Tuesday, 7 November 2017

मृत्युंजय [रुष्ट व्यक्ति अधिकारी ] वशीकरण यन्त्र

मृत्युंजय [रुष्ट व्यक्ति अधिकारी ] वशीकरण यन्त्र
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दो भोजपत्र के टुकड़ों पर लोहे की कील से दो यन्त्र लिखकर इन्हें परस्पर संपुटित [ जोड़ ]कर दें |धरती पर इसी अवस्था में रखकर उस पर कोई भारी पत्थर रखकर साधक ४ -5 कदम चले |यन्त्र के प्रभाव से रुष्ट व्यक्ति या अधिकारी अनुकूल होगा |अधिकारी को अपने अनुकूल बनाना हो या परिवार का कोई व्यक्ति रूठा हुआ हो उसे मनाना हो - तो यह एक अनुभूत प्रयोग है | ध्यान रहे की यन्त्र बनाने की साड़ी क्रिया व पत्थर रखने का काम तथा ४ -5 पग चलने का काम सब कुछ उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही करें |................................................हर -हर महादेव 

विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

पत्नी /प्रेमिका आकर्षण /वशीकरण यन्त्र [ पुतली विद्या ]

राकेश्वरी स्त्री [पत्नी -प्रेमिका ] आकर्षण यंत्र
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आधुनिक समय में जबकि सामाजिक -पारिवारिक बंधन ढीले हो रहे हैं ,स्त्री स्वाभिमान की भावना बढ़ रही है तो स्त्री स्वाभिमान अभिमान में भी बदल रहा है |मर्यादाएं टूट रही हैं |स्वतंत्रता की भावना बढ़ रही है और अपनी करने की धुन सवार हो रही |इन स्थितियों में पत्नी या प्रेमिका भी पति अथवा प्रेमी से दूरी बना ले रही |कभी कभी तो धोखा भी दे दे रही |कभी दोनों में तनाव इस हद तक जा रहा की दोनों दूर हो जा रहे |रिश्ते पहले की अपेक्षा जल्दी बिखर रहे |ऐसी परिस्थिति में यदि पति अथवा प्रेमी खुद को पीड़ित महसूस करे ,लुटा -पिटा महसूस करे तो इस यन्त्र का प्रयोग कर सकता है और अपनी रूठी या दूर हुई या बात न मानने वाली पत्नी या प्रेमिका को वशीभूत कर सकता है या कर्षित कर सकता है |यदि लगाव ,प्यार सच्चा है ,और व्यक्ति सही है तो उसकी समस्या सुलझ जाती है |
इस यन्त्र को भोजपत्र पर शुभ मुहूर्त में जैसे दीपावली ,होली ,नवरात्र ,अक्षय तृतीया ,अमृत सिद्धि योग आदि में शुद्ध गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर मदन वृक्ष [ मैनफल ] की लकड़ी से मनवांछित स्त्री की कल्पना करके प्रतिमा [मूर्ती ] बनाकर ,उसके ह्रदय में यह यन्त्र स्थापित कर ,लाल चन्दन व लाल रंग के फूलों से ,२१ दिन तक नियमित रूप से पूजा करे |
यदि केवल आकर्षण करना है तो ध्यान करे उसका यदि वशीकरण करना है तो वशीकरण मंत्र का कम से कम एक घंटा जप करे और लगातार उसका ध्यान करता रहे |यह क्रिया लगातार रात्री के समय २१ दिन करे | मनवांछित स्त्री मिलने की सम्भावना बने |किसी अनजान स्त्री ,युवती अथवा एक तरफ़ा प्यार में या मजबूत मनिबल वाली स्त्री या पतिव्रता गैर स्त्री पर इसका कोई प्रभाव न हो | अतः दुरुपयोग सोचकर क्रिया न करे ,असफलता हाथ लगती है | ध्यान रहे यन्त्र में प्रत्येक जगह जहाँ जहाँ देवदत्त के अक्षर आये हैं वहां पर स्त्री का नाम अक्षर गिनकर ऐसे स्थापित करें जैसे कमला देवी को "ॐ ह्रीं क ह्रीं म ह्रीं ला ह्रीं दे ह्रीं वी ह्रीं " आदि सम्पुट करके लिखे |................................................हर -हर महादेव

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स्त्री [ पत्नी -प्रेमिका ] आकर्षण यन्त्र

कामराज स्त्री [ पत्नी -प्रेमिका ] आकर्षण यन्त्र
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यदि किसी की स्त्री अथवा प्रेमिका उससे रूठकर दूर हो जाए या चली जाए तो इस स्थिति में आकर्षण की क्रिया की जाती है |आकर्षण में पुतली विद्या का प्रयोग बहुत कारगर होता है क्योकि इच्छित व्यक्ति दूर होता है या सामने नहीं होता |इसलिए वशीकरण की बजाय आकर्षण इसलिए अधिक प्रभावी होता है ताकि पहले इच्छित को बुलाया जा सके |पुतली विद्या में प्राण प्रतिष्ठा बेहद महत्वपूर्ण होता है जिसमे नक्षत्र ,मुहूर्त ,तांत्रिक पद्धति महत मायने रखती है |इस पद्धति में यन्त्र और पुतली दोनों का प्रयोग किया जाता है जिससे अधिक प्रभाव आता है |
भोजपत्र पर गोरोचन ,कुमकुम और श्री खंड और कस्तूरी से ,जाती वृक्ष की कलम से यन्त्र को लिखे और मदन वृक्ष [ मैनफल ] की लकड़ी से कामदेवी की प्रतिमा बनाकर उस नारी प्रतिमा के ह्रदय में यह यन्त्र रखकर रात्री के प्रथम प्रहर में पंचोपचार पूजनोपरान्त निम्न मंत्र का जप करे |
मंत्र - कामोअनंग पञ्च शराः कन्दर्पोमीन के तनः |श्री विष्णु तनयो देवः प्रसन्नो भवतु प्रभो |
यन्त्र में बीज मन्त्रों के बीच में इच्छित स्त्री का नाम लिखे |जैसे ऐं ह्रीं क्लीं ------ ऐं ह्रीं क्लीं |

तांत्रिक लोग उपरोक्त मंत्र के स्थान पर तांत्रिक आकर्षण मंत्र का प्रयोग करते या करवाते हैं |इनकी पद्धति में पुतली निर्माण यह खुद करके तांत्रिक प्राण प्रतिष्ठा करके उस व्यक्ति को प्रदान करते हैं जिसकी पत्नी या प्रेमिका दूर हुई हो |इसके बाद यन्त्र भी देकर मंत्र प्रदान करते हैं और तब पद्धति बता जप करने को कहते हैं |इस प्रकार व्यक्ति की सफलता बढ़ जाती है |.......................................................हर -हर महादेव

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चितबदला और वशीकरण

वशीकरण और चितबदला
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चित बदला एक पौधे और उसके फल का नाम तंत्र जगत में जाना जाता है |इसका वानस्पतिक नाम और भातीय नाम तो हमें भी नहीं पता पर इसके प्रयोग के किस्से हम बचपन से ही अपने गाँव के जीवन से सुनते आ रहे हैं |यह पारंपरिक गाँव आदि के तांत्रिकों द्वारा विशेष रूप से प्रयोग की जाने वाली तांत्रिक वनस्पति है जिसके पूरे पौधे का ही प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए होता है विशेषकर वशीकरण और चित्त बदलने के लिए |इसके प्रयोग की एक विशेष तकनीक है और यह खिलाने -पिलाने की वस्तु के रूप में प्रयोग की जाती है |हमारे खानदान के पूर्व के साधक इसका प्रयोग करते रहे हैं |
इसको विशेष तांत्रिक पद्धति से खिलाने के बाद व्यक्ति की सोच ,स्वभाव खिलाने वाले के प्रति बदल जाती है |तंत्र जगत में आने के बाद हमने इसका प्रयोग अनेक बार करवाया है और लगभग अधिकतर मामलों में सफलता मिली है |चितबदला के नाम से कई वनस्पतियाँ बाजार और तांत्रिक जड़ी बूटी वालों के यहाँ मिलती हैं |इसको पहचानना और उसका पूर्ण उपयोग जानना ही महत्वपूर्ण है |लकड़ी रूप में ,फल रूप में ,छोटी जड़ी रूप में भी यह मिलता है |फल में भी नर -मादा दोनों होते हैं |दोनों का प्रयोग अलग -अलग होता है और दोनों स्त्री या पुरुष को अलग अलग दी जाती हैं |जड़ का प्रयोग अलग और फल का प्रयोग अलग होता है |

चितबदला का प्रयोग सास -ससुर ,पति अथवा पत्नी ,मित्र ,विरोधी किसी के लिए भी किया जा सकता है |इसके प्रयोग के बाद व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और वह अपने स्वयं के चेतन में सबकुछ जानते समझते हुए भी खिलाने -पिलाने वाले के प्रति वशीभूत होने लगता है |उसके स्वभाव में परिवर्तन आने लगता है और उसका चित्त अर्थात मन बदलने लगता है |इसके प्रयोग में एक विशेष मंत्र का प्रयोग अभिमन्त्रण में किया जाता है जिसे हम यहाँ पर समाज हित में नहीं दे रहे ताकि कोई इसका दुरुपयोग न कर सके |इसी प्रकार इसको सप्ताह के विशेष दिन खिलाने पिलाने पर अधिक प्रभाव प्राप्त होता है |तांत्रिक प्रयोग के लिए इसका संग्रह भी विशेष दिन और विशेष तांत्रिक पद्धति से किया जाता है |................................................हर-हर महादेव 

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Saturday, 4 November 2017

सकल जन वशीकरण यन्त्र

सकल जन वशीकरण यन्त्र
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आज के संघर्ष ,द्वेष ,शत्रुता ,कटुता के युग में जीवन जीने की ही जद्दोजहद मुश्किल होती है उस पर अगर अच्छे पडोसी ,सहयोगी ,घर -परिवार वाले लोग न हों तो यह और भी मुश्किल हो जाता है |नौकरी में ,व्यवसाय में ,घर में ,बाहर में ,समाज में सब जगह लोगों क अनुकूलता अच्छे परिणाम ,लाभ और उन्नति देती है जबकि लोगों की अन्यामास्कता अथवा प्रतिकूलता उन्नति रोक देती है ,अशांति उत्पन्न करती है ,अनावश्यक तनाव, चिंता ,कष्ट देती और विपरीत परिणाम मिलते हैं |ऐसे में यदि थोड़ी सी पारलौकिक उर्जायुक्त कोई यन्त्र धारण करने से लाभ हो और लोगों की अनुकूलता मिले तो जीवन सरल हो जाता है |इसके लिए भारतीय ऋषियों ने सकल जन वशीकरण के लिए यन्त्र परिकल्पित किया है |
यह यन्त्र केवल दीपावली की रात्रि में लिखा जाता है |अनार की कलम की लेखनी और अष्टगंध की स्याही से इस यन्त्र को भोजपत्र पर लिखकर धूप -दीप से विधिवत पूजन कर और नैवेद्य आदि चढाकर निम्न मंत्र की ११ माला यानी ११८८ बार जप किया जाता है |
मंत्र
----- ॐ क्लीं ह्रीं श्रीं सर्वजन्य हृदयं माम् वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |

इसके बाद यन्त्र को चांदी के कवच में भरकर गले में धारण किया जाता है |सकलजन वशीकरण का यह बेहद प्रभावी यन्त्र और कवच है |और इसका प्रयोग बहुत अच्छा परिणाम देता है लोगों को अनुकूल और प्रभावित करने में |...................................................हर-हर महादेव 

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Friday, 3 November 2017

पति वशीकरण यन्त्र

पति वशीकरण यन्त्र
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भारतीय संस्कारों में कन्या का विवाह लगभग ऐसे व्यक्ति से होता है जो उसके लिए अनजान होता है |यहाँ पहले से संपर्क किसी कन्या का किसी पुरुष से कम ही होता है यद्यपि अब कुछ बदलाव हो रहे और कन्या और युवक एक दुसरे को समझने लगे हैं पहले से भी ,परन्तु फिर भी अधिकांश कन्याओं की स्थिति बंदिशों वाली होती है तथा लगभग अधिकतर की मर्जी उनकी शादी विवाह में नहीं चलती |ऐसे में बहुत से ऐसे मामले भी आते हैं जहाँ पति में कुछ या तो कमियां होती हैं ,या वह पहले से किसी से जुड़ा होता है ,या अपने माता -पिता की कुछ अधिक ही बात मानता है और पत्नी पर पर्याप्त ध्यान नहीं देता |कभी विचार नहीं मिलते तो कभी किसी अन्य तरह की समस्या आती है |कुल मिलाकर पत्नी को परेशानी और कष्ट पति को लेकर होता है और वह इसके लिए अनेक प्रयास करती है |इन मामलों में पति वशीकरण यन्त्र लाभप्रद होता है और पति को अनुकूल करता है |
इस यन्त्र का निर्माण शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की रात्रि में उत्तराभिमुख बैठकर भोजपत्र पर कुंकुम ,कस्तूरी और शुद्ध गोरोचन के मिश्रण से बनाया जाता है |लेखनी हेतु चमेली की लकड़ी की कलम का प्रयोग किया जाता है |इसके बाद यन्त्र की धुप -दीप -नैवेद्य से पूजा की जाती है |अगले दिन ब्राह्मण सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराकर ,दक्षिणा आदि से संतुष्ट कर विदा किया जाता है और यन्त्र को चांदी के ताबीज में बंद कर लाल धागे में धारण किया जाता है |यदि किसी साधक से यन्त्र बनवाया जाता है तो यन्त्र को सोमवार अथवा गुरूवार को पूजनोपरांत लाल धागे में गले में धारण किया जाता है |


यह यन्त्र उन स्त्रियों के लिए अधिक उपयोगी है जिनके पति उनकी उपेक्षा करके दूसरी स्त्रियों के चक्कर में पड़ जाते हैं अथवा लोगों के बहकावे में आ जाते हैं अथवा परिवार और पत्नी पर ठीक से ध्यान नहीं देते किन्ही कारणों से |पति को सही रास्ते पर लाने का यह सबसे उपयोगी यन्त्र है |इस यन्त्र को रोज पूजन के समय धुप आदि देती रहे अगर स्त्री तो इसकी शक्ति बरकरार रहती है और कुछ ही समय में पति उसकी ओर उन्मुख होकर अन्य स्त्रियों से मुंह मोड़ लेता है |लोगों की बजाय पत्नी की बात गंभीरता से सुनने लगता है और पत्नी के अनुसार व्यवहार करने की कोशिस करने लगता है |............................................................हर-हर महादेव 

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सास -ससुर वशीकरण यन्त्र /ताबीज और प्रयोग

सास -ससुर वशीकरण यन्त्र /ताबीज और प्रयोग
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नव विवाहित स्त्री के लिए सास -ससुर हमेशा से भय और समस्या के कारण लगते रहे हैं |अक्सर ऐसा भिन्न माहौल से किसी कन्या के नए घर में आने से होता है |हर सास -ससुर अपनी बहू से खराब व्यवहार नहीं करते और कुछ तो उसे अपनी पुत्री जैसा ही मानते हैं ,किन्तु बहुत से ऐसे सास -ससुर ,विशेषकर सास होते हैं जो अपनी बहू पर शासन की भावना रखते हैं |इन्हें लगता है की पत्नी आने के बाद उनका पुत्र उनके हाथ से निकल रहा या निकल जाएगा |अब अपने पुत्र पर तो जोर चलता नहीं अतः बहू पर ही जोर आजमाइश होती है |कभी कभी उसे प्रताड़ित भी किया जाता है तो कभी लालचवश भी परेशान किया जाता है |कभी ऐसा भी होता है की पुत्र को मजबूर करने को भी उसकी पत्नी को परेशान किया जाता है और कभी कभी पुत्र को ही बहू के विरुद्ध भड़काया जाता है ,भले विवाह खुद उन्होंने ही करवाया हो |
कुछ मामलों में पुरुष भी अपने सास -ससुर से परेशान होता है |आजकल के सास -ससुर अपनी पुत्री को ऐसा सिखा पढ़ाकर पति के घर भेजते हैं की वह वहां जाकर अपना ही चलाने की कोशिस करती है |न सास -ससुर की सुनती और इज्जत करती है और न पति के अनुसार ही चलती है |कुछ कन्याएं तो विवाह बाद अपने पति को उसके परिवार से ही अलग करने की कोशिस करती हैं |उसके माता -पिता अर्थात पति के सास -ससुर अपनी पुत्री को समझाने की बजाय उसे और बढ़ावा देते हैं |इन दोनों ही मामलों में पति अथवा पत्नी में से एक पीड़ित होता ही है और यहाँ सास -ससुर को अनुकूल करने अथवा वशीभूत करने की जरूरत पड़ती है |भारतीय ऋषियों ने इन समस्याओं के लिए अनेक उपाय और यन्त्र का आविष्कार किया ताकि लोग लाभान्वित हो सकें और अपना दाम्पत्य जीवन सुख पूर्वक ,प्रेम पूर्वक जी सकें |उपरोक्त यन्त्र ऐसा ही एक यन्त्र और प्रयोग है जिसे धारण कर और प्रयोग कर पति हो अथवा पत्नी अपने सास -ससुर को अपने अनुकूल कर सकती /सकता है |
इस यन्त्र की रचना किसी उत्तम शुभ मुहूर्त में की जाती है |यदि इसे पूर्णिमा में चन्द्रमा के प्रकाश में बनाया जाए तो यह अधिक प्रभावी होता है विशेषकर गुरु पूर्णिमा अथवा कार्तिक पूर्णिमा जैसा की हमने उपरोक्त यन्त्र किसी के लिए गुरु पूर्णिमा को निर्मित किया था और आज कार्तिक पूर्णिमा पर भी कुछ परेशान स्त्रियों और पुरुषों हेतु निर्मित कर रहे हैं |चूंकि सास -ससुर का व्यवहार उनके मन पर निर्भर करता है और मन का कारक चन्द्रमा होता है और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण बल के साथ उदित होता है अतः इस दिन इस उद्देश्य से बनाया यन्त्र अधिक प्रभावी होता है |
यन्त्र रचना भोजपत्र पर की जाती है जिसमे अष्टगंध की स्याही और अनार की कलम का उपयोग होता है |फिर उसकी विधिवत पूजा की जाती है और चांदी के ताबीज में भरकर धारण किया जाता है |ध्यान देना चाहिए की ताबीज चांदी का ही हो ,क्योंकि चांदी ,चन्द्रमा की धातु है |यन्त्र धारण के बाद रविवार -रविवार कुछ रविवार को जब तक की सास -ससुर अनुकूल न हो जाएँ इस यन्त्र को गेहूं की रोटी पर केशर के घोल  से लिखकर काले कुत्ते अथवा काली कुतिया को खिलाया जाता है |यह कार्य यन्त्र धारण करने वाले स्त्री अथवा पुरुष को करना होता है |स्त्री काली कुतिया को और पुरुष काले कुत्ते को रोटी खिलायेगा |इस प्रकार कुछ समय में सास -ससुर अनुकूल होने लगते हैं |............................................हर -हर महादेव 

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Thursday, 2 November 2017

वशीकरण /आकर्षण के दुष्प्रभाव /नुकसान

वशीकरण /आकर्षण के दुष्प्रभाव /नुकसान
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वशीकरण ,आकर्षण ,मोहित करना यानी मोहन इन्ही तीन तांत्रिक षट्कर्मों के प्रति आज के समय में लोगों में भारी रूचि देखि जा रही है |जब व्यक्ति खुद की क्षमता ,योग्यता ,कर्म ,आकर्षण शक्ति ,व्यक्तित्व से किसी को आकर्षित या अनुकूल नहीं कर पाता तो वह चाहता है की कोई ऐसी युक्ति मिले जिससे वह जिसे चाहता है उसे अपने अनुकूल कर सके ,अपने पर मोहित कर सके ,वशीकृत कर सके |यह चाहत उसे इन कर्मों की तरफ झुकाती है और वह रास्ते तलाश करने लगता है |बहुत से लोग ,विशेषकर महिलायें इसमें अधिक रूचि लेती हैं ,यद्यपि इनमे से अधिकतर की इच्छा अपना भला करने या अपने परिवार के व्यक्ति को ठीक करने की ही होती है ,परन्तु बहुत सी ऐसी महिलायें भी होती हैं जो दूसरों पर भी इसका उपयोग करना चाहती हैं |पुरुष -महिलाओं का अनुपात दूसरों पर प्रयोग करने में लगभग बराबर ही होता है पर पुरुष खुद नहीं करना चाहता और चाहता है की उसका काम कोई और कर दे ,जबकि महिला खुद भी प्रयास करने या टोटके करने में गुरेज नहीं करती |पुरुषों में विवाहित जल्दी खुद यह प्रयोग नहीं करना चाहता जब तक की मजबूरी न हो जाए ,युवक या अविवाहित या प्रेम प्रसंगों में फंसे युवा अधिक इनमे रूचि लेते हैं |महिलाओं में विवाहित अधिक रूचि लेती हैं जबकि अविवाहित युवतियां तभी प्रयास करती हैं जबकि उन्हें किसी को पाना हो जो उनसे जुड़ा हो या फिर धन और प्रतिष्ठा के आकांक्षा में |
इन मामलों में वशीकरण ही अधिक किया जाता है जबकि आकर्षण और मोहन के प्रयोग कम होते हैं |कुछ मामलों में सफलता भी मिलती है और कुछ में असफलता भी मिलती है ,किन्तु किये गए प्रयोग की ऊर्जा व्यर्थ नहीं जाती वह कहीं न कहीं तो क्रिया करती ही है ,भले सफलता मिले या न मिले |सफलता -असफलता ऊर्जा संतुलन का विज्ञान है जो कई कारकों पर निर्भर करता है |ऊर्जा संतुलन नहीं बना क्रिया असफल हो जायेगी |की गयी क्रिया असफल हो जाए पर भेजी उर्जा का रियेक्सन तो जरुर होता है ,दिखाई भले न दे |असफलता के कारण तो कई होते हैं पर एक कारण तो यह भी होता है की अधिकतर लोग यहाँ तक की अच्छे तांत्रिक भी यह नहीं समझ पाते की कहाँ वशीकरण का प्रयोग होना चाहिए ,कहाँ आकर्षण का और कहाँ मोहन का |जहाँ जिसका प्रयोग होना चाहिए ,उसके विपरीत प्रयोग परिणाम को असफल कर देगा किन्तु भेजी उर्जा कहीं न कहीं प्रभाव देगी और सम्बंधित व्यक्ति के मष्तिष्क पर बोझ तो डालेगी ही |
जब भी कोई क्रिया या पूजा -पाठ ,तंत्र -मंत्र किया जाता है तो वह तरंगों में बदल जाता है |जैसे बिजली के लिए कोयला ,ईंधन कहीं और जलाया जाता है और बिजली कहीं और तक पहुँचती है |टेलीवजन प्रोग्राम कहीं और बनते हैं और देखते कहीं और हैं लोग ,मोबाइल पर बोलते कहीं और से हैं और सुनते कहीं और से हैं |यह सब तरंगों से होता है |जो क्रिया होती है सब तरंग में बदल जाती है |पूजा -पाठ -साधना में लक्ष्य ईश्वर होता है ,जबकि वशीकरण ,मोहन आदि षट्कर्म में लक्ष्य व्यक्ति होता है |मोबाइल से कान में आवाज आती है और मष्तिष्क प्रभावित होता है ,यहाँ मष्तिष्क तक तरंग आती है और शरीर प्रभावित होता है |यदि पर्याप्त ऊर्जा रही तरंगों में तो सफल ,और पर्याप्त न रही तो असफल ,किन्तु जैसे लोहे पर हथौड़ा चलाने से निशाँ तो बन ही जाता है टूटे भले नहीं वैसे ही इसका भी प्रभाव तो हो ही जाता है काम भले न बने |ऐसा नहीं है की कोई क्रिया की जाए और वह व्यर्थ हो जाए ,वह प्रभाव जरुर दे जाती है |इसका असर यह होता है की किसी वास्तु पर जब कोई जोर लगा दिया जाय और उस पर चोट कर दिया जाय तो उसकी क्षमता पर प्रभाव तो पड़ ही जाता है ,साथ ही वह असंतुलित भी हो जाता है ,इसी तरह जब किसी पर कोई क्रिया कर दी जाए तो उसके मष्तिष्क पर तरंगों का बोझ तो बढ़ ही जाता है |कई क्रियाएं हो जाएँ तो मष्तिष्क असंतुलित भी हो सकता है |जैसे कहा जाता है की किसी उग्र शक्ति की साधना करने में पागल होने का भय होता है |इसका कारण यह होता है की उस शक्ति की ऊर्जा तरंगे व्यक्ति नहीं संभाल पाता और उसके मष्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है |
ऐसा ही कुछ यहाँ भी होता है |जब तरंगें भेजी जाती हैं तो वह मष्तिष्क पर भार बधा देती हैं |व्यक्ति की सोच ,चिंतन ,चेतन की समझ और अवचेतन की क्रिया को प्रभावित करती हैं जिससे व्यक्ति के मष्तिष्क से निकलने वाले निर्देश अनियमित होते हैं फलतः व्यक्ति का शरीर और रासायनिक क्रियाएं प्रभावित हो जाती हैं |व्यक्ति में परिवर्तन आने लगता है |सफल हो गयी क्रिया तो व्यक्ति किसी की ओर झुक जाता है ,नहीं हुई सफल क्रिया तो भी उसके दिमाग पर प्रभाव कुछ न कुछ तो आ ही जाता है और उसकी कार्यशैली ,कार्य क्षमता प्रभावित होने लगती है |इसी तरह की कई क्रियाएं व्यक्ति पर हो जाएँ तो उसका मष्तिष्क कुण्ड हो सकता है ,भले वह क्रियाएं अलग -अलग प्रकार की ही क्यूँ न हों |अक्सर सफल और उच्च लोग किसी न किसी गुरु अथवा तांत्रिक से सम्पर्क रखते हैं |इसका कारण केवल उनकी सफलता से सम्बन्धित ही नहीं होता ,अपितु उनकी सुरक्षा से भी होता है ,क्योंकि इस तरह की तांत्रिक अभिचारों का उन्हें भय होता ही है |क्रिया सफल भले न हो कोई किन्तु कोई न कोई प्रभाव तो देती ही है और कई क्रिया हो तो मिला जुला प्रभाव गंभीर हिकार व्यक्ति को असंतुलित कर सकता है या उसे कुण्ड कर सकता है ,इसलिए लोग सुरक्षा रखते हैं |कभी कभी यह भी सूना होगा की कोई व्यक्ति बहुत बुद्धिमान और सफल था किन्तु धीरे धीरे वह कुण्ड हो गया ,निर्णय गलत होने लगे ,दिनचर्या प्रभावित हो गयी ,रहन सहन बदल गया और अंततः असफल हो गया |इसका कारण बहुत सा हो सकता है किन्तु तांत्रिक अभिचारों से इनकार नहीं किया जा सकता |
आप किसी अपने को सुधारने या उसे सही रास्ते पर लाने के लिए कोई क्रिया कर रहे या करवा रहे ,अथवा अपने किसी प्रेमी -प्रेमिका ,पति -पत्नी या सगे -सम्बन्धी ,मित्र -परिजन के लिए क्रिया कर रहे या आप जिससे लगाव रखते हैं उसके लिए कोई क्रिया कर रहे अथवा किसी तांत्रिक से करवा रहे तो आप एक तरह से उसका नुक्सान कर रहे ,क्यंकि जो भी क्रिया आप कर रहे या करवा रहे उसका बोझ उस व्यक्ति के मष्तिष्क पर बढेगा ही बढेगा और थोडा ही सही उसका मष्तिष्क अपनी कार्यशैली बदलेगा जरुर ,दिखाई भले न दे |आप सफल होने तब भी ऐसा होगा और असफल होंगे तब भी ऐसा होगा |कई लोग क्रिया कर दें तो अलग ही प्रभाव आ जाएगा और व्यक्ति अनियंत्रित कार्य कर सकता है और उसके सोच का पता लगाना मुश्किल हो सकता है |इस प्रकार जिसे आप चाहते हैं उसका कहीं न कहीं से आप नुक्सान तो कर ही रहे अपने स्वार्थ में |वह आपको मिलता है या नहीं बाद की बात ,पहले ही आप उसका निकसान शुरू कर दिए |
यद्यपि मेरी बात लोग मानेंगे कहना मुश्किल है ,किन्तु कहना दायित्व बनता है |यदि आपका उद्देश्य यदि किसी को सुधारने का ,सही रास्ते पर लाने का हो तब तो ठीक है ,किन्तु यदि किसी को बेवजह वशीकृत करना चाहते हैं तो ऐसी क्रियाएं न करें |इससे आप उसकी क्षति कर रहे |किसी को वशीकरण आदि क्रिया से पाने का प्रयास न करें उसके मष्तिष्क की क्षमता आप प्रबावित करेंगे |अपनी योग्यता से उसे पायें |आपका उद्देश्य यदि अपने पति -पत्नी ,परिजन -सम्बन्धी ,मित्र -सहयोगी को सुधारने ,अनुकूल करने की है तो आप यहाँ वहां के टोटके न आजमायें उसपर ,छोटी -छोटी या ऐसी क्रियाएं न करें न करवाएं जिससे आपका काम न बने और उस व्यक्ति के मष्तिष्क पर मात्र बोझ बढ़े |आपका काम तो होगा नहीं व्यक्ति पर भार अवश्य बढ़ जाएगा |जब तक सही तरीका और पर्याप्त शक्ति /ऊर्जा की क्रिया न मिले आप न करें ,न करवाएं |ऐसा करें की काम हो ही जाए |आखिर आप किसी अपने के लिए ही क्रिया कर रहे |ऐसा करें की उसका नुक्सान न हो |जब आपका काम हो जाए तो आप उसके ऊपर ऐसी जो भी क्रियाएं हैं उन्हें हटाने का भी प्रयत्न करें जिससे उसके जो नैसर्गिक गुण हैं जो वास्तविक ग्रह प्रभाव हैं ,उनके अनुसार व्यक्ति कार्य कर सके |आप उसकी सुरक्षा की व्यवस्था करें ताकि फिर उसपर कोई ऐसी क्रिया प्रभाव न डाल पाए |आपको लगता हो की आप पर या आपके किसी परिजन पर ऐसा कुछ है तो उसे हटाने का और फिर दुबारा न हो इसकी सुरक्षा की व्यवस्था करें |इससे उसके या आपके मष्तिष्क पर एक अतिरिक्त बोझ होगा जो कहीं न कहीं प्रभाव डाल रहा होगा |.........................................................हर -हर महादेव 




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Wednesday, 1 November 2017

डिप्रेसन [Depression]/अवसाद की समग्र चिकित्सा और उपाय

डिप्रेसन [Depression]/अवसाद की समग्र चिकित्सा और उपाय
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डिप्रेसन अथवा अवसाद आज के समय में बूढ़े से लेकर बच्चों तक को प्रभावित कर रहा और अधिकतर आत्महत्या में आज इसकी भूमिका दिखती है |यह हर दस में से एक व्यक्ति में दिख रहा है अतः इसने हमें बहुत उद्वेलित किया और हमने इस पर गंभीर चिंतन और विचार किया |हमारा क्षेत्र तंत्र और मनोविज्ञान का रहा है जबकि हम पूर्व में विज्ञानं के छात्र रहे हैं ,अतः इस समस्या की गंभीरता ,कारण ,प्रभाव और निवारण समझने में हमें कुछ आसानी हुई और हमने एक समग्र चिकित्सा अथवा उपचार पद्धति निर्मित की है |यदि पूरी प्रक्रिया अपनाई जाए तो डिप्रेसन से छुटकारा मिल सकता है ,जैसा की हमने कुछ मामलों में प्रयोग किया और अच्छे परिणाम पाए हैं |डिप्रेसन से छुटकारा के लिए क्रमशः नीं बिन्दुओं पर ध्यान देने और उपाय करने से शीघ्र सहायता मिलती है |
. जैसा की हमने डिप्रेसन से सम्बंधित अपने चतुर्थ लेख "डिप्रेसन से बचाव और चिकित्सा " में लिखा है ,उसके अनुसार डिप्रेसन ग्रस्त से व्यवहार करना चाहिए ,उसे उत्प्रेरित करना चाहिए और खुद डिप्रेसन ग्रस्त को उन सुझावों के अनुसार क्रियाकलाप रखनी चाहिए |वाह्य वातावरण से सम्पर्क ,लोगों से मिलना जुलना ,खेलना कूदना ,व्यायाम ,प्राणायाम इसमें सहायक होता है |नकारात्मक विचारों से बचना ,पुरानी भूलों को भूलना ,अच्छे दोस्तों से मिलना जुलना ,बुरे दोस्तों से दूर रहना ,नकारात्मक और निराशा की बात करने वालों से दूर रहना ,पूरी नींद लेना लाभ देता है |इसके साथ ही सुझाए गए घरेलु मसालों का उपयोग करते रहना चाहिए |
. डिप्रेसन ग्रस्त व्यक्ति को यह महसूस नहीं होना चाहिए की उसे कोई मानसिक बीमारी हो गयी है ,अन्यथा उसका मनोबल और गिर जाएगा ,जबकि उसे मनोवैज्ञानिक सहायता भी लेनी चाहिए |ऐसे में उसका संपर्क ऐसे लोगों से कराना चाहिए जो मनोविज्ञान की समझ रखते हों ,जो बुजुर्ग और अनुभवी हों ,समझदार और सामाजिक हों |यदि वह खुद तैयार हो तो उसका सम्पर्क मनोवैज्ञानिक से करवाना चाहिए |उसकी काउंसिलिंग करानी चाहिए |उसके मनोबल ,आत्मविश्वास ,साहस ,सक्रियता बढानी चाहिए और उसमे गहर कर रह कमियां अथवा हीन भावना को दूर करना चाहिए |इस हेतु उसका अवचेतन सुधारना सबसे बेहतर विकल्प होता है जो जीवन भर के लिए उसे सशक्त बना देता है |इस प्रक्रिया में कुछ बेहतरीन आत्मबल ,मनोबल ,आत्मविश्वास जगाने वाली ,खुद पर भरोसा और क्षमता उत्पन्न करने की भावना वाली लाइनें बनाई जाती हैं और एक निश्चित अवधि के अंतराल में और प्रक्रिया के तहत उन्हें कुछ दिन दोहराया जाता है जिससे हीन भावना ,सम्बन्धित दोष निकल जाता है ,सबंधित समस्या के प्रति नजरिया बदल जाता है ,खुद पर भरोसा बढ़ जाता है और तनाव ,दबाव ,निराशा ,उलझन दूर हो नई ऊर्जा ,चेतना ,समझ ,उत्साह ,आत्मविश्वास विकसित होता है जो सदैव के लिए मजबूत कर देता है और अवचेतन में भरी बुरी आदतें और नकारात्मक विचार निकाल देता है |इन्ही नकारात्मक विचारों से ही डिप्रेसन उत्पन्न होता है |
. जितना भी सम्भव हो एलोपैथिक ,आयुर्वेदिक जैसी रासायनिक दवाइयों और चिकित्सकों से बचना चाहिए ,क्योकि यह एक मानसिक बीमारी है और इसका प्रभाव मन पर होता है |दवाएं मात्र इसे दबा देती  हैं तात्कालिक रूप से ,मन में उस समय वह विचार न आये इसलिए मन और शरीर को सुस्त कर देती हैं अथवा नींद दे देती हैं |स्थायी इलाज दवाओं से इसका सम्भव नहीं होता क्योकि उः कोई शारीरिक समस्या नहीं है |यहाँ मनोवैज्ञानिक चिकित्सा अधिक बेहतर होती है |
. जैसा की हमने अपने पांचवें लेख "डिप्रेसन के ज्योतिषीय और तंत्रिकीय उपचार " में विश्लेष्ण किया है और लिखा है उसके अनुसार व्यक्ति के लिए किसी अच्छे बुजुर्ग ज्ञानी वैदिक ज्योतिषी से विश्लेष्ण कराना चाहिए |ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति और उसके मन पर बहुत अधिक और निर्विवाद रूप से पड़ता है और इनकी स्थिति सुधारने से व्यक्ति की सोच ,समझ ,विचार ,कार्यप्रणाली सबकुछ बदलता है |ज्ञानी के परामर्श के अनुसार रत्न आदि धारण करने चाहिए और उपाय करने चाहिए |इनसे शीघ्र सहायता मिलती है |
५.जैसा की हमने अपने पांचवें लेख "डिप्रेसन के ज्योतिषीय और तंत्रिकीय उपचार " में लिखा है व्यक्ति का किसी अच्छे तांत्रिक अथवा देवी साधक से परिक्षण कराना चाहिए ,क्योकि कोई माने अथवा न माने नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव पड़ता ही है |इसका प्रमाण अमावश्या और पूर्णिमा को ऐसे लोगों में अधिक मानसिक विचलन है |पूर्ण विवेचन तो हमने अपने पिछले पोस्ट में किया ही है ,यहाँ हम इतना ही कहना चाहेंगे की ऐसे लोगों किसी नकारात्मक उर्जा ,शक्ति या अभिचार का प्रभाव हो या नहीं ,इन्हें काली जैसी उग्र शक्ति का कवच [यन्त्र ]चांदी में धारण कराना चाहिए |यह कई क्षेत्रों में काम करता है |यह ग्रहों जैसे शनि ,राहू ,केतु आदि को नियंत्रित करता है |नकारात्मक ऊर्जा /शक्ति /अभिचार को दूर करता है |आत्मबल ,मनोबल ,आत्मविश्वास ,साहस ,कार्य क्षमता बढाता है |औरा या आभामंडल की नकारात्मकता दूर करता है |नई ऊर्जा देता है |शारीरिक सक्रियता ,उत्साह बढाता है अतः यह बेहद लाभकारी होता है ऐसे लोगों के लिए |
इस प्रकार हम पाते हैं की बजाय एक तरह से उपाय करने के अगर कई क्षेत्रों में थोडा थोडा ध्यान दिया जाय तो व्यक्ति का डिप्रेसन समाप्त होता है और वह अपनी पूर्व की स्थिति में लौट आता है |अब तक यह प्रक्रिया कारगर रही है और अच्छे परिणाम मिले हैं अतः हमने इन्हें अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर दिया |यदि कोई ऐसी समस्या से ग्रस्त हो तो वह लाभ उठा सकता है |
विशेष
--------- हम इस लेख से सम्बंधित बिन्दुओं २ ,४ और ५ से सम्बंधित उपायों हेतु सहायत कर सकते हैं जबकि अन्य बिंदु स्वयं व्यक्ति अथवा उसके परिवार या जानकार को करने होंगे |...धन्यवाद ................................................हर हर महादेव

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 


डिप्रेसन [Depression] /अवसाद और ज्योतिषीय /तांत्रिक उपचार

डिप्रेसन [Depression] /अवसाद और ज्योतिषीय /तांत्रिक उपचार 
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डिप्रेसन अथवा अवसाद में मन की भूमिका सर्वोपरि होती है जबकि इसके प्रभाव से शारीरिक रूप से व्यक्ति खुद को पंगु समझने लगता है |मन जब अशांत हो ,दब गया हो तो शरीर की सुध जाती रहती है |न कुछ अच्छा लगता है न कुछ करने की इच्छा होती है |कभी कभी तो जीवन समाप्त कर देने की इच्छा उत्पन्न हो जाती है और जीवन व्यर्थ लगता है |कोई उद्देश्य समझ नहीं आता ,कोई लक्ष्य और प्रेरणा नहीं समझ आती |इसके कारण अनेक हो सकते हैं |यह कारण सामाजिक ,पारिवारिक ,आर्थिक ,शैक्षिक ,व्यावसायिक अथवा स्वयं के कारण उत्पन्न हुए हो सकते हैं किन्तु प्रभाव मन पर ही आता है |गृह दशाओं में परिवर्तन अथवा चन्द्रमा के प्रभाव से भी यह उत्पन्न होता है |कुछ लोगों के जीवन में चन्द्रमा आदि की स्थिति के कारण जीवन भर ऐसी स्थितियां उत्पन्न होने की संभावना होती हैं |
यह प्रभाव जब उत्पन्न होता है तो मनोबल गिर जाता है |आत्मविश्वास समाप्त हो जाता है |कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है |सकारात्मक विचारों की बजाय नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते हैं |अच्छे सुझाव भी बुरे लगते हैं |मन विचलित रहता है और ख़ुशी के पल भी खुश नहीं रख पाते |या तो मानसिक चंचलता बहुत बढ़ जाती है जो उद्विग्नता का रूप लेती है अथवा बिलकुल ही कम हो जाती है और गम्भीर निराशा उत्पन्न कर देती है |चिंता जैसी स्थिति लगातार बनी रहती है और एकांत पसंद आने लगता है |व्यक्ति लोगों से दूर भागता है और उसे बातचीत करने में रूचि कम हो जाती है |स्वभाव मे चिडचिडापन आ जाता है |कभी कभी वह पागलों सी हरकत करता है अथवा खुद से खुद ही बातें करने लगता है |इस स्थिति में उसे नकारात्मक शक्तियाँ ,उर्जायें और प्रभाव घेर लेते हैं क्योंकि मनोबल और आत्मविश्वास गिरा होता है |औरा अथवा आभामंडल कमजोर होता है |कभी कभी जो अभिचार अथवा वायव्य बाधाएं सामान्य स्थितियों में प्रभावित नहीं कर पाती ,इस स्थिति में प्रभावित कर देती हैं और उभर आती है जिससे स्थिति केवल मनोवैज्ञानिक न रहकर अलग रूप ले लेती है |
डिप्रेसन की अवस्था में सबसे पहले तो यह आवश्यक हो जाता है की तत्काल अच्छे जानकार और पुराने वैदिक ज्योतिषी से सम्पर्क कर समस्याग्रस्त के गृह गोचरों का पूर्ण विश्लेष्ण कराया जाए |कमजोर ग्रहों के उपाय किये जाएँ और रत्नादि धारण कराये जाएँ |आवश्यक नहीं की वह ग्रह सीधे मन को प्रभावित कर रहे हों या नहीं |क्योकि वह ग्रह भिन्न समस्याएं भी दे रहा हो सकता है जिस समस्या के कारण चिंता और परेशानी उत्पन्न हो रही हो और अंततः डिप्रेसन की स्थिति बन रही हो |
ज्योतिषीय समाधान के बाद व्यक्ति का तंत्रिकीय विश्लेष्ण भी जरुर कराना चाहिए की उसे कोई नकारात्मक ऊर्जा तो नहीं प्रभावित कर रही |जरुरी नहीं की यह ऊर्जा या शक्ति ही डिप्रेसन का कारण हो ,अपितु यह बाद में भी कमजोर पाकर पीड़ित को और पीड़ित कर सकती है |यह देखना भी आवश्यक हो जाता है की पीड़ित पर कोई अभिचार अथवा तांत्रिक क्रिया तो नहीं की गयी जिससे उसकी समस्याएं बढ़ गयी हों और वह डिप्रेसन में चला गया हो |यह भी देखना चाहिए की कहीं व्यक्ति को पूर्णिमा और अमावश्या को अधिक परेशानी तो नहीं होती |यदि पूर्णिमा और अमावश्या को अधिक परेशानी हो रही है तो सीधा मतलब है की व्यक्ति की समस्या चन्द्रमा और नकारात्मक शक्तियों से उत्पन्न हुई है |पूर्णिमा को चन्द्रमा की प्रबलता होती है और मनुष्य शरीर में लगभग 70 प्रतिशत जल होने से चन्द्रमा का प्रभाव पूर्णिमा को अधिक पड़ता है |चन्द्रमा का सम्बन्ध मन से होता है और यह मन को विचलित और उद्विग्न कर देता है |कभी यह मन को बहुत चंचल कर देता है जिससे घबराहट और उद्विग्नता ,बेचैनी उत्पन्न होती है तो कभी घोर निराशा में ला देता है |यह स्थितियां व्यक्ति के लिए चन्द्रमा के निश्चित प्रभाव पर निर्भर करती हैं |
अमावश्या को चन्द्रमा का बिलकुल ही प्रभाव समाप्त हो जाता है और इस समय पृथ्वी की सतह पर क्रियाशील नकारात्मक शक्तियाँ बहुत ही प्रबल हो जाती है |यह व्यक्ति को भयालू ,पतले रक्त का ,डरपोक पाकर प्रभावित कर देती हैं |अमावश्या को ही सूर्य को ग्रहण लगता है और राहू का प्रभाव पृथ्वी के आसपास ही इस समय होता है |ग्रहण भले हर अमावश्या को न लगे किन्तु राहू का प्रभाव हर अमावश्या को आसपास ही होने से नकारात्मक और हानिकारण उर्जाओं और शक्तियों की प्रबलता होती है जो की मन को प्रभावित करती हैं और वातावरण में अजीब सी भयानकता उत्पन्न करती हैं }कमजोर प्रकृति के पुरुष और सामान्य महिलायें इस समय प्रभावित हो सकते हैं |एक बार प्रभाव उत्पन्न होने पर अस्तव्यस्तता ,उलझनें ,समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो जाती हैं और यह फिर डिप्रेसन का रूप ले लेती हैं |यह डिप्रेसन पूर्णिमा और अमावश्या पर दो अलग कारणों से बढ़ता रहता है |ऐसे लोगों को अक्सर पूजा ,देवता ,त्यौहार ,पर्व ,नवरात्र ,शक्ति स्थल से भी घबराहट होती है और यह बेचैन होते हैं |यह सब तंत्र का विषय है और ज्ञानी तांत्रिक ही इसका समाधान कर सकता है |
डिप्रेसन ग्रस्त व्यक्ति को कोई नकारात्मक शक्ति या ऊर्जा प्रभावित कर रही हो या नहीं ,चन्द्रमा की स्थिति के कारण डिप्रेसन उत्पन्न हो रहा हो या नहीं ,उसका आत्मबल ,आत्मविश्वास और शारीरिक सुरक्षा जरुर से बढाना चाहिए |उसके औरा अर्थात आभामंडल को जरुर सुधारना चाहिए |उसकी शारीरिक चंचलता ,साहस ,उत्साह जरुर बढाना चाहिए |इसके लिए भगवती काली का यन्त्र चांदी के कवच में धारण कराना बहुत कारगर होता है |यह उपरोक्त सभी कार्य करता और प्रभाव देता है ,साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा ,शक्ति या प्रभाव को भी कम करता है या हटाता है |शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है और भावनात्मक कोमलता कम करता है |निराशा ,मानसिक विचलन ,उद्विग्नता ,घबराहट कम कर नया उत्साह और ऊर्जा देता है जिससे डिप्रेसन ग्रस्त व्यक्ति को राहत मिलती है |यह शनी ग्रह को भी नियंत्रित करता है और शनी के सहयोग के बिन राहू -केतु तथा नाकारात्मक ऊर्जा अधिक क्रियाशील नहीं होते |शनी की पीड़ा तो कम होती ही है ,चन्द्रमा द्वारा उत्पन्न मानसिक विचलन भी मानसिक ,शारीरिक ऊर्जा बढने से कम हो जाती है |यदि व्यक्ति कर सके तो उससे काली की उपासना भी करानी चाहिए अथवा काली सहस्त्रनाम का पाठ कराना चाहिए |........[अगला अंक -"डिप्रेसन की समग्र चिकित्सा और उपाय "]....................................................हर-हर महादेव

विशेष - उपरोक्त समस्या अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .