूतों -प्रेतों तथा पिशाचों से उच्च माना गया है |यह सब भी रुद्रगण कहे गए हैं किन्तु इनकी शक्ति और स्थिति बेताल से नीचे होती है |बेताल के भी कई रूप होते हैं तथा इनकी सिद्धि की विधियां और मंत्र भी अलग अलग होते हैं |एक ही प्रकार के बेताल की भी अनेक विधियाँ और मंत्र होते हैं |बेताल की शक्ति कर्ण पिशाचिनी से अधिक होती है किन्तु सिद्धि के पश्चात साधक को संयमी और दृढ चरित्र बना रहना पड़ता है |वह कर्ण पिशाचिनी के साधक की तरह उछ्रिन्ख्ल जीवन नहीं जी सकता |
बेताल सिद्धि के लिए उत्सुक साधक को निर्भीक ,निडर और पूर्ण दुस्साहसी होना चाहिए |शक्ति के प्रतीक होने के कारण बेताल भी समस्त प्रकार के कार्यों ,मनोरथों को पूरा करने में सक्षम है |कर्ण पिशाचिनी के साधक की तरह बेताल सिद्धि प्राप्त साधक पर वैसा प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता जैसा प्रभाव कर्ण पिशाचिनी का उसके साधक पर पड़ता है |व्यक्ति के स्वाभाविक गुण और प्रभाव यथावत बने रहते हैं |बेताल की भूत ,भविष्य और वर्त्तमान तीनों में गति मानी गयी है अर्थात यह कर्ण पिशाचिनी की तरह मात्र भूत और वर्तमान में नहीं अपितु भविष्य में भी झाँक सकता है |इनका विशेष महत्व दिए गए कार्य को शीघ्र पूरा करने में माना गया है |सिद्धि के पश्चात् साधक ,बेताल से जो कुछ कहे वह उसे तत्काल पूरा करते हैं |
बेताल साधना घर पर नहीं हो सकती |इसकी साधना के लिए एकांत शिव मंदिर विशेष उपयुक्त है |श्मशान और हरे भरे घास के मैदान में भी बेताल की साधना की जा सकती है ,लेकिन स्थान एकांत होना चाहिए जहाँ किसी प्रकार का विघ्न न हो ,शोरगुल न हो तथा और व्यक्तियों का आवागमन न हो |यद्यपि आसुरी सिद्धियों की तरह बेताल न तो अपनी साधना में विघ्न ही पैदा करते हैं और न साधक को भयभीत ही करते हैं फिर भी तंत्र मन्त्र सिद्ध करने वाले साधक को पूर्ण निडर तथा दुस्साहसी होना चाहिए |बेताल के सभी स्वरूपों के आगमन की प्रक्रिया सामान नहीं होती |बेताल के एक स्वरुप अगिया बेताल का आगमन भयानक हो सकता है |जिसमे साधक की ओर आग की लपटें बढ़ सकती हैं ,प्रकृति की अन्य शक्तियों में विचलन होने से वह साधक को डरा सकती हैं |वातावरण भयानक हो सकता है |अचानक किसी उच्च अमानवीय शक्ति के सामने आने से भी व्यक्ति घबरा सकता है |ऐसी स्थिति में उसका नुक्सान हो सकता है अतः साधक को हिम्मती होना चाहिए |
प्रत्येक साधना के विधान में स्पष्ट उल्लेख रहता है की ईष्ट जिसे भी वह सिद्ध करना चाहता है ,उसके प्रकट होने पर उसके स्वरुप को देखकर साधक भयभीत और मूक न हो जाए ,साधना स्थल से भाग न खड़ा हो |ऐसा करने से साधना खंडित होकर निष्फल हो जाती है |कुछ अत्यंत उग्र सिद्धियों में तो साधना खंडित होने पर साधक स्मृति खो बैठते हैं ,पागल हो जाते हैं ,कोई महारोग हो जाता है अथवा मृत्यु हो जाती है |समस्त प्रकार की उग्र मंत्र तंत्र की साधनाएं न तो साधना द्वारा सिद्धि की सत्यता परखने के उद्देश्य से की जानी चाहिए और न केवल अनुभव प्राप्त करने के दृष्टिकोण से की जानी चाहिए |अन्यथा परख और अनुभव की जिज्ञासा ,दुर्घटना का शिकार बना सकते हैं |यह मंत्र तंत्र की उग्र साधनाएं अमानवीय शक्तियों की सिद्धि की हैं |इन्हें हार्दिक इच्छा ,पूर्ण संकल्प ,दृढ़ता ,आत्मविश्वास और साहस के साथ ही समस्त साधन तथा शक्ति होने पर ही करना चाहिए |
यदि बेताल की साधना में बेताल साकार रूप में प्रकट हो तो साधक को घबराना नहीं चाहिए |माला अर्पित कर प्रणिपात करे ,मंत्र का नम्रतापूर्वक पाठ करे |यद्यपि ऐसा कम ही होता है की बेताल साकार रूप में आये फिर भी आखिर बेताल का स्वरुप है साक्षात शक्ति का रूप |मनुष्य के लिए रोमान्चारी होगा यह अनुभव |लाख प्रयास करने पर भी व्यक्ति असंतुलित हो जाता है ,इसी स्थिति से उबरने को कहा गया है की बेताल के गले में माला पहनाकर उसके प्रति भक्ति प्रकट करे हुए प्रणिपात कर प्रणाम करना चाहिए |इससे साधक को साहस और शक्ति प्राप्त होती है |उसकी साधना असफल होने से बच जाती है |बेताल अग्नि के प्रतीक रूप में या शून्य में बोलते हुए प्रकट होता है |साक्षात साकार रूप में वह कम ही प्रकट होता है ,केवल साधक पर विशेष प्रसन्न होने पर ही बेताल साकार रूप में साधक को दर्शन देता है |यह समय साधक के जीवन का अभूतपूर्व और असाधारण समय होता है |
हम मूलतः काली के साधक हैं और तंत्र के क्षेत्र में रहते हुए कुछ बेताल साधकों से हमारा संपर्क भी रहा है और स्वयं के भी अनुभव इस साधना के सम्बन्ध में रहे हैं अतः हम बेताल साधना के इच्छुक साधको से कहना चाहेंगे की जब तक आपके पास गुरु न हों ,आपके गुरु सक्षम न हों आप इस तरह की साधना के बारे में सोचें भी नहीं |बिन गुरु के कभी बेताल साधना नहीं हो सकती |आपको सिद्धि तो मिलेगी नहीं ,आपका बहुत अधिक अहित अलग से हो सकता है |पहले गुरु तलाशिये ,वह भी ऐसा गुरु जिसने या तो बेताल साधना की हो या किसी उग्र महाविद्या को सिद्ध किया हो ,जैसे काली ,तारा ,बगला |इसके बाद ही आप उनकी अनुमति और मार्गदर्शन में आगे बढिए |भूत प्रेत की सिद्धि नहीं यह |बहुत उच्च शक्ति की साधना है जो आपके साथ किसी मंदिर शक्तिपीठ में भी जाती है |

बेताल साधना की सिद्धि की कोई समय सीमा निश्चित नहीं है |मात्र कुछ हजार या लाख ,सवा लाख मंत्र जपने से बेताल सिद्ध हो जाए जरुरी नहीं |केवल कुछ हजार मंत्र पर भी हो सकता है और कई लाख जपने पर भी हो सकता है |कुछ दिन में सिद्धि मिल सकती है और कई साल भी लग सकते हैं |सिद्धि व्यक्ति की शक्ति ,आत्मबल ,भावना आदि पर निर्भर करती है |एक बार साधना शुरू होने पर लगातार तब तक जारी रखनी होती है जब तक की सिद्धि न मिल जाए |.........[अगला अंक - ताल -बेताल साधना ]............................................हर-हर महादेव 

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Wednesday, 8 November 2017

वशीकरण और गुडमार

वशीकरण और गुडमार
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गुडमार एक बहुत प्रसिद्द वनस्पति है जिसका प्रयोग असाध्य बीमारी को दूर करने में किया जाता है |बहुत कम लोग जानते हैं की इसका प्रयोग तंत्र में भी होता है और वह भी बेहद प्रभावकारी रूप से |गुडमार से मधुमेह अर्थात डायबिटीज समूल नष्ट हो जाती है |इसका प्रयोग धन प्राप्ति के लिए ,आतंरिक कलह मिटाने के लिए ,व्यापारिक समस्या हटाने के लिए ,भूत प्रेत दूर करने के लिए ,मुकदमा जीतने के लिए ,परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए भी होता है किन्तु यहाँ हमारा विषय इसके सभी गुण लिखना नहीं है अपितु विशेष रूप से वशीकरण में इसका महत्त्व बताना है |हम प्रयोग भी नहीं बता रहे ,ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके |

वशीकरण प्रयोग में गुडमार की जड़ का प्रयोग किया जाता है और इसमें अलौकिक शक्ति निहित होती है |यह जड़ वशीकरण में चमत्कारी लाभ देती है |यदि कोई व्यक्ति अपने पति /पत्नी /प्रेमी /प्रेमिका /शत्रु /विरोधी /अधिकारी /कर्मचारी को अपने अनुकूल बनाना चाहे तो यह जड़ विशेष मंत्र का प्रयोग करते हुए विशेष दिन प्रयोग करने से अद्भुत लाभ देती है |शत्रु के लिए प्रयोग करने के लिए इसे शत्रु के मकान में विशेष दिन डालना होता है जबकि मित्र /प्रेमी /प्रेमिका आदि को विशेष प्रक्रिया से विशेष दिन चूर्ण करके खिलाना होता है |इस प्रकार के प्रयोग के बाद सम्बंधित व्यक्ति प्रयोग करने वाले के अनुकूल होता है अथवा वशीभूत होता है |.............................................हर हर महादेव 

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पत्नी /प्रेमिका वशीकरण ,वसुधा यन्त्र

पत्नी /प्रेमिका वशीकरण ,वसुधा यन्त्र
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वसुधा यन्त्र का प्रयोग अधिकार संपन्न पत्नी ,प्रेमिका अथवा महिला के लिए किया जाता है ,जो स्वतंत्र निर्णय की क्षमता रखती हो |अभिजात्य वर्गीय अथवा सभ्रांत परिवार की महिला .पत्नी की अनुकूलता ,कृपा ,समर्थन पाने के लिए यह यन्त्र अच्छा कार्य करता है |अपनी नौकरी ,व्यवसाय पेशा पत्नी अथवा प्रेमिका के लिए इस यन्त्र का प्रयोग उसे व्यक्ति के अनुकूल करता है |
इस यन्त्र की रचना जायफल की कलम से भोजपत्र पर की जाती है |स्याही के लिए कुंकुम ,कपूर और गोरोचन का प्रयोग किया जाता है |शुभ मुहूर्त अथवा अमृत सिद्धि योग में अपने ईष्ट आदि के पूजनोपरान्त ,अभीष्ट स्त्री का ध्यान करते हुए यन्त्र की रचना की जाती है |यन्त्र निर्माण के बाद उसकी गंध ,पुष्प ,धूप -दीप ,नैवेद्य आदि से पूजा करके एकाग्रचित्त होकर अभीष्ट रमणी के आगमन की भावना करते हुए कम से कम एक घंटे तक वशीकरण मंत्र का जप किया जाता है |रात्री के प्रथम प्रहर में पुनः एक घंटे उसी प्रकार मंत्र जप किया जाता है |इस प्रकार का क्रम आठ दिनों तक चलता है |इसके बाद यन्त्र को त्रिलौह के कवच में बंद किया जाता है |और आठवें दिन ब्राह्मण स्त्रियों की पूजा करके उन्हें दान आदि से संतुष्ट कर यन्त्र धारण किया जाता है |

यदि किसी अन्य के द्वारा यन्त्र बनवाया जाता है तब आठ दिन बनाने वाला ही जप करता है और फिर त्रिलौह अथवा चांदी के कवच में भरकर देता है |प्राप्तकर्ता स्वयं तब रात्री में २१ दिन वशीकरण मंत्र जप एक घंटे अभीष्ट स्त्री का ध्यान करते हुए करता है यन्त्र धारण करके |यन्त्र धारण से अभीष्ट स्त्री की अनुकूलता ,प्रेम प्राप्त होता है |..............................................................हर- हर महादेव 

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मानिनी आकर्षण यन्त्र [पुतली आकर्षण क्रिया ]

मानिनी आकर्षण यन्त्र [पुतली आकर्षण क्रिया ]
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अहंकार के कारण कभी कभी कोई स्त्री इतना अधिक मान कर बैठती है की व्यक्ति की मानसिक पीड़ा असह्य हो जाती है |ऐसी स्त्री को अपनी ओर आकृष्ट करने एवं अनुकूल बनाने में यह यन्त्र सफल होता है |
शुभ मुहूर्त में रात्री समय भोजपत्र पर इस यन्त्र की रचना की जाती है |लाख ,हल्दी और मजीठ को पानी में घिसकर स्याही बनाई जाती है और अनार की कलम से यन्त्र बनाया जाता है | अभीष्ट स्त्री के पैर टेल की मिटटी लाकर उससे एक नारी प्रतिमा बनाई जाती है जिसमे यदि सम्भव हो तो सम्बंधित स्त्री के कपड़े ,बाल आदि लगा दिए जाते हैं |प्रतिमा बनाते समय स्त्री का ध्यान करते हुए कल्पना की जाती है की यह वही स्त्री है और उसी की प्रतिमा है |इसके बाद यन्त्र को उसके गुप्तांग में स्थापित किया जाता है |
ध्यान रहे की पहले यन्त्र तैयार हो जाने पर उसकी धूप -दीप आदि से पंचोपचार पूजा कर लिया जाना चाहिए |उसके बाद ही पुतली [प्रतिमा ] के गुप्तांग में यन्त्र स्थापित किया जाना चाहिए | इसके बाद अभीष्ट स्त्री का ध्यान करते हुए आकर्षण मंत्र का कम से कम एक घंटे जप किया जाता है |इस प्रकार मंत्र -यन्त्र युक्त प्रतिमा को बाहर किसी निर्जन स्थान पर फिर रख आया जाता है  |यन्त्र में बीच के त्रिकोण में जहाँ बिंदु की लाइन बनी है वहां अभीष्ट स्त्री का नाम लिखा जाना चाहिए |

जब यह प्रयोग अपनी पत्नी अथवा प्रेमिका के लिए किया जाता है तब पुतली को घर के किसी कोने में रखा जाता है और रोज रात्री में एक घंटा मंत्र जप किया जाता है तब तक जब तक की वह पूरी तरह अनुकूल न हो जाए |इसके बाद पुतली को आसपास किसी निर्जन स्थान पर रख आना चाहिए |.........................................................हर-हर महादेव 

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Tuesday, 7 November 2017

प्रेमिका /पत्नी वशीकरण :: कामाक्षी यन्त्र

कामाक्षी यन्त्र - प्रेमिका वशीकरण हेतु
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इस यंत्र को दीवाली या अमावश्या की रात्री अथवा रवि पुष्य योग ,गुरु पुष्य योग या अक्षय तृतीया में निर्मित करें |इसे चमेली की कलम से भोजपत्र पर गोरोचन ,कुंकुम और कपूर की स्याही बनाकर लिखें |इसके बाद इस यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करें |प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ यंत्र को प्रतिमा मानते हुए पुष्प ,गंध और नैवेद्यादी से पूजा करें |
रात्री के समय स्नान आदि कर श्वेत धोती पहनकर एकांत में पूर्वाभिमुख होकर बैठें और यन्त्र को सामने रखें |पूजन कर घी का दीपक और अगर बत्ती /धुप जलाकर साध्य स्त्री के ध्यान में लीन हो जाएँ |इस समय में मन ही मन कामाक्षी प्रीयताम का उच्चारण करते रहें |प्रातः ब्राह्मण स्त्रियों को भोजन कराकर ,दान दक्षिणा देकर विदा करें और यन्त्र को त्रिलौह के कवच में भरकर गले या बाजू में धारण करें |
 किसी अन्य के लिए यह यन्त्र निर्मित किया जा रहा है तो यन्त्र बनाने वाला भगवती कामाक्षी का ध्यान करे और उपरोक्त प्रक्रिया कर धारक को प्रदान करे |इसके बाद धारक यन्त्र धारण कर रात्री में कामाक्षी प्रीयताम जपते हुए अपनी साध्य स्त्री का ध्यान करे कम से कम दो घंटे |यह प्रक्रिया वह कम से कम ११ दिन करे |यह भी ध्यान रहे की बार बार स्त्री का ध्यान न बदले और न ही ध्यान समय मन इधर उधर भटके |

जिस साध्य स्त्री का रात्री काल में स्मरण किया जाता है वह साधक के प्रति आकर्षित होती है और उसमे काम भावना उत्पन्न होती है और वह प्रयास पर जुड़ जाती है |मनोवांछित स्त्री की प्राप्ति का यह बड़ा प्रभावी यन्त्र है |.................................................हर-हर महादेव 

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सर्वजन वशीकरण यन्त्र


सर्व वशीकरण यन्त्र
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इस यन्त्र को वृहस्पतिवार से केसर की स्याही से एक सौ आठ यन्त्र प्रतिदिन लिखना चाहिए |लगातार २१ दिन यह करता जाए ,| पूरे यंत्रों को एक -एक करके चलते पानी में छोड़ता जाए ,| बाइसवें दिन अनार की कलम व केसर की स्याही से जो यन्त्र लिखा जाएगा वह ताबीज में भरकर साधक अपने गले में बाँध ले ,प्रेमी या प्रेमिका ,पति या पत्नी ,या इच्छित व्यक्ति साधक के पास भागा भागा चला आएगा |वशीकरण का यह सर्वोत्तम यन्त्र है |अधिक प्रभाव के लिए रोज यंत्र निर्माण के बाद १ माला वशीकरण मंत्र का जप करे |.................................................हर -हर महादेव 

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सर्व वशीकरण यन्त्र

सर्व वशीकरण यन्त्र
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यह सर्व वशीकरण यन्त्र किसी व्यक्ति विशेष के लिए निर्मित किया जाता है जिसको अनुकूल अथवा वशीकृत करना हो |यन्त्र को कुमकुम और गोरोचन के मिश्रण की स्याही से अनार की कलम से दीपावली , अमावश्य ,नवरात्र ,होली अथवा अमृत सिद्धि योग की रात्री में निर्मित करे |जहाँ नाम लिखना है वहां इच्छित व्यक्ति का नाम लिखे |और फिर विधिवत पूजन करे |इसके बाद काली अथवा लक्ष्मी या सरस्वती के मन्त्रों का कुछ मंत्र जप करे |यन्त्र को सुबह चांदी के कवच में धारण करे तो सर्व वशीकरण हो |अधिक प्रभाव हेतु रात्री में कम से कम ३ घंटे वशीकरण मंत्र का जप ११ दिन तक करें और फिर हवन करे |यन्त्र पूजन और अन्य मंत्र सुबह प्रतिदिन होता रहे ,वशीकरण मंत्र का जप रात्री में हो |हवन के बाद हवन के धुएं में कवच धूपित कर अपने ईष्ट को ध्यान कर ,कवच की पुनः पूजा कर गले में धारण करें |
इस यन्त्र के प्रभाव से लक्ष्य किया गया व्यक्ति अनुकूल होता है |उस पर वाशिकारक प्रभाव पड़ता है |किसी विशेष व्यक्ति के लिए इसका प्रभाव उत्तम होता है |इसका प्रयोग ,पति ,पत्नी ,अधिकारी ,कर्मचारी ,मित्र ,सहयोगी ,अथवा किसी भी लक्षित व्यक्ति के लिए किया जा सकता है |जो लोग स्वयं यन्त्र निर्मित कर पाने और अभिमंत्रित कर पाने में असमर्थ हों वह इसे हमारे केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं |इस अवस्था में यन्त्र अपना काम तो करता ही है ,अधिक प्रभाव पाने के लिए उपयुक्त मंत्र का एक -दो माला जप किया जाना अच्छा होता है |..............................................हर -हर महादेव 

विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

अधिकारी वशीकरण यन्त्र

अधिकारी वशीकरण यन्त्र
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यह यन्त्र उन कर्मचारियों के अधिक लाभप्रद है जिनका अपने उच्चधिकारियों से रोज सामना होता है अथवा जिन पर कोई अधिकारी विशेष रुष्ट चल रहा हो |यन्त्र प्रभाव से सम्बंधित उच्चाधिकारी अनुकूल हो जाता है और कर्मचारी की समस्या ,भावना ,आशय समझने लगता है |यह यन्त्र गोरोचन की स्याही से भोजपत्र पर अनार की कलम लेकर सोमवार को २ यंत्रों को लिखकर किसी मिटटी के नए छोटे बर्तन में अलग अलग स्थापित करके ,२१ दिन तक नियमित रूप से गंगाजल ,चावन [अक्षत ] ,फूल ,धुप ,दीप ,नैवेद्य से पूजा किया करे |पूजनोपरान्त वशीकरण मंत्र का कम से कम एक घंटा जप करे | २१ दिन के पश्चात भोजपत्र पर बने दोनों यंत्रों को बर्तन से निकालकर सामने रखे और वशीकरण मंत्र से ११ माला हवन करे |हवन के धुएं में यंत्रों को ढूपित करे |इसके बाद चांदी के ताबीज में भरकर धारण करे तो कठोर से कठोर अधिकारी भी साधक के अनुकूल हो जाता है |यदि यन्त्र निर्माण ,अभिमन्त्रण में समस्या हो ,खुद न कर सकते हों तो इस यन्त्र के लिए हमारे केंद्र से सम्पर्क किया जा सकता है |...........................................................हर -हर महादेव 

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