Thursday, 23 November 2017

भैरव गंडा निर्माण विधि

::::::::::::::भैरव गंडा निर्माण विधि :::::::::::::::
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श्री भैरव भगवान शिव का एक रुप माने जाते है. पुराणों तथा तंत्र शास्त्र में भैरव जी के अनेक रुपों का वर्णन प्राप्त होता है. इनके प्रमुख रुप इस प्रकार हैं:- असितांग भैरव, चण्ड भैरव, रुरु भैरव, क्रोध भैरव, कपालि भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव उन्मत्त भैरव इत्यादि ! श्री भैरव जी की साधना शत्रुओं से बचाती है तथा समस्त भय का नाश करने वाली होती है. श्री भैरव जी के दस नामों का प्रात: काल स्मरण करने मात्र से सभी संकट दूर होते हैं. भैरव, भीम, कपाली शूर, शूली, कुण्डली, व्यालोपवीती, कवची, भीमविक्रम तथा शिवप्रिय नामों का स्मरण साधक को बल एवं साहस प्रदान करता है उसे कोई यातना एवं पीड़ा नहीं सताती
भैरव देव जी के राजस, तामस एवं सात्विक तीनों प्रकार की साधना तंत्र मैं प्राप्त होती हैं. बटुक भैरव जी के सात्विक स्वरूप का ध्यान करने से रोग दोष दूर होते हैं तथा दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है. इनके राजस स्वरूप का ध्यान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. तथा इनके तामस स्वरूप का ध्यान करने से सम्मोहन, वशीकरण इत्यादि का प्रभाव समाप्त होता है
बहुध बच्चो एवं बड़ो को डरने , नींद मे चौकने की शिकायत हो जाती है ! उनको हवा का भी असर हो जाता है ! प्रेतात्माओ से रक्षा के लिए , आपदा विपदाओ से रक्षा का लिए , आरोग्य लाभ के लिए गंडो की जरुरत होती है ! यह गंडे काले डोरों की आठ लड़ मे करीब फुट लम्बे बट का बना लिए जाते है ! डोरे को करीब पाच फुट लम्बी आठ लड़े करो ! उनको बट दो और उनको दुब्बर करके फिर बट दो तो तैयार डोरा फुट के करीब रह जाएगा ! काल भैरव अष्टमी रात आप स्नान आदि कर साफ़ धोती पहन कर दक्षिण की और मुह कर आसन पर बैठ जाए सर्व प्रथम गणेश - गुरु पूजन कर श्री भैरव पूजन करे और उस डोरे का भी पूजन करे ( पंचोपचार ) अब रुद्राक्ष माला से माला निम्न मंत्र की करे -' ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ' मंत्र जप पूर्ण होने के बाद उस डोरे का भी पूजन करे ( पंचोपचार ) अब एक पाठ भैरव कवच का करे और एक लाल पुष्प भैरव जी के चरणों मे अर्पित करे और उस डोरे मे एक गाठ लगा दे फिर एक पाठ करे और एक लाल पुष्प अर्पित कर एक गाठ फिर उस डोरे मे लगा दे इस प्रकार ११ पाठ करे और प्रत्येक पाठ पूर्ण होने पर एक गाठ लगा दे जब सभी पाठ पूर्ण हो जाए तो वही किसी पात्र मे आम की सुखी लकड़ी लगा कर हवन सामग्री मे चावल -कलातिल- जौ- शक्कर -घी मिलाकर कर उपरोक्त मंत्र की १०८ आहुति प्रदान करे और हवन पूर्ण हो जाने के बाद हवन के धुए से उस डोरे को अभिसिचित कर दे और आरती कर छमा याचना करे और उस गंडे को गले या दाहिनी भुजा मे धारण करे ! यह गंडा अधिक प्रभावशाली और तंत्र बाधा -उपरी बाधा मे रक्षा करता है यहाँ तक की ग्रह जनित दुष्प्रभावो से भी साधक की रक्षा करता है और साधक सर्वत्र विजयी होकर यश, मान, ऐश्वर्य प्राप्त करता है !..........................................................................हर-हर महादेव 

विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

Wednesday, 22 November 2017

वृद्ध माता -पिता और अपनों की उपेक्षा - २

बुजुर्ग माता -पिता और अपनों की उपेक्षा - २
===========================[[ गतांक से आगे ]]
ईश्वरीय शक्ति से समाधान के उपाय निकालने की कोशिश
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हम शक्ति साधक हैं और उस उम्र की ओर बढ़ रहे जिस विषय पर यह लेख लिख रहे |ऐसे अनेक बुजुर्गों को देखते हैं और मिलते हैं जो इन समस्याओं से जूझ रहे ,अपनों की उपेक्षा झेल रहे ,अपने बेटे -बेटी ,बहू आदि द्वारा उपेक्षित हो रहे |उन लोगों द्वारा त्रास्कृत हो रहे जिनके लिए जीवन में उन्होंने बहुत कुछ किया |वह लोग मुंह मोड़ रहे जो कल तक हाथ जोड़े खड़े होते थे |इसका हल खोजने पर हमें कुछ उपाय मिले हैं ,जिन्हें हमने बहुतों पर आजमाया और सफल पाया है |इसलिए इस विषय पर लिखना आवश्यक लगा ताकि यदि कोई ऐसी समस्या से जूझ रहा हो तो उसे उससे निकलने में मदद मिल सके |भारतीय सनातन ज्ञान यूँ ही नहीं सर्वश्रेष्ठ कहा जाता |यहाँ हर समस्या का निदान है |दिक्कत यह है की जब हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल हुए तो हमने अपने ही ज्ञान -विज्ञानं को ओछा समझ लिया और भूल गए |भारतीय ऋषियों ने पारिवारिक सुख ,समृद्धि ,एकता के लिए ,नैतिक पतन ,उश्रीन्ख्लता ,बिखराव ,टकराव रोकने के लिए अलौकिक शक्तियों की सहायता लेने के तरीके बनाए हैं |यहाँ वहां काम करते हैं जहाँ भौतिक ज्ञान की सीमाएं समाप्त हो जाएँ |सब प्रयास जब बेकार हो जाते हैं तब भी यह काम करते हैं |अतः वृद्धाश्रम मत जाइए ,बेटे -बहू -अपनों की उपेक्षा मत झेलिये ,तिरस्कार मत सहिये ,अकेले मत रहिये ,जिसके लिए जीवन लगा दिया उसे फिर से पैरों में झुकाइये |इस हेतु हमारे कुछ सुझाव हैं -
. सबसे पहला काम आप यह कीजिये की अपने अवचेतन पर काम कीजिये |अपनी सोच ,निराशा ,हताशा ,असहायता ,निरीहता ,मजबूरी की भावना ,शारीरिक अक्षमता की भावना ,कमजोर होने की भावना ,किसी का सहयोग न होने की भावना ,आर्थिक रूप से अक्षम होने की भावना को बदलिए |इसमें कोई पैसा नहीं लगना |कोई मेहनत नहीं लगनी |मात्र एक महीने में ये सब निकल जाएगा और आपमें एक नए आत्मविश्वास ,आत्मबल ,खुद की सक्षमता ,साहस ,आशा ,मजबूत होने की भावना का उदय होगा |इस स्टेप के बिन आप कुछ भी नहीं बदल पायेंगे और परिस्थितियां वैसी की वैसी ही रहेंगीं |इसलिए यह स्टेप बहुत आवश्यक है |इसके लिए मात्र इतना ही करना है की आपको १० लाइन कागज पर लिख लेने हैं और उन्हें एकांत में शान्ति से दिन में चार बार १० -१० मिनट तक लगातार दोहराना है |सुबह -दोपहर -शाम और रात को |जैसे मैं सबकुछ करने में सक्षम हूँ ,मुझे किसी की कोई मदद नहीं चाहिए और में परिस्थितियों को अपने बल पर बदल सकता हूँ |मुझमे शारीरिक रूप से कोई कमी नहीं है और में सबकुछ कर सकता हूँ |आने वाला समय मेरा होगा |सबकुछ मेरी मर्जी से होगा |बेटा -बहू मेरी बात जरुर मानेंगे ,उन्हें हमारा ध्यान रखना ही होगा |आदि आदि |आप इस तरह से लिख लीजिये |चाहें तो किसी विशेषज्ञ की मदद ले लें इसे लिखने में |एक बार लिखने पर इसमें महीनों तक कोई परिवर्तन नहीं होगा |वही लाइनें महीनों तक रहेगी |इससे होगा यह की आपकी सोच बदल जायेगी ,आपकी हीन भावना ,कमजोरी ,निकल जायेगी और आपके रोग ,बीमारी ,शारीरिक कमियां दूर हो जायेंगी |सही कह रहा मैं ,आपके रोग ,बीमारी भी ठीक हो जायेंगे और शरीर भी स्वस्थ होने लगेगा ,मन तो स्वस्थ होगा ही |आप एक महीने में बदल जायेंगे |
. दुसरे स्थान पर आप यह कीजिये की किसी बहुत अच्छे तंत्र साधक की तलाश कीजिये जो किसी उग्र महाविद्या जैसे काली ,बगलामुखी या दुर्गा ,चामुंडा आदि का साधक हो |इसमें आपको थोडा श्रम करना पद सकता है और थोड़े पैसे भी खर्च करने पड़ सकते हैं ,पर यह आपके कष्टों के सामने कुछ भी नहीं |दुनिया झुकाने को कुछ तो पापड़ बेलने ही होंगे |आप उस साधक उससे सम्बन्धित महाविद्या का भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र जो कम से कम २१ हजार मंत्र से अभिमंत्रित हुआ हो ,चांदी के कवच में भरवाकर प्राप्त करें और उसे धारण करें |साथ ही उससे सम्बन्धित महाविद्या का मंत्र भी उस साधक से प्राप्त करें |इस स्टेप के बिन आप अगले स्टेप पर नहीं जा पायेंगे |अतः यह आवश्यक है |इससे होगा यह की ,आपका उस शक्ति से सम्बंधित चक्र अधिक क्रियाशील हो जाएगा ,आपकी सुरक्षा कवच बन जायेगी |
. अब आप किसी उग्र शक्ति का मंत्र ले लीजिये |सात्विक शक्ति नहीं ,उग्र शक्ति ,जैसे दुर्गा ,काली ,चामुंडा आदि |वह शक्ति ऐसी हो जो सारे कार्य करती हो |जैसे वशीकरण ,मोहन ,आकर्षण ,विद्वेषण ,मारण ,स्तम्भन आदि सभी काम जिसके शक्ति से किये जा सकते हों |उपरोक्त तीनो शक्तियाँ ऐसी ही हैं |काली ,चामुंडा इसलिए अधिक ठीक हैं की इनमे बहुत अधिक शुद्धता की आवश्यकता आवश्यक नहीं होती ,जबकि दुर्गा ,बगला आदि बहुत शुद्धता ,सुचिता मांगती हैं |आप मंत्र किसी जानकार से ले लीजिये और मंत्र बोलना मात्र सीख लीजिये |सम्भव हो तो थोड़ी पूजा सुबह कर लिया कीजिये इनकी और उसके बाद इनके मंत्र का अनवरत दिन रात जप करना शुरू कीजिये |इस मामले में मुस्लिम लोग अधिक जागरूक होते हैं |मुस्लिम बुजुर्ग माला फेरते अधिक मिलते हैं जबकि हिन्दू बुजुर्ग कम |आप थोडा खुद को बदलिए और मंत्र जप अनवरत शुरू कीजिये |आप मात्र दो महीने में चमत्कार देखेंगे |इससे आपकी आभामंडल तो बदलेगी ही आपमें एक अतीन्द्रिय शक्ति का उदय हो जाएगा |आपका दिमाग जहाँ जहाँ जाएगा वहां वहां एक अदृश्य शक्ति काम करेगी |
बुजुर्ग हैं इसलिए बहुत नींद तो आएगी नहीं ,तो आप सुबह जल्दी उठकर यह मन्त्र जप किया कीजिये |इससे फायदा यह होगा की इसके प्रभाव और आपकी सोच से आपके बेटे बहू को बेचैनी होगी ,जो उस समय नींद में होंगे |आपकी क्षमता जैसे बढ़ेगी उन्हें सपने आदि भी आयेंगे |इस प्रकार के मंत्र जप से एक फायदा यह भी होगा की यदि किसी ने कोई टोना -टोटका किया कराया है तो उसका प्रभाव भी समाप्त होगा या कम होगा |कुछ महीनों बाद आप इस मन्त्र से अभिमंत्रित जल या खाने पीने की चीजे अपने बेटे -बहू -बेटी को देंगे तो उस पर हुए टोने टोटके भी समाप्त हो जायेंगे ,क्योकि मंत्र उग्र शक्ति का है |कुछ महीनों बाद चमत्कार भी सम्भव है |आपकी शक्ति दूसरों के कष्ट भी दूर करने लग सकती है |आपका दिया अभिमंत्रित जल या वास्तु लोगों की समस्या दूर कर सकता है ,रोग हटा सकता है |
. उपरोक्त करने के साथ आप अधिकतम एकांत में रहने की कोशिश कीजिये और समय बर्बाद करने ,फ़ालतू बातें करने में समय मत गंवाइये |समय बहुमूल्य है और आपको अभी बहुत कुछ करना है |आप बाहर टहलिए ,सैर कीजिये ,प्रकृति के नजदीक होइए और अनवरत मंत्र जप करते हुए उस शक्ति का जिससे सम्बन्धित मंत्र है चिंतन कीजिये |लगातार यह अपना रूटीन बनाइये |आप कर्मकांड ,लम्बे चौड़े पूजा पद्धति ,टोने -टोटकों के चक्कर में मत जाइए |अब आपके पास इन सबके लिए समय नहीं है |अब समय कम है और करना अधिक है ,इसलिए सीधे उस शक्ति से जुड़ जाइए जो आपको आपका सबकुछ भी दे दे और साथ ही मुक्ति के मार्ग भी खोल दे |आपको शक्ति की जरूरत है ,सामर्थ्य की जरूरत है ,अपनों के साथ की जरूरत है |,उनके देखभाल की जरूरत है जिनकी आपने अब तक देखभाल की है |यह सब बिन शक्ति के नहीं होगा |दुनिया प्यार से कम झुकती है ,भय से अधिक झुकती है |अगर कोई आपको आपका दिया भी नहीं दे पा रहा तो फिर उसे मजबूर करने की ही जरूरत है .भले वह फिर कोई भी हो |आपको किसी का अहित नहीं करना ,किसी को कष्ट नहीं देना ,पर अपना पाना भी तो है |इसलिए खुद शक्तिवान तो बनना ही होगा |यह सब काम मात्र कोई उच्च उग्र शक्ति ही कर सकती है |इसलिए आप डूब जाइए उसमे और उपरोक्त पद्धति से अनवरत करते हुए उससे अपनी कामना कहिये |वह जरुर सुनेगा |

यह प्रक्रिया कोई सामान्य पूजा -पाठ नहीं है |यह आपको ऐसी शक्ति से जोड़ देगा जो आपके मानसिक विचार के साथ चलेगी और क्रिया करेगी |ध्यान रखिये किसी शक्ति के पास अपनी कोई दृष्टि नहीं होती |वह वही देखती हैं ,वही सुनती हैं जो उन्हें दिखाने ,सुनाने वाला दिखाता -सुनाता है |आपसे शक्ति जुड़ने पर आप जिसके बारे में सोचेंगे ,जहाँ गंभीरता से ध्यान करेंगे वहां वह शक्ति भी देखेगी और प्रतिक्रिया करेगी |कुछ ही समय में आपको आपका परिवार भी मिलेगा ,आपकी शक्ति भी बढ़ेगी ,आभामंडल भी बदलेगा ,जो मिलेगा प्रभावित भी होगा ,सारे काम भी बनते जायेंगे ,लोग झुकेंगे भी ,सम्मान भी मिलेगा  और आप दूसरों के कष्ट भी दूर करने लगेंगे ,खुद तो सुखी होंगे ही |सबकुछ पाते हुए आपके मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा |उपरोक्त उपाय छोटा और आसान लग सकता है पर चमत्कार छोटा ही करता है |.....[क्षमा करें ,लेख थोडा लम्बा हो गया ]................................................हर-हर महादेव 

विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

वृद्ध /बुजुर्ग माता -पिता और अपनों की उपेक्षा -१

बुजुर्ग माता -पिता और अपनों की उपेक्षा
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ईश्वरीय शक्ति से समाधान के उपाय निकालने की कोशिश
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जितनी तेजी से आधुनिक युग में भौतिक और वैज्ञानिक जीवन में विकास हुआ है ,उतनी ही तेजी से व्यक्ति का नैतिक और सांस्कारिक पतन भी हुआ है |दूसरों ,गुरुओं ,बड़ों ,बुजुर्गों की तो बात ही क्या अब तो माता -पिता तक के प्रति समर्पित ,सम्मान करने वाले और आज्ञाकारी बच्चे मिलने कम होते जा रहे |इतनी तेज भौतिक लिप्सा ,स्वस्वार्थ की भावना पनप रही की सम्मान ,संस्कार ,संस्कृति ,परंपरा इन्हें पिछड़ेपन की निशानी ,उन्नति में बाधा लगती है |अब वह सब खुलेआम हो रहा जो पहले परदे में था |बच्चे ,बड़े होते ही स्वतंत्र हो जा रहे |जहाँ वह आर्थिक रूप से स्वावलंबी हुए नहीं की अपने मन की करने लगते हैं |माता -पिता बच्चों को स्कूल ,कालेज पढने को भेज रहे और बच्चे प्यार का खेल ,खेल रहे |साथ पढ़ते ,काम करते प्यार हो जा रहा और कुछ मामलों में शादी भी हो जा रही |न घर ,न कुल -खानदान ,न संस्कार ,न परिवार ,न पारिवारिक पृष्ठभूमि देखी ,प्यार हो गया और शादी तक बात बढ़ गयी |अब विसंगति तो उत्पन्न होगी ही |कहीं न कहीं किसी न किसी को कष्ट ,परेशानी तो होगी ही |बुजुर्ग हो रहे माँ -बाप ही सबसे पहले और गंभीर शिकार होते हैं ,क्योंकि उन्होंने तो अपना सबकुछ इन बच्चों पर ही लगा दिया होता है |खुद के बारे में न सोच जीवन भर उम्मीद में इनको अच्छे से अच्छे देने का प्रयास किया होता है की यह उनके बुढापे में सहारा देगा |
आज कोई भी अपने बेटी को यह नहीं सिखाता की वह जब अपने ससुराल जाए तो सबको साथ लेकर चलने का प्रयास करे |झूठा दावा कोई कितना भी करे पर सच यही है की हर ,माता -पिता ,,विशेषकर माता ,अपनी बेटी को वही सब अधिक सिखा रही जिससे एकल परिवारवाद का उदय हो और उसका सुख ही सर्वोपरि हो |कुछ माताएं तो तांत्रिकों तक से टोने टोटके जान अपनी बेटी को सिखा देती हैं और पति को वश में करने की बात करती हैं |जो बुजुर्ग आ अपने बेटा -बहू की उपेक्षा झेल रहे वह भी अपनी बेटी को अच्छा सिखाये हों ,मुश्किल है |इसलिए समस्या यहाँ से ही शुरू होती है |एक छोटी चिंगारी फैलते फैलते आग बन गयी और सबके घरों को जलाने लगी |जो आग जलाई थी यह सोचकर की बेटी सुखी रहेगी ,वही आग इतनी बढ़ी की आगे चलकर दुसरे के घर जलाने लगी ,तो फिर आपका घर कैसे बचेगा |कहीं और से आग आकर आपका घर जलायेगी |खैर हमारा विषय यह नहीं की आग कहाँ से आई ,हमें तो आग बुझाने का उपाय खोजना है |आखिर फिर हल क्या है इसका |क्या इसे जीवन भर झेलते ही रहा जाए ?
आज के समय में बेटे भी कम नहीं हैं |बेटा हो या बेटी ,जब तक माता -पिता के सहारे हैं ,शारीरिक रूप से कम सक्षम हैं तब तक तो बहुत आज्ञाकारी हैं |जरा सा शरीर विकसित हुआ ,बाहर निकले नहीं की अपने मन की करना शुरू |टेलीविजन ,इंटरनेट ,सोशल मिडिया पर उपलब्ध सामग्री इन्हें परिवार के संस्कारों से अलग ले जाती है और इनके सपने ,कल्पनाएँ उधर घूमने लगती हैं |यह स्थिति लडके लडकी दोनों की होती है |समस्या तब और गंभीर होती है जब माता -पिता दोनों कामकाजी हों ,घर में या साथ में बुजुर्ग न हों |माता ,या पिता कम पढ़े लिखें हों अथवा वह अपने बच्चों पर ध्यान न दे पाते हों |इन स्थितियों में बच्चे स्वतंत्र सोच और कार्यप्रणाली विकसित कर लेते हैं |अधिकतर परिवार आज कमाने -खाने की आकांक्षा में बाहर निकल अलग रह रहे ,जहाँ बच्चों को बुजुर्गों अथवा बड़ों अथवा अपने संस्कार से सम्बन्धित लोगों का साथ नहीं मिल रहा इसलिए भी वह भिन्न सोच वाले हो जा रहे |कुछ मामलों में माता -पिता की अति उदारता भी घातक हो रही जो बच्चों को स्वतंत्र विकास के लिए उन्हें खुला छोड़ रहे |चूंकि जीवन चलाना भी आज कठिन हो रहा इसलिए बच्चों पर ध्यान भी कम दे पा रहे लोग ,इसलिए भी समस्या बढ़ रही |जब बचपन से ही बच्चा स्वतत्र और खुद के बारे में सोचता हो तो बड़ा होने पर उससे अपने देखभाल की उम्मीद करना बेकार है ,वह तो अपने मन की ही करेगा और जहाँ उसका अधिक स्वार्थ होगा वहां झुकेगा |
जो बुजुर्ग आज अपने बच्चों की उपेक्षा झेल रहे यदि वह खुद कारण खोजें तो 90 प्रतिशत मामलों में ,उन्हें अपने ही जीवन और कार्यों में कारण मिल जायेंगे |कुछ लोग वास्तव में जीवन भर अच्छा ही करते आये होते हैं पर उन्हें भी बुरा मिलता है |इसका भी कारण है की वह अच्छे हैं और सीधी लकड़ी हैं जिसे हर कोई काटना चाहता है |बेटा -बहू भी इस सिधाई का नाजायज फायदा उठाते हैं |परिवार और नजदीक के लोग भी फायदा उठाते हैं और अंततः जब वह कमजोर ,असहाय होते हैं तो उन्हें उपेक्षित कर देते हैं |नौकरी पेशा लोगों को उपेक्षा का दंश अधिक झेलना पड़ता है |इसके दो कारण हैं |एक तो उनका रूटीन बिगड़ा होता है जो उन्होंने जीवन भर बनाया था |दूसरा वे अपने नौकरी के समय पर्याप्त समय और ध्यान अपने बच्चों पर नहीं दे पाते |उनके पास ,पेंशन आदि हो सकता है पर परिवार का साथ मिल हो जाए जरुरी नहीं |जो कुछ नहीं बचा पाते अपने जीवन में और सबकुछ अपने बच्चों पर ही भविष्य की उम्मीद में लगा देते हैं ,वह सबसे अधिक उपेक्षा और तिरस्कार झेलते हैं ,क्योंकि स्वार्थी दुनिया में देने को उनके पास कुछ नहीं होता |उन्हें भी बहुत तिरस्कार ,अपमान भुगतना होता है जिनके पति अथवा पत्नी का साथ छूट गया हो या दोनों में से एक ही बचा हो |
हर माता -पिता की उम्मीद होती है की बेटे का विवाह करेंगे तो बहू आएगी और घर -परिवार के साथ उनकी भी देखभाल करेगी |खानदान -परंपरा -संस्कार को बनाए रखेगी |नाती -पोते होंगे और घर खुशहाल होगा |पर बहुत कम ऐसा हो पाता है |जहाँ संयुक्त परिवार है वहां तो ऐसा हो सकता है पर जहाँ केवल बेटे ,बेटी और माता -पिता हैं वहां ऐसा कम देखने को मिलता है |बहुत जल्दी विसंगति और दिक्कते शुरू हो जा रही |बहू आई और पति को अपने अलग लेकर जाने के बारे में सोचने लगती है |खुद कके स्वार्थ के बारे में पहले सोचने लगती है |बेटे के माता -पिता बिझ लगने लगते हैं |अगर कोई बहन है तो उसे भी अच्छा नहीं समझती |कुछ मामलों में सास -ससुर -ननद से उसे कष्ट होता है ,फिर वह ऐसा करती है पर ,अधिकतर पहले की सोच ही उसपर हावी रहती है की ,अपने पति के साथ रहना है ,खुद के बारे में ही सोचना है |इसमें बहुत कुछ उसके मायके से सिखाया हुआ भी हो सकता है |बेटे की स्थिति कुछ दिन त्रिशंकु सी होती है और माता -पिता तथा पत्नी के बीच झूलते हुए पत्नी की तरफ मुद जाता है |यदि बहू को शक हुआ की पति का झुकाव कहीं और है तो वह कुछ टोने टोटके भी कार्बा लेती है की पति वश में हो जाए |इससे पति तो उसकी ओर झुक जाता है तथा दुसरे से विमुख हो जाता है पर दुष्प्रभाव यह भी होता है की ,फिर वह पत्नी की ही बात मानने लगता है और माता -पिता के प्रति पत्नी बुरे भाव भर देती है जिससे वह अपने माता -पिता को भी अपने सुख में बाधक मानने लगता है |कुछ माएं तो विवाह पूर्व से ही अपनी बेटियों को ऐसे टोने टोटके बता ,सिखा देती हैं |पत्नी की ओर झुकता बेटा ,अपने माता -पिता की उपेक्षा करने लगता है और असहाय बुजुर्ग माता -पिता बेबस ,लाचार ,मजबूर हो जाते हैं |
अब इन सबमे माता -पिता की गलती हो या न हो ,परेशानी उन्हें होती ही है और उपेक्षा होती है |अधिकतर मामलों में वह जीवन भर उपेक्षित रह अंततः जीवन झेलते हुए बिता देते हैं |शारीरिक ,आर्थिक ,मानसिक रूप से कमजोर ,लोग कर भी क्या सकते हैं यह सामान्य सोच है |और होता भी यही है |किन्तु बहुत कुछ हो सकता है यदि यह माता -पिता सोच ही लें तो |स्थिति ,समय और परिस्थिति बदलने को शरीर की मजबूती नहीं मनोबल और आत्मविश्वास की मजबूती चाहिए होती है |कोई महत्व नहीं की ,आप आर्थिक रूप से सक्षम नहीं ,शरीर कमजोर है ,मानसिक तनावग्रस्त हैं ,कोई सहयोगी नहीं |माता -पिता चाह ही लें तो बेटे -बहू को सुधारा जा सकता है |उन्हें सबक दिया जा सकता है |उन्हें उनकी औकात दिखाई जा सकती है की ,आखिर बाप बाप ही रहेगा ,बेटा कितना भी बड़ा हो जाए |यहाँ जरूरत है ,सक्षम बनने की ,आत्मविश्वास ,आत्मबल बढाने की ,समय के सदुपयोग की ,अवचेतन को सुधारने की ,सोच को बदलने की ,निराशा ,हताशा से निकल आशा और शक्ति पाने की |

आपको कोई लड़ाई नहीं करनी ,किसी को कुछ बोलना भी नहीं ,किसी से अपनी समस्या नहीं कहनी ,किसी के आगे नहीं रोना ,किसी को किसी की कोई जिम्मेदारी का अहसास नहीं करानी ,आपको कहीं पैसे नहीं लगाने ,कोई कार्यवाह नहीं करनी ,कहीं जाना भी नहीं है ,कोई विशेष पूजा पाठ भी नहीं करनी ,अपना रोज का दैनिक कार्यक्रम भी नहीं बदलना |सबकुछ सामान्य रखते हुए मात्र थोडा समय खुद को ही देना है |सबकुछ खुद के लिए ही करना है ,इसके बाद भी सबकुछ होगा वह जो आप सोचते हैं |हमने अपने तंत्र अनुभव और लोगों की समस्या के आधार पर जो तरीका अपनाया है उसके अच्छे परिणाम आये हैं |आप आजमा सकते हैं और ईश्वर की कृपा से अपनी इन समस्याओं से निकल सकते हैं |हमें आपसे सहानुभूति है और खुद उस उम्र की ओर बढ़ रहे जहाँ यह सब होता है |इस उम्र के ,परिस्थिति के लोगों की स्थिति पर ही हमने यह पद्धति बनाई है जो हम अपने blog -tantramarg.wordpress.com और aagamtantra.blogspot.com पर अपने पाठकों कके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं |पूर्ण विवरण और उपयुक्त प्रक्रिया अगले अंक में प्रस्तुत है -चूंकि लेख बहुत लंबा हो रहा है |पूर्ण विवरण के लिए पढ़िए अगला अंक |.....[[शेष अगले अंक में ]]...........................................................हर -हर महादेव 

विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

Wednesday, 15 November 2017

भाग्य कैसे बदलें अपना ? -२

कैसे बदलें अपने भाग्य को -२
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यदि आप सचमुच भाग्य बदलना चाहते हैं |भाग्य के उतार चढ़ाव से तंग आ चुके हैं |संघर्ष करते करते थक चुके हैं |भाग्य ,किस्मत ,तकदीर के नाम पर रो रोकर अपने जीवन में दुःख ही दुःख पा रहे हैं ,तो भाग्य बदलने ,उसमे परिवर्तन के बारे में भी जरुर सोचिये |आपका लगेगा कुछ नहीं और जीवन बदल जाएगा |आप सचमुच गंभीर हुए तो आपको आपके भाग्य का पूरा तो मिलेगा ही ,उससे अधिक भी मिलने लगेगा |होगा वह जो कुंडली भी नहीं कहती |भाग्य बदलने के लिए कुछ विषयों और कारकों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है |आपके अवचेतन की कुंठाएं ,भावनाएं ,आपका आत्मविश्वास ,आपका मनोबल सबसे पहले आपके भाग्य को प्रभावित करता है |पृथ्वी की सतही उर्जायें ,शक्तियाँ आपको हमेशा प्रभावित करती रहती हैं ,किसी को कम तो किसी को अधिक इन्हें नियंत्रित अथवा संतुलित किया जाना आवश्यक होता है |अपने मन और सोच में बदलाव तृतीय आवश्यकता होती है तथा उच्च ईश्वरीय शक्ति की कृपा चौथी आवश्यकता होती है |यदि इतना व्यक्ति कर ले तो उसका भाग्य परिवर्तित होने लगता है |हम क्रमशः एक एक विषय का विश्लेष्ण करते हैं और जानते हैं की किस तरह क्या किया जाना चाहिए भाग्य में परिवर्तन लाने के लिए |
. भाग्य में बदलाव कर्म से ही हो सकता है |कर्म भी सही दिशा में होने से |इसके लिए आपको अपना आत्म विश्लेष्ण करने की जरूरत होगी जिसे अंग्रेजी में सेल्फ रियलाईजेसन [Self realization] कहते हैं |इस क्रम में आपको मात्र 5 मिनट अपने आपको ,खुद देने हैं और रात सोने के ठीक पूर्व अपने दैनिक क्रियाकलाप का आत्म विश्लेषण करना है |इसकी पूरी तकनीक हमने अपने पूर्व के पोस्ट में लिखी है ,जिसका लिंक यह है -https://aagamtantra.blogspot.in/2017/03/blog-post_45.html
    इस लिंक पर जाकर आपको पूरी पोस्ट ध्यान से पढनी चाहिए और इसे अपनाना चाहिए |इस आत्म विश्लेषण से आपका भाग्य नहीं बदलेगा किन्तु आपकी 50 प्रतिशत कमियां अपने आप निकल जायेंगी |आपको पता भी नहीं चलेगा और आपको कोई प्रयास भी नहीं करना होगा फिर भी आप अपने उन्नति के लिए अग्रसर हो जायेंगे |आपमें एक नए व्यक्तित्व का उदय हो जाएगा और आप प्रसंशा के पात्र हो जायेंगे |आप नई ऊर्जा से भर जायेंगे |
. हर व्यक्ति को पृथ्वी की सतह पर सक्रिय उर्जायें प्रभावित करती हैं |इनमे अधिकतर नकारात्मक उर्जायें होती हैं ,चूंकि पृथ्वी की अपनी ऊर्जा नहीं है और सूर्य के ऊर्जा से यह उर्जिकृत है अतः स्वयं में यह ऋणात्मक ऊर्जा से संलिप्त है तथा यहाँ नकारात्मक उर्जायें चारो तरफ क्रियाशील हैं |यह उर्जायें व्यक्ति को प्रभावित करती रहती हैं ,किसी को कम तो किसी को अधिक |इसीलिए किसी को उसके भाग्य का पूरा फल पूरी तरह नहीं मिल पाता |किसी को 50 तो किसी को 90 प्रतिशत तक मिल जाता है |इन नकारात्मक प्रभावों को शरीर ,मन और आत्मा को प्रभावित करने से रोकने के लिए व्यक्ति को उग्र उच्च शक्तियों जैसे दुर्गा ,काली ,बगलामुखी  का यन्त्र कम से कम २१ हजार मन्त्रों से अभिमंत्रित कराकर चांदी के कवच में धारण करना चाहिए |इसे न मजाक समझें न स्वार्थ से प्रेरित सुझाव समझें |यह हमारे वर्षों के तंत्र शोध पर आधारित सुझाव है |कवच /ताबीज का इतना प्रभाव होता है की यदि यह अच्छे से बने हों तो भाग्य तक बदल सकते हैं |इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे blog की यह पोस्ट देखें - https://aagamtantra.blogspot.in/2017/02/blog-post_17.html
यह नकारात्मक प्रभाव तो हटाते ही हैं ,साथ ही शरीर के विशेष चक्र की क्रियाशीलता भी बधा देते हैं जिससे एक भिन्न और शक्तिशाली ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है |इसलिए कवच /ताबीज इसके विशेष साधक से ,जिनका कर्म ही साधना हो उस शक्ति का ,उनसे बनवाकर धारण करें |जिनका कर्म कुछ और हो और वह साधक भी हों उनसे बनवाया गया कवच यहाँ अनुपयुक्त है ,क्योकि उनकी सोच और भावना बहुमुखी होगी |केवल शक्ति केन्द्रित दिनचर्या न होने से उपयुक्त शक्ति नहीं मिल पाती |
. तीसरे क्रम पर आपको अपने अवचेतन पर काम करना चाहिए |आप अपनी कमियों ,दोषों ,मानसिक समस्याओं ,कुंठाओं ,हीन भावनाओं ,डर -भय ,कायरता ,आत्मविश्वास में कमी ,मनोबल में कमी ,आलस्य ,मानसिक चंचलता ,व्यसन की आदतों ,अति कामुकता ,मन की अस्थिरता ,ध्यान की अस्थिरता ,दिनचर्या के व्यतिक्रम ,अच्छे -बुरे दोस्त -मित्र ,आदि को खुद अपने दिमाग ,सोच के अनुसार ही देखें और इन्हें लिख लें |अपनी इनके ठीक विपरीत कुछ वाक्य बनाएं |इन वाक्यों को दिन में चार बार एकांत में दोहरायें |आपकी यह कमियां आपके बिन किसी प्रयास के ,बिन किसी पूजा पाठ के ,बिन किसी दवा -उपाय के दूर हो जायेगी |आपको वह प्राप्त होने लगेगा जो आपके अवचेतन में सदियों से संगृहीत है |वह ज्ञान का दरवाजा खुल जाएगा जो पूरा जीवन पढने पर भी नहीं मिल सकता |अवच्रात्न का ज्ञान ,आत्मा के साथ ही चलता है और यह कभी नष्ट नहीं होता |पूर्व जन्म देखने वाले इसी ज्ञान के सहारे व्यक्ति का पूर्व जन्म देखते हैं |यह ज्ञान गर्भ में आने पर सुप्त हो जाता है ,जिसे यदि जाग्रत कर दिया जाए तो व्यक्ति को सदियों के ज्ञान के स्रोत मिल जाते हैं |लिखे शब्द दोहराने से उनसे सम्बन्धित कमियां दूर हो जाती हैं और व्यक्ति को उसके अनुरूप सुझाव बिन जाने सोचे ही मिलते रहते हैं |इसकी एक निश्चित प्रक्रिया है और इसके लिए किसी मनोवैज्ञानिक ,मनोविश्लेषक अथवा हमसे भी सम्पर्क किया जा सकता है |एक बार सबकुछ जानकर शब्द जब बन जाए तब उन्हें मात्र दोहराने से सभी दोषों ,कमियों ,समस्याओं का निवारण हो जाता है |यह क्रिया भाग्य में 25 प्रतिशत परिवर्तन ला देता है |
. चौथे क्रम पर आप किसी पुराने विद्वान् वैदिक ज्योतिषी से सम्पर्क कीजिये |उनसे आप मात्र दो बिन्दुओं पर सलाह लीजिये |पहला की ,आपका कौन सा ग्रह सबसे अच्छा और शुभ है आपके लिए ,उसे कैसे मजबूत किया जाए ,क्या रत्न या वनस्पति आदि धारण किया जाए उसके लिए |दूसरा आप यह जानिये उनसे की ,आपकी कुंडली के अनुसार आपके ईष्ट देवता कौन होते हैं अथवा किस देवता की आराधना आपको करनी चाहिए |इसके बाद आप यह पूछिए की सबसे खराब ग्रह कौन सा है और उसके ईष्ट कौन हैं ,किस देवता की उपासना से खराब ग्रह की प्रतिकूलता कम हो सकती है |आप शुभ ग्रह की शक्ति बढाने के लिए उसके रत्न ,वनस्पति धारण कीजिये |भले वह ग्रह कितना ही मजबूत हो उसे और मजबूत कीजिये ,रातं धारण कीजिये उसका |कोई भी ग्रह कुंडली के चार भाव को प्रभावित करता है हमेशा ,अपनी स्थिति अथवा दृष्टि से |इस प्रकार उस ग्रह की और मजबूत से चार भाव तो ठीक हो ही जाते हैं |कुछ भाव पहले से ठीक होते हैं इस प्रकार संतुलन ठीक होने लगता है |अब आप कुंडली में बताये ईष्ट को एक तरफ रह दीजिये |उनकी पूजा आप दैनिक रूप से कर सकते हैं पर आपको साधना करनी है सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करने वाले देवता की |अपने ईष्ट की पूजा कीजिये और खराब ग्रह के ईष्ट देवता की साधना कीजिये [[विधि अगले बिंदु पर हम दे रहे ]]|कुछ भाव और नियंत्रित हो जायेंगे और आपकी कुंडली की स्थिति सकारात्मक स्तर की ओर बढ़ जायेगी |
५. पांचवें बिंदु पर आपको मात्र 15 मिनट साधना करनी है |यह पूजा नहीं है ,अपितु यह साधना है |आप किसी ईष्ट को नहीं साध रहे ,वह आपसे सधेगा भी नहीं |आप खुद को साध रहे की उस ईष्ट के अनुकूल आपका शरीर ,व्यक्तित्व हो जाए जिससे उस ईष्ट की ऊर्जा आपको मिल सके |इसके लिए आपको वह ईष्ट लेना है जो आपके सबसे खराब ग्रह का ईष्ट है अर्थात जो आपके सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करता है |इसकी साधना के लिए आप हमारा यह लेख देखें और इस लिंक को क्लिक कर पहले अच्छे से साधना समझें -https://aagamtantra.blogspot.in/2017/07/blog-post_31.html
यहाँ आपको जरुरी नहीं की गणपति की ही साधना या दीपक पर त्राटक करना है |यदि खराब ग्रह के ईष्ट गणपति होते हैं तब तो ठीक है ,अन्यथा जो भी देवता आते हों उनका ही आपको त्राटक करना है |आप चाहें तो दीपक की बजाय सीधे उनके चेहरे का ही त्राटक कर सकते हैं |इस अवधि में आप उनके गुण ,शक्ति ,भाव का चिंतन करें पूर्ण एकाग्रता के साथ |यह मात्र 15 मिनट की क्रिया या साधना है पर यह वह दे देगा जो आपको घंटों की पूजा से नहीं मिलेगा |जो अच्छे अच्छे साधकों के लिए भी दुर्लभ है |आपके सबसे शुभ ग्रह से सम्बन्धित चक्र तो आपमें पहले से ही क्रियाशील है सबसे ज्यादा |इस साधना से आपके सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करने वाले देवता का चक्र भी क्रियाशील हो जाता है जो उस ग्रह को तो अनुकूल करता ही है आपमें एक और चक्र की सक्रियता से आपकी ऊर्जा प्रणाली में परिवर्तन आ जाता है जिससे आपके लिए ग्रहों के प्रभाव बदलने लगते हैं |यह आपके भाग्य परिवर्तन में क्रांतिकारी मोड़ ला देता है |
यदि आप उपरोक्त पांच बिन्दुओं पर एक साथ काम करते हैं तो निश्चित मानिए आपका भाग्य बदलेगा ,परिवर्तित होगा |वह भी इतना की ,दुसरे तो दुसरे आप खुद आश्चर्यचकित हो जायेंगे की यह क्या हो गया ,कैसे हो गया |यह तो चमत्कार हो गया |आपका इन पूरी प्रक्रियाओं में रोज एक घंटा समय खर्च होगा ,लगभग 6 महीने से एक साल तक पर आपमें एक नया व्यक्ति ,एक नए भाग्य के साथ उदित हो जाएगा जो आपके आज से कई गुना अधिक सक्षम और सफल होगा |आप करके देखिये विश्वास नहीं हो तो |आपके रोग ,बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ जायेगी ,शारीरिक -मानसिक क्षमता बढ़ जायेगी ,आपकी आयु बढ़ जायेगी ,आपकी ग्रह बाधाएं समाप्त हो जायेंगी ,आप सफल ही सफल होते जायेंगे ,आपमें एक अतीन्द्रिय शक्ति आ जायेगी ,आपमें पूर्वाभास की शक्ति आ जायेगी |आपकी कही और सोची बातें सच होने लगेंगी |आप मानव से महामानव की ओर कदम बधा देंगे |सांसारिक जीवन में सुखी रहते हुए ,सबकुछ बोगते हुए ,सुख उठाते हुए आप अलौकिक शक्ति सम्पन्न होंगे |........[[पूरी तरह व्यक्तिगत सोच ,शोध ,विश्लेषण और ज्ञान पर आधारित विचार -- किसी शास्त्र ,पुस्तक ,विचार से कोई सम्बन्ध नहीं ]].................................................हर -हर महादेव 

विशेष -  किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .