==============[
तृतीय पद्धति ]
अगिया बेताल
वस्तुतः उग्र मानसिक शक्ति और काली की संहारक या आक्रामक शक्ति का एक संयोग है जो
काली की शक्ति के अंतर्गत आता है |वामतंत्र के अनुसार इसे रुद्रकाली कहा जाता है
||इस भाव की सिद्धि होने पर आक्रामक भाव की शक्ति अत्यंत प्रबल हो जाती है |अगिया
बेताल सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है |साधक के लिए साधना के समय वह प्रहरी का
काम करता है और किसी भी अन्य आसुरी शक्तियों के विघ्न को या किसी दुष्ट साधक
द्वारा प्रतिस्पर्धा में किये गए तांत्रिक अभिचार की शक्तियों को नष्ट कर देता है
|अगिया बेताल दूसरों को दिखाई नहीं देता ,पर साधक उसकी प्रत्यक्ष अनुभूति करता है
और वह अनुभूत करता है की वह क्रिया कर रहा है |अगिया बेताल अदृश्य होकर सदा साधक
की सहायता करता है ,पर वह शिव ,सरस्वती ,गणेश आदि सात्विक देवों के मंदिर में साधक
के साथ होता है |अगिया बेताल में मधुरता का भाव नहीं है |
अगिया बेताल
की साधना की कई पद्धतिया विक्सित हैं किन्तु हैं सभी उग्र ही |इसकी साधना घर में
नहीं हो सकती |इसके लिए श्मशान या निर्जन स्थान ही होना चाहिए |इसकी सात्विक और
तामसिक दोनों प्रकार से साधना हो सकती है किन्तु भाव उग्र ही होना चाहिए |सिद्ध और
नाथ परम्परा में इनकी और भी साधना पद्धतियाँ है |,सात्विक साधना में भाव के साथ
उग्र सामग्रियां और योगों का भी बहुत महत्व होता है |निर्भीकता एक आवश्यक तत्व
होती है |
अगिया बेताल
की साधना से प्रकृति में हलचल मच जाती है |इस कारण वातावरण भयानक हो जाता है |इससे
घबराकर श्मशान की प्रेतात्माएं साधक को डराती हैं |साधना के समय अग्नि के झमाके भी
पैदा होकर साधक की और झपट सकते हैं |साधक को इनके भयभीत नहीं होना चाहिए और अपना
काम करना चाहिए अन्यथा गंभीर हानि हो सकती है |भावुक और कोमल ह्रदय या दुर्बल
आत्मबल वाले व्यक्ति को अगिया बेताल की साधना नहीं करनी चाहिए |सिद्धि तो मिलेगी
नहीं हानि भी हो सकती है |यही स्थिति कामुक व्यक्तियों के लिए है |इस साधना में
काम भाव पर पूर्ण नियंत्रण रखा जाता है |अगिया बेताल के सिद्ध होने पर इसका प्रयोग
बहुत सोच समझकर किया जाना चाहिए |
अगिया बेताल
की यह साधना पद्धति वाम मार्ग से प्रेरित है |और यह साधना निर्जन स्थान अथवा
श्मशान में ही होती है |साधना दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जाती है |यह अत्यंत
उग्र साधना है जो बिन गुरु की उपस्थिति अथवा योग्य तांत्रिक की उपस्थिति के नहीं
करनी चाहिए |अकेले किसी नए साधक के लिए यह साधना नहीं है |इसकी साधना करने वाले को
पहले कुछ तांत्रिक साधनाएं संपन्न की होनी चाहिए |
सामग्री -
पूजन सामग्री ,गुड ,गुड की खीर ,बताशा ,पान ,सुपारी ,सिन्दूर ताम्बे का दीपक
,सरसों काटेल ,पीली सरसों ,राई ,कुमकुम ,कपूर ,विम्ब्फल ,बंदर के बाल या चर्बी
,मदिरा ,बकरे का मांस ,चावल ,तिल आदि |
मन्त्र -ॐ
रुद्ररूप कालिका तनय भ्रौं भ्रौं क्रीं क्रीं फट स्वाहा |
मंत्र का
चुनाव गुरु के अनुसार करें ,यहाँ से उठाकर भूलकर भी मन्त्र जप न करें |यहाँ मात्र
जानकारी दी जा रही है |न तो सिद्धि को प्रेरित किया जा रहा और न ही पूरी पद्धति
लिखी जा रही |मंत्र आदि में त्रुटी हो सकती है जिससे हित की बजाय अहित हो सकता है
|
यह साधना
श्मशान में अर्धरात्रि में की जाती है |श्मशान में चिता की भष्म का बड़ा घेरा बनाकर
उसपर सिन्दूर पूरित करके इसके मध्य ही साधना की जाती है |दक्षिण दिशा की ओर आसन
लगा पहले शिव पूजा की जाती है |इसके बाद शिवलिंग के सामने ताम्बे के दीपक में
सरसों तेल डाल दीपक जलाकर रखा जाता है |इसके बाद पूजन सामग्री और पान ,सुपारी आदि
से शिव के रूद्र रूप की भावना करते हुए शिवलिंग की पूजा की जाती है |
पूजन बाद पहले
से बनाए हवन कुण्ड में खैर की लकड़ी जलाकर हव्य पदार्थों को मिश्रित कर मंत्र के
साथ १०८ आहुति दी जाती है |इसके बाद मंत्र जप करते हुए अगियाबेताल पर ध्यान
केन्द्रित कर उसका आह्वान किया जाता है |जप संख्या पहले दिन से निश्चित रख साधना
को १०८ दिन तक किया जाता है |पद्धति और पूजा हवन रोज ऐसा ही रहता है |बीच में
अगिया बेताल के प्रकट होने ,अनुभूति होने ,सिद्ध होने पर साधना समाप्त कर दी जाती
है |यदि १०८ दिन में सिद्धि नहीं होती तो पुनः १०८ दिन की साधना की जाती है |यह
क्रम तब तक चलता है जब तक सिद्धि न मिले |वैसे १०८ दिन में सिद्धि मिल जाती है यदि
व्यक्ति सक्षम है तो |
चेतावनी -
------------
साधनाकाल में भयावह स्थितिया बन सकती हैं क्योकि इस साधना से प्रकृति की शक्तियों
में हलचल मच जाती है |साधक को बिन विचलित हुए साधना जारी रखनी चाहिए |साधना काल
में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है और साधना के बाद सिद्धि मिलने पर भी
संयमी रहना पड़ता है |चरित्रहीनता ,अनैतिक जीवन बेताल सिद्ध के लिए उपयुक्त नहीं
होता |भावुक ,कोमल ह्रदय ,कमजोर आत्मबल ,डरपोक ,कामुक व्यक्ति के लिए यह साधना
नहीं है ,उन्हें लाभ की बजाय नुक्सान हो सकता है |बिन गुरु अनुमति और बिन सुरक्षा
कवच कभी भी साधना नहीं करनी चाहिए |केवल यहाँ देखकर ,मंत्र उठाकर कभी साधना नहीं
करनी चाहिए ,क्योकि जो गोपनीय तकनीक है वह तंत्र के गोपनीयता सिद्धांत के कारण हम
भी नहीं दे सकते अतः वह केवल गुरु देता है और उसके अनुसार ही साधना करनी चाहिए
|हमारा उद्देश्य मात्र सामान्य जानकारी देना है | किस तरह के हानि ,नुक्सान के लिए
इसलिए हम जिम्मेदार नहीं होते
|.......................................................................हर-हर महादेव
विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
विशेष - उपरोक्त यन्त्र हेतु अथवा किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
No comments:
Post a Comment