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ईश्वरीय शक्ति
से समाधान के उपाय निकालने की कोशिश
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जितनी तेजी से
आधुनिक युग में भौतिक और वैज्ञानिक जीवन में विकास हुआ है ,उतनी ही तेजी से
व्यक्ति का नैतिक और सांस्कारिक पतन भी हुआ है |दूसरों ,गुरुओं ,बड़ों ,बुजुर्गों
की तो बात ही क्या अब तो माता -पिता तक के प्रति समर्पित ,सम्मान करने वाले और
आज्ञाकारी बच्चे मिलने कम होते जा रहे |इतनी तेज भौतिक लिप्सा ,स्वस्वार्थ की
भावना पनप रही की सम्मान ,संस्कार ,संस्कृति ,परंपरा इन्हें पिछड़ेपन की निशानी
,उन्नति में बाधा लगती है |अब वह सब खुलेआम हो रहा जो पहले परदे में था |बच्चे
,बड़े होते ही स्वतंत्र हो जा रहे |जहाँ वह आर्थिक रूप से स्वावलंबी हुए नहीं की
अपने मन की करने लगते हैं |माता -पिता बच्चों को स्कूल ,कालेज पढने को भेज रहे और
बच्चे प्यार का खेल ,खेल रहे |साथ पढ़ते ,काम करते प्यार हो जा रहा और कुछ मामलों
में शादी भी हो जा रही |न घर ,न कुल -खानदान ,न संस्कार ,न परिवार ,न पारिवारिक
पृष्ठभूमि देखी ,प्यार हो गया और शादी तक बात बढ़ गयी |अब विसंगति तो उत्पन्न होगी
ही |कहीं न कहीं किसी न किसी को कष्ट ,परेशानी तो होगी ही |बुजुर्ग हो रहे माँ
-बाप ही सबसे पहले और गंभीर शिकार होते हैं ,क्योंकि उन्होंने तो अपना सबकुछ इन
बच्चों पर ही लगा दिया होता है |खुद के बारे में न सोच जीवन भर उम्मीद में इनको
अच्छे से अच्छे देने का प्रयास किया होता है की यह उनके बुढापे में सहारा देगा |
आज कोई भी
अपने बेटी को यह नहीं सिखाता की वह जब अपने ससुराल जाए तो सबको साथ लेकर चलने का
प्रयास करे |झूठा दावा कोई कितना भी करे पर सच यही है की हर ,माता -पिता ,,विशेषकर
माता ,अपनी बेटी को वही सब अधिक सिखा रही जिससे एकल परिवारवाद का उदय हो और उसका
सुख ही सर्वोपरि हो |कुछ माताएं तो तांत्रिकों तक से टोने टोटके जान अपनी बेटी को
सिखा देती हैं और पति को वश में करने की बात करती हैं |जो बुजुर्ग आ अपने बेटा
-बहू की उपेक्षा झेल रहे वह भी अपनी बेटी को अच्छा सिखाये हों ,मुश्किल है |इसलिए
समस्या यहाँ से ही शुरू होती है |एक छोटी चिंगारी फैलते फैलते आग बन गयी और सबके
घरों को जलाने लगी |जो आग जलाई थी यह सोचकर की बेटी सुखी रहेगी ,वही आग इतनी बढ़ी
की आगे चलकर दुसरे के घर जलाने लगी ,तो फिर आपका घर कैसे बचेगा |कहीं और से आग आकर
आपका घर जलायेगी |खैर हमारा विषय यह नहीं की आग कहाँ से आई ,हमें तो आग बुझाने का
उपाय खोजना है |आखिर फिर हल क्या है इसका |क्या इसे जीवन भर झेलते ही रहा जाए ?
आज के समय में
बेटे भी कम नहीं हैं |बेटा हो या बेटी ,जब तक माता -पिता के सहारे हैं ,शारीरिक
रूप से कम सक्षम हैं तब तक तो बहुत आज्ञाकारी हैं |जरा सा शरीर विकसित हुआ ,बाहर
निकले नहीं की अपने मन की करना शुरू |टेलीविजन ,इंटरनेट ,सोशल मिडिया पर उपलब्ध
सामग्री इन्हें परिवार के संस्कारों से अलग ले जाती है और इनके सपने ,कल्पनाएँ उधर
घूमने लगती हैं |यह स्थिति लडके लडकी दोनों की होती है |समस्या तब और गंभीर होती
है जब माता -पिता दोनों कामकाजी हों ,घर में या साथ में बुजुर्ग न हों |माता ,या
पिता कम पढ़े लिखें हों अथवा वह अपने बच्चों पर ध्यान न दे पाते हों |इन स्थितियों
में बच्चे स्वतंत्र सोच और कार्यप्रणाली विकसित कर लेते हैं |अधिकतर परिवार आज
कमाने -खाने की आकांक्षा में बाहर निकल अलग रह रहे ,जहाँ बच्चों को बुजुर्गों अथवा
बड़ों अथवा अपने संस्कार से सम्बन्धित लोगों का साथ नहीं मिल रहा इसलिए भी वह भिन्न
सोच वाले हो जा रहे |कुछ मामलों में माता -पिता की अति उदारता भी घातक हो रही जो
बच्चों को स्वतंत्र विकास के लिए उन्हें खुला छोड़ रहे |चूंकि जीवन चलाना भी आज
कठिन हो रहा इसलिए बच्चों पर ध्यान भी कम दे पा रहे लोग ,इसलिए भी समस्या बढ़ रही
|जब बचपन से ही बच्चा स्वतत्र और खुद के बारे में सोचता हो तो बड़ा होने पर उससे
अपने देखभाल की उम्मीद करना बेकार है ,वह तो अपने मन की ही करेगा और जहाँ उसका
अधिक स्वार्थ होगा वहां झुकेगा |
जो
बुजुर्ग आज अपने बच्चों की उपेक्षा झेल रहे यदि वह खुद कारण खोजें तो 90 प्रतिशत मामलों में ,उन्हें अपने ही जीवन और
कार्यों में कारण मिल जायेंगे |कुछ लोग वास्तव में जीवन भर अच्छा ही करते आये होते
हैं पर उन्हें भी बुरा मिलता है |इसका भी कारण है की वह अच्छे हैं और सीधी लकड़ी
हैं जिसे हर कोई काटना चाहता है |बेटा -बहू भी इस सिधाई का नाजायज फायदा उठाते हैं
|परिवार और नजदीक के लोग भी फायदा उठाते हैं और अंततः जब वह कमजोर ,असहाय होते हैं
तो उन्हें उपेक्षित कर देते हैं |नौकरी पेशा लोगों को उपेक्षा का दंश अधिक झेलना
पड़ता है |इसके दो कारण हैं |एक तो उनका रूटीन बिगड़ा होता है जो उन्होंने जीवन भर
बनाया था |दूसरा वे अपने नौकरी के समय पर्याप्त समय और ध्यान अपने बच्चों पर नहीं
दे पाते |उनके पास ,पेंशन आदि हो सकता है पर परिवार का साथ मिल हो जाए जरुरी नहीं
|जो कुछ नहीं बचा पाते अपने जीवन में और सबकुछ अपने बच्चों पर ही भविष्य की उम्मीद
में लगा देते हैं ,वह सबसे अधिक उपेक्षा और तिरस्कार झेलते हैं ,क्योंकि स्वार्थी
दुनिया में देने को उनके पास कुछ नहीं होता |उन्हें भी बहुत तिरस्कार ,अपमान
भुगतना होता है जिनके पति अथवा पत्नी का साथ छूट गया हो या दोनों में से एक ही बचा
हो |
हर माता -पिता
की उम्मीद होती है की बेटे का विवाह करेंगे तो बहू आएगी और घर -परिवार के साथ उनकी
भी देखभाल करेगी |खानदान -परंपरा -संस्कार को बनाए रखेगी |नाती -पोते होंगे और घर
खुशहाल होगा |पर बहुत कम ऐसा हो पाता है |जहाँ संयुक्त परिवार है वहां तो ऐसा हो
सकता है पर जहाँ केवल बेटे ,बेटी और माता -पिता हैं वहां ऐसा कम देखने को मिलता है
|बहुत जल्दी विसंगति और दिक्कते शुरू हो जा रही |बहू आई और पति को अपने अलग लेकर
जाने के बारे में सोचने लगती है |खुद कके स्वार्थ के बारे में पहले सोचने लगती है
|बेटे के माता -पिता बिझ लगने लगते हैं |अगर कोई बहन है तो उसे भी अच्छा नहीं
समझती |कुछ मामलों में सास -ससुर -ननद से उसे कष्ट होता है ,फिर वह ऐसा करती है पर
,अधिकतर पहले की सोच ही उसपर हावी रहती है की ,अपने पति के साथ रहना है ,खुद के
बारे में ही सोचना है |इसमें बहुत कुछ उसके मायके से सिखाया हुआ भी हो सकता है
|बेटे की स्थिति कुछ दिन त्रिशंकु सी होती है और माता -पिता तथा पत्नी के बीच
झूलते हुए पत्नी की तरफ मुद जाता है |यदि बहू को शक हुआ की पति का झुकाव कहीं और
है तो वह कुछ टोने टोटके भी कार्बा लेती है की पति वश में हो जाए |इससे पति तो
उसकी ओर झुक जाता है तथा दुसरे से विमुख हो जाता है पर दुष्प्रभाव यह भी होता है
की ,फिर वह पत्नी की ही बात मानने लगता है और माता -पिता के प्रति पत्नी बुरे भाव
भर देती है जिससे वह अपने माता -पिता को भी अपने सुख में बाधक मानने लगता है |कुछ
माएं तो विवाह पूर्व से ही अपनी बेटियों को ऐसे टोने टोटके बता ,सिखा देती हैं
|पत्नी की ओर झुकता बेटा ,अपने माता -पिता की उपेक्षा करने लगता है और असहाय
बुजुर्ग माता -पिता बेबस ,लाचार ,मजबूर हो जाते हैं |
अब इन सबमे
माता -पिता की गलती हो या न हो ,परेशानी उन्हें होती ही है और उपेक्षा होती है
|अधिकतर मामलों में वह जीवन भर उपेक्षित रह अंततः जीवन झेलते हुए बिता देते हैं
|शारीरिक ,आर्थिक ,मानसिक रूप से कमजोर ,लोग कर भी क्या सकते हैं यह सामान्य सोच
है |और होता भी यही है |किन्तु बहुत कुछ हो सकता है यदि यह माता -पिता सोच ही लें
तो |स्थिति ,समय और परिस्थिति बदलने को शरीर की मजबूती नहीं मनोबल और आत्मविश्वास
की मजबूती चाहिए होती है |कोई महत्व नहीं की ,आप आर्थिक रूप से सक्षम नहीं ,शरीर
कमजोर है ,मानसिक तनावग्रस्त हैं ,कोई सहयोगी नहीं |माता -पिता चाह ही लें तो बेटे
-बहू को सुधारा जा सकता है |उन्हें सबक दिया जा सकता है |उन्हें उनकी औकात दिखाई
जा सकती है की ,आखिर बाप बाप ही रहेगा ,बेटा कितना भी बड़ा हो जाए |यहाँ जरूरत है
,सक्षम बनने की ,आत्मविश्वास ,आत्मबल बढाने की ,समय के सदुपयोग की ,अवचेतन को
सुधारने की ,सोच को बदलने की ,निराशा ,हताशा से निकल आशा और शक्ति पाने की |
आपको
कोई लड़ाई नहीं करनी ,किसी को कुछ बोलना भी नहीं ,किसी से अपनी समस्या नहीं कहनी
,किसी के आगे नहीं रोना ,किसी को किसी की कोई जिम्मेदारी का अहसास नहीं करानी
,आपको कहीं पैसे नहीं लगाने ,कोई कार्यवाह नहीं करनी ,कहीं जाना भी नहीं है ,कोई
विशेष पूजा पाठ भी नहीं करनी ,अपना रोज का दैनिक कार्यक्रम भी नहीं बदलना |सबकुछ
सामान्य रखते हुए मात्र थोडा समय खुद को ही देना है |सबकुछ खुद के लिए ही करना है
,इसके बाद भी सबकुछ होगा वह जो आप सोचते हैं |हमने अपने तंत्र अनुभव और लोगों की
समस्या के आधार पर जो तरीका अपनाया है उसके अच्छे परिणाम आये हैं |आप आजमा सकते
हैं और ईश्वर की कृपा से अपनी इन समस्याओं से निकल सकते हैं |हमें आपसे सहानुभूति
है और खुद उस उम्र की ओर बढ़ रहे जहाँ यह सब होता है |इस उम्र के ,परिस्थिति के
लोगों की स्थिति पर ही हमने यह पद्धति बनाई है जो हम अपने blog -tantramarg.wordpress.com
और aagamtantra.blogspot.com पर अपने पाठकों कके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं |पूर्ण विवरण और उपयुक्त
प्रक्रिया अगले अंक में प्रस्तुत है -चूंकि लेख बहुत लंबा हो रहा है |पूर्ण विवरण
के लिए पढ़िए अगला अंक |.....[[शेष अगले अंक में
]]...........................................................हर -हर महादेव
विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
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