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नव विवाहित स्त्री के लिए सास -ससुर हमेशा से भय और समस्या के कारण लगते
रहे हैं |अक्सर ऐसा भिन्न माहौल से किसी कन्या के नए घर में आने से होता है |हर
सास -ससुर अपनी बहू से खराब व्यवहार नहीं करते और कुछ तो उसे अपनी पुत्री जैसा ही
मानते हैं ,किन्तु बहुत से ऐसे सास -ससुर ,विशेषकर सास होते हैं जो अपनी बहू पर
शासन की भावना रखते हैं |इन्हें लगता है की पत्नी आने के बाद उनका पुत्र उनके हाथ
से निकल रहा या निकल जाएगा |अब अपने पुत्र पर तो जोर चलता नहीं अतः बहू पर ही जोर
आजमाइश होती है |कभी कभी उसे प्रताड़ित भी किया जाता है तो कभी लालचवश भी परेशान
किया जाता है |कभी ऐसा भी होता है की पुत्र को मजबूर करने को भी उसकी पत्नी को
परेशान किया जाता है और कभी कभी पुत्र को ही बहू के विरुद्ध भड़काया जाता है ,भले
विवाह खुद उन्होंने ही करवाया हो |
कुछ मामलों में पुरुष भी अपने सास -ससुर से परेशान होता है |आजकल के सास
-ससुर अपनी पुत्री को ऐसा सिखा पढ़ाकर पति के घर भेजते हैं की वह वहां जाकर अपना ही
चलाने की कोशिस करती है |न सास -ससुर की सुनती और इज्जत करती है और न पति के
अनुसार ही चलती है |कुछ कन्याएं तो विवाह बाद अपने पति को उसके परिवार से ही अलग
करने की कोशिस करती हैं |उसके माता -पिता अर्थात पति के सास -ससुर अपनी पुत्री को
समझाने की बजाय उसे और बढ़ावा देते हैं |इन दोनों ही मामलों में पति अथवा पत्नी में
से एक पीड़ित होता ही है और यहाँ सास -ससुर को अनुकूल करने अथवा वशीभूत करने की
जरूरत पड़ती है |भारतीय ऋषियों ने इन समस्याओं के लिए अनेक उपाय और यन्त्र का
आविष्कार किया ताकि लोग लाभान्वित हो सकें और अपना दाम्पत्य जीवन सुख पूर्वक
,प्रेम पूर्वक जी सकें |उपरोक्त यन्त्र ऐसा ही एक यन्त्र और प्रयोग है जिसे धारण
कर और प्रयोग कर पति हो अथवा पत्नी अपने सास -ससुर को अपने अनुकूल कर सकती /सकता
है |
इस यन्त्र की रचना किसी उत्तम शुभ मुहूर्त में की जाती है |यदि इसे
पूर्णिमा में चन्द्रमा के प्रकाश में बनाया जाए तो यह अधिक प्रभावी होता है
विशेषकर गुरु पूर्णिमा अथवा कार्तिक पूर्णिमा जैसा की हमने उपरोक्त यन्त्र किसी के
लिए गुरु पूर्णिमा को निर्मित किया था और आज कार्तिक पूर्णिमा पर भी कुछ परेशान
स्त्रियों और पुरुषों हेतु निर्मित कर रहे हैं |चूंकि सास -ससुर का व्यवहार उनके
मन पर निर्भर करता है और मन का कारक चन्द्रमा होता है और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा
अपने पूर्ण बल के साथ उदित होता है अतः इस दिन इस उद्देश्य से बनाया यन्त्र अधिक
प्रभावी होता है |
यन्त्र रचना भोजपत्र पर की जाती है जिसमे अष्टगंध की स्याही और अनार की
कलम का उपयोग होता है |फिर उसकी विधिवत पूजा की जाती है और चांदी के ताबीज में
भरकर धारण किया जाता है |ध्यान देना चाहिए की ताबीज चांदी का ही हो ,क्योंकि चांदी
,चन्द्रमा की धातु है |यन्त्र धारण के बाद रविवार -रविवार कुछ रविवार को जब तक की
सास -ससुर अनुकूल न हो जाएँ इस यन्त्र को गेहूं की रोटी पर केशर के घोल से लिखकर काले कुत्ते अथवा काली कुतिया को
खिलाया जाता है |यह कार्य यन्त्र धारण करने वाले स्त्री अथवा पुरुष को करना होता
है |स्त्री काली कुतिया को और पुरुष काले कुत्ते को रोटी खिलायेगा |इस प्रकार कुछ
समय में सास -ससुर अनुकूल होने लगते हैं
|............................................हर -हर महादेव विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
pranam guruji
ReplyDeleteguruji meri ek bahut achhi friend hai ........kisi baat pr gussa ho gayi hai bahut koshish ki magar uska gussa km nhai hua ....mai use khona nahi chahta bs sb kuch pehle jaisa thik ho jaye itna chahta hun hamare bich jo bhi misunderstanding hai wo dur ho k phir se purane best friend ban jaye bs ...........wo meri only friend hai use khona nahi chahta plz help aap meri aakhri umeed hain plz reply