Wednesday 15 November 2017

भाग्य कैसे बदलें अपना ? -२

कैसे बदलें अपने भाग्य को -२
====================[[ प्रथम भाग का शेष ]]
यदि आप सचमुच भाग्य बदलना चाहते हैं |भाग्य के उतार चढ़ाव से तंग आ चुके हैं |संघर्ष करते करते थक चुके हैं |भाग्य ,किस्मत ,तकदीर के नाम पर रो रोकर अपने जीवन में दुःख ही दुःख पा रहे हैं ,तो भाग्य बदलने ,उसमे परिवर्तन के बारे में भी जरुर सोचिये |आपका लगेगा कुछ नहीं और जीवन बदल जाएगा |आप सचमुच गंभीर हुए तो आपको आपके भाग्य का पूरा तो मिलेगा ही ,उससे अधिक भी मिलने लगेगा |होगा वह जो कुंडली भी नहीं कहती |भाग्य बदलने के लिए कुछ विषयों और कारकों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है |आपके अवचेतन की कुंठाएं ,भावनाएं ,आपका आत्मविश्वास ,आपका मनोबल सबसे पहले आपके भाग्य को प्रभावित करता है |पृथ्वी की सतही उर्जायें ,शक्तियाँ आपको हमेशा प्रभावित करती रहती हैं ,किसी को कम तो किसी को अधिक इन्हें नियंत्रित अथवा संतुलित किया जाना आवश्यक होता है |अपने मन और सोच में बदलाव तृतीय आवश्यकता होती है तथा उच्च ईश्वरीय शक्ति की कृपा चौथी आवश्यकता होती है |यदि इतना व्यक्ति कर ले तो उसका भाग्य परिवर्तित होने लगता है |हम क्रमशः एक एक विषय का विश्लेष्ण करते हैं और जानते हैं की किस तरह क्या किया जाना चाहिए भाग्य में परिवर्तन लाने के लिए |
. भाग्य में बदलाव कर्म से ही हो सकता है |कर्म भी सही दिशा में होने से |इसके लिए आपको अपना आत्म विश्लेष्ण करने की जरूरत होगी जिसे अंग्रेजी में सेल्फ रियलाईजेसन [Self realization] कहते हैं |इस क्रम में आपको मात्र 5 मिनट अपने आपको ,खुद देने हैं और रात सोने के ठीक पूर्व अपने दैनिक क्रियाकलाप का आत्म विश्लेषण करना है |इसकी पूरी तकनीक हमने अपने पूर्व के पोस्ट में लिखी है ,जिसका लिंक यह है -https://aagamtantra.blogspot.in/2017/03/blog-post_45.html
    इस लिंक पर जाकर आपको पूरी पोस्ट ध्यान से पढनी चाहिए और इसे अपनाना चाहिए |इस आत्म विश्लेषण से आपका भाग्य नहीं बदलेगा किन्तु आपकी 50 प्रतिशत कमियां अपने आप निकल जायेंगी |आपको पता भी नहीं चलेगा और आपको कोई प्रयास भी नहीं करना होगा फिर भी आप अपने उन्नति के लिए अग्रसर हो जायेंगे |आपमें एक नए व्यक्तित्व का उदय हो जाएगा और आप प्रसंशा के पात्र हो जायेंगे |आप नई ऊर्जा से भर जायेंगे |
. हर व्यक्ति को पृथ्वी की सतह पर सक्रिय उर्जायें प्रभावित करती हैं |इनमे अधिकतर नकारात्मक उर्जायें होती हैं ,चूंकि पृथ्वी की अपनी ऊर्जा नहीं है और सूर्य के ऊर्जा से यह उर्जिकृत है अतः स्वयं में यह ऋणात्मक ऊर्जा से संलिप्त है तथा यहाँ नकारात्मक उर्जायें चारो तरफ क्रियाशील हैं |यह उर्जायें व्यक्ति को प्रभावित करती रहती हैं ,किसी को कम तो किसी को अधिक |इसीलिए किसी को उसके भाग्य का पूरा फल पूरी तरह नहीं मिल पाता |किसी को 50 तो किसी को 90 प्रतिशत तक मिल जाता है |इन नकारात्मक प्रभावों को शरीर ,मन और आत्मा को प्रभावित करने से रोकने के लिए व्यक्ति को उग्र उच्च शक्तियों जैसे दुर्गा ,काली ,बगलामुखी  का यन्त्र कम से कम २१ हजार मन्त्रों से अभिमंत्रित कराकर चांदी के कवच में धारण करना चाहिए |इसे न मजाक समझें न स्वार्थ से प्रेरित सुझाव समझें |यह हमारे वर्षों के तंत्र शोध पर आधारित सुझाव है |कवच /ताबीज का इतना प्रभाव होता है की यदि यह अच्छे से बने हों तो भाग्य तक बदल सकते हैं |इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारे blog की यह पोस्ट देखें - https://aagamtantra.blogspot.in/2017/02/blog-post_17.html
यह नकारात्मक प्रभाव तो हटाते ही हैं ,साथ ही शरीर के विशेष चक्र की क्रियाशीलता भी बधा देते हैं जिससे एक भिन्न और शक्तिशाली ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है |इसलिए कवच /ताबीज इसके विशेष साधक से ,जिनका कर्म ही साधना हो उस शक्ति का ,उनसे बनवाकर धारण करें |जिनका कर्म कुछ और हो और वह साधक भी हों उनसे बनवाया गया कवच यहाँ अनुपयुक्त है ,क्योकि उनकी सोच और भावना बहुमुखी होगी |केवल शक्ति केन्द्रित दिनचर्या न होने से उपयुक्त शक्ति नहीं मिल पाती |
. तीसरे क्रम पर आपको अपने अवचेतन पर काम करना चाहिए |आप अपनी कमियों ,दोषों ,मानसिक समस्याओं ,कुंठाओं ,हीन भावनाओं ,डर -भय ,कायरता ,आत्मविश्वास में कमी ,मनोबल में कमी ,आलस्य ,मानसिक चंचलता ,व्यसन की आदतों ,अति कामुकता ,मन की अस्थिरता ,ध्यान की अस्थिरता ,दिनचर्या के व्यतिक्रम ,अच्छे -बुरे दोस्त -मित्र ,आदि को खुद अपने दिमाग ,सोच के अनुसार ही देखें और इन्हें लिख लें |अपनी इनके ठीक विपरीत कुछ वाक्य बनाएं |इन वाक्यों को दिन में चार बार एकांत में दोहरायें |आपकी यह कमियां आपके बिन किसी प्रयास के ,बिन किसी पूजा पाठ के ,बिन किसी दवा -उपाय के दूर हो जायेगी |आपको वह प्राप्त होने लगेगा जो आपके अवचेतन में सदियों से संगृहीत है |वह ज्ञान का दरवाजा खुल जाएगा जो पूरा जीवन पढने पर भी नहीं मिल सकता |अवच्रात्न का ज्ञान ,आत्मा के साथ ही चलता है और यह कभी नष्ट नहीं होता |पूर्व जन्म देखने वाले इसी ज्ञान के सहारे व्यक्ति का पूर्व जन्म देखते हैं |यह ज्ञान गर्भ में आने पर सुप्त हो जाता है ,जिसे यदि जाग्रत कर दिया जाए तो व्यक्ति को सदियों के ज्ञान के स्रोत मिल जाते हैं |लिखे शब्द दोहराने से उनसे सम्बन्धित कमियां दूर हो जाती हैं और व्यक्ति को उसके अनुरूप सुझाव बिन जाने सोचे ही मिलते रहते हैं |इसकी एक निश्चित प्रक्रिया है और इसके लिए किसी मनोवैज्ञानिक ,मनोविश्लेषक अथवा हमसे भी सम्पर्क किया जा सकता है |एक बार सबकुछ जानकर शब्द जब बन जाए तब उन्हें मात्र दोहराने से सभी दोषों ,कमियों ,समस्याओं का निवारण हो जाता है |यह क्रिया भाग्य में 25 प्रतिशत परिवर्तन ला देता है |
. चौथे क्रम पर आप किसी पुराने विद्वान् वैदिक ज्योतिषी से सम्पर्क कीजिये |उनसे आप मात्र दो बिन्दुओं पर सलाह लीजिये |पहला की ,आपका कौन सा ग्रह सबसे अच्छा और शुभ है आपके लिए ,उसे कैसे मजबूत किया जाए ,क्या रत्न या वनस्पति आदि धारण किया जाए उसके लिए |दूसरा आप यह जानिये उनसे की ,आपकी कुंडली के अनुसार आपके ईष्ट देवता कौन होते हैं अथवा किस देवता की आराधना आपको करनी चाहिए |इसके बाद आप यह पूछिए की सबसे खराब ग्रह कौन सा है और उसके ईष्ट कौन हैं ,किस देवता की उपासना से खराब ग्रह की प्रतिकूलता कम हो सकती है |आप शुभ ग्रह की शक्ति बढाने के लिए उसके रत्न ,वनस्पति धारण कीजिये |भले वह ग्रह कितना ही मजबूत हो उसे और मजबूत कीजिये ,रातं धारण कीजिये उसका |कोई भी ग्रह कुंडली के चार भाव को प्रभावित करता है हमेशा ,अपनी स्थिति अथवा दृष्टि से |इस प्रकार उस ग्रह की और मजबूत से चार भाव तो ठीक हो ही जाते हैं |कुछ भाव पहले से ठीक होते हैं इस प्रकार संतुलन ठीक होने लगता है |अब आप कुंडली में बताये ईष्ट को एक तरफ रह दीजिये |उनकी पूजा आप दैनिक रूप से कर सकते हैं पर आपको साधना करनी है सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करने वाले देवता की |अपने ईष्ट की पूजा कीजिये और खराब ग्रह के ईष्ट देवता की साधना कीजिये [[विधि अगले बिंदु पर हम दे रहे ]]|कुछ भाव और नियंत्रित हो जायेंगे और आपकी कुंडली की स्थिति सकारात्मक स्तर की ओर बढ़ जायेगी |
५. पांचवें बिंदु पर आपको मात्र 15 मिनट साधना करनी है |यह पूजा नहीं है ,अपितु यह साधना है |आप किसी ईष्ट को नहीं साध रहे ,वह आपसे सधेगा भी नहीं |आप खुद को साध रहे की उस ईष्ट के अनुकूल आपका शरीर ,व्यक्तित्व हो जाए जिससे उस ईष्ट की ऊर्जा आपको मिल सके |इसके लिए आपको वह ईष्ट लेना है जो आपके सबसे खराब ग्रह का ईष्ट है अर्थात जो आपके सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करता है |इसकी साधना के लिए आप हमारा यह लेख देखें और इस लिंक को क्लिक कर पहले अच्छे से साधना समझें -https://aagamtantra.blogspot.in/2017/07/blog-post_31.html
यहाँ आपको जरुरी नहीं की गणपति की ही साधना या दीपक पर त्राटक करना है |यदि खराब ग्रह के ईष्ट गणपति होते हैं तब तो ठीक है ,अन्यथा जो भी देवता आते हों उनका ही आपको त्राटक करना है |आप चाहें तो दीपक की बजाय सीधे उनके चेहरे का ही त्राटक कर सकते हैं |इस अवधि में आप उनके गुण ,शक्ति ,भाव का चिंतन करें पूर्ण एकाग्रता के साथ |यह मात्र 15 मिनट की क्रिया या साधना है पर यह वह दे देगा जो आपको घंटों की पूजा से नहीं मिलेगा |जो अच्छे अच्छे साधकों के लिए भी दुर्लभ है |आपके सबसे शुभ ग्रह से सम्बन्धित चक्र तो आपमें पहले से ही क्रियाशील है सबसे ज्यादा |इस साधना से आपके सबसे खराब ग्रह को नियंत्रित करने वाले देवता का चक्र भी क्रियाशील हो जाता है जो उस ग्रह को तो अनुकूल करता ही है आपमें एक और चक्र की सक्रियता से आपकी ऊर्जा प्रणाली में परिवर्तन आ जाता है जिससे आपके लिए ग्रहों के प्रभाव बदलने लगते हैं |यह आपके भाग्य परिवर्तन में क्रांतिकारी मोड़ ला देता है |
यदि आप उपरोक्त पांच बिन्दुओं पर एक साथ काम करते हैं तो निश्चित मानिए आपका भाग्य बदलेगा ,परिवर्तित होगा |वह भी इतना की ,दुसरे तो दुसरे आप खुद आश्चर्यचकित हो जायेंगे की यह क्या हो गया ,कैसे हो गया |यह तो चमत्कार हो गया |आपका इन पूरी प्रक्रियाओं में रोज एक घंटा समय खर्च होगा ,लगभग 6 महीने से एक साल तक पर आपमें एक नया व्यक्ति ,एक नए भाग्य के साथ उदित हो जाएगा जो आपके आज से कई गुना अधिक सक्षम और सफल होगा |आप करके देखिये विश्वास नहीं हो तो |आपके रोग ,बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ जायेगी ,शारीरिक -मानसिक क्षमता बढ़ जायेगी ,आपकी आयु बढ़ जायेगी ,आपकी ग्रह बाधाएं समाप्त हो जायेंगी ,आप सफल ही सफल होते जायेंगे ,आपमें एक अतीन्द्रिय शक्ति आ जायेगी ,आपमें पूर्वाभास की शक्ति आ जायेगी |आपकी कही और सोची बातें सच होने लगेंगी |आप मानव से महामानव की ओर कदम बधा देंगे |सांसारिक जीवन में सुखी रहते हुए ,सबकुछ बोगते हुए ,सुख उठाते हुए आप अलौकिक शक्ति सम्पन्न होंगे |........[[पूरी तरह व्यक्तिगत सोच ,शोध ,विश्लेषण और ज्ञान पर आधारित विचार -- किसी शास्त्र ,पुस्तक ,विचार से कोई सम्बन्ध नहीं ]].................................................हर -हर महादेव 

विशेष -  किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 


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