Tuesday, 3 October 2017

सूर्य पूजा

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जीवन में कर्म और धन को यश-प्रतिष्ठा पाने के लिए बेहद अहम माना गया है। कर्म की मजबूत इच्छाशक्ति या संकल्प से ही तमाम वैभव खिंचे चले आते हैं। वैसे भी लक्ष्मी ठहराव नहीं गति को पसंद करती है। सरल शब्दों में समझें तो काम ही कमाई का जरिया बन जीवन के हर मकसद को पूरा करते में मददगार बनता है। हिन्दू धर्म मान्यताओं में हर रोज साक्षात देवता सूर्य अपनी गति रोशनी से कर्म से वैभव ऊंचाई पाने की ऐसी ही प्रेरणा देते हैं। धार्मिक आस्था है कि सूर्य उपासना स्वास्थ्य, यश, ख्याति, समृद्धि देती है। इसलिए यहां बताए जा रहे सूर्य उपासना के 5 आसान उपाय मनचाहा काम, आमदनी प्रतिष्ठा पाने की कामना जल्द पूरी करने में बेहद प्रभावी माने गए हैं। ये उपाय जन्मकुण्डली में सूर्य दोष से मिलने वाले रोग, असफलता अपयश से भी बचाते हैं। इन उपायों का कोई दुस्प्रभाव नहीं है जैसा की रत्न आदि पहनने से हो सकता है ,बस ध्यान इतना ही हो की स्तोत्र आदि में त्रुटी न हो |यदि ज्योतिष और शास्त्र की मान्यता से भिन्न भी सोचें और वैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान दें तो सूर्य ही इस सौरमंडल में धनात्मक ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है |इसकी ऊर्जा बिन पूरा सौरमंडल समाप्त हो जाता है |जो भी पूजा पद्धतियाँ विकसित की गयी हैं सूर्य के लिए वह या तो प्रत्यक्ष इसकी ऊर्जा शरीर को प्रभावित करती हैं अथवा तरंगीय रूप से तारतम्य बनाती हैं अतः इनसे लाभ ही लाभ होता है |
हर रोज स्नान के बाद सुबह यथासंभव सूर्योदय के वक्त सूर्य को तांबे के कलश से लाल चंदन मिले जल से 'ऊँ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र बोलकर अर्घ्य दें। सूर्य प्रतिमा को लाल चंदन लगाकर इस सूर्य मंत्र का स्मरण करें या आदित्यहृदयस्त्रोत का पाठ करें
नम: सूर्याय नित्याय रवयेऽर्काय भानवे। 
भास्कराय मतङ्गाय मार्तण्डाय विवस्वते।। 
लाल चंदन का तिलक मस्तक पर लगाएं। तांबे का कड़ा हाथ में पहनें। गाय को पानी में थोड़े-से गेंहू भिगोकर खिलाएं।……………………………………………………………हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

मंत्र जप और नियम

::::::::::::::::::::मंत्र जप और नियम ::::::::::::::::::::
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यदि साधनाकाल में मंत्र जप के नियमों का पालन न किया जाए तो कभी-कभी बड़े घातक परिणाम सामने आ जाते हैं। प्रयोग करते समय तो विशेष सावधानी‍ बरतनी चाहिए। मंत्र उच्चारण की तनिक सी त्रुटि सारे करे-कराए पर पानी फेर सकत‍ी है। तथा गुरु के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन साधक ने अवश्‍य करना चाहिए। साधक को चाहिए कि वो प्रयोज्य वस्तुएँ जैसे- आसन, माला, वस्त्र, हवन सामग्री तथा अन्य नियमों जैसे- ीक्षा स्थान, समय और जप संख्या आदि का दृढ़तापूर्वक पालन करें, क्योंकि विपरीत आचरण करने से मंत्र और उसकी साधना निष्‍फल हो जाती है। जबकि विधिवत की गई साधना से इष्‍ट देवता की कृपा सुलभ रहती है। साधना काल में निम्न नियमों का पालन अनिवार्य है।
* जिसकी साधना की जा रही हो, उसके प्रति पूर्ण आस्था हो।
* मंत्र-साधना के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति।
* साधना-स्थल के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ-साथ साधन का स्थान, सामाजिक और पारिवारिक संपर्क से अलग-अलग हो।
* उपवास प्रश्रय और दूध-फल आदि का सात्विक भोजन किया जाए तथा श्रृंगार-प्रसाधन और कर्म विलासिता का त्याग आवश्यक है।
* साधना काल में भूमि शयन।
* वाणी का असंतुलन, कटु-भाषण, प्रलाप, मिथ्या वाचन आदि का त्याग करें और कोशिश मौन रहने की करें। निरंतर मंत्र जप अथवा इष्‍ट देवता का स्मरण-चिंतन आवश्‍यक है।
मंत्र साधना में प्राय: विघ्न-व्यवधान जाते हैं। निर्दोष रूप में कदाचित ही कोई साधक सफल हो पाता है, अन्यथा स्थान दोष, काल दोष, वस्तु दोष और विशेष कर उच्चारण दोष जैसे उपद्रव उत्पन्न होकर साधना को भ्रष्ट हो जाने पर जप तप और पूजा-पाठ निरर्थक हो जाता है। इसके समाधान हेतुआचार्यों ने काल, पात्र आदि के संबंध में अनेक प्रकार के सावधानीपरक निर्देश दिए हैं।...................................................हर-हर महादेव् 

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शाबर मन्त्रों को जगाने की विधि

~ साबर मंत्रो को जगाने की विधि ~
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किसी भी कारण से शाबर मन्त्र सुप्त हो तो इस विधि के बाद साबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !
|| मन्त्र ||
सत नमो आदेश !
गुरूजी !
ड़ार शाबर बर्भर जागे ,
जागे अढैया और बराट
मेरा जगाया जागे
तो तेरा नरक कुंड में वास !
दुहाई शाबरी माई की !
दुहाई शाबरनाथ की !
आदेश गुरु गोरख को !

|| विधि ||
इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उस पर गुगल डाले और इस मन्त्र का १०८ जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गुगल धुप रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको २१ दिन करनी है , अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी अनुभवी विद्वान साधक के मुख से ले ! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूरी है !

|| प्रयोग विधि ||

जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा ! यदि कोई मन्त्र बार बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले ! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे ! घी का दीपक जलाये , अग्नि पर गुगल की धुनि दे और इस मन्त्र को १०८ बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का १०८ बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक मिटटी का कलश ( घड़ा ) भी पहले से मंगवा कर रखे ! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे ! दुसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे ! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को !............................................................हर-हर महादेव 

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