Thursday 23 November 2017

अर्पणा अप्सरा साधना

अर्पणा अप्सरा साधना  
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 अप्सरा साधना स्पष्ट शब्दो मेँ काम भावना की साधना है। अप्सरा का अर्थ ऐसी देवी वर्ग से है जो सौंदर्य की द्रष्टि से अनुपमेय हो। मुख की सुन्दरता के साथ साथ देह वाणी सौँन्दर्य न्रत्य संगीतकाव्य-हास्य-विनोद सभी प्रकार के सौंदर्योँ से भरपूर हो।जिसे देख कर मन मोहित हो काम स्फुरन आरंम्भ हो जाए
कुंकुमपंअकलंकितदेहा गौरपयोधरकपम्पितहारा।
नूपूरहंसरणत्पदपदूमाकं नवशीकुरुते भुविरामा॥
अर्थ-जिसका शरीर केसर के उबटन से सुन्दर बना हुआ है, जिसके गुलाबी स्तनोँ पर मोती का हार झूल रहा है चरण कमल मे नुपूर रुपी हंस शब्द करतेँ हो। एसी लोकोत्तर सुन्दरी किसे अपने वश मे नहि कर सकती।
आवश्यक सामग्री-गुलाबजल,गुलाब का इत्र, अप्सरा का चित्र,दीपक, शुद्ध घी या चमेली का तेल, एक बेजोट,कोरा श्वेत वस्त्र केसर दो गुलाब के फूल,शंख की माला, श्वेत या कंबल का आसन, सफेद धोती गमझा,
दिन समय-किसी भी मास की एक तारीख को या किसी भी पुष्य नक्षत्र मे की जा सकती है। रात्रि 11 बजे करे।
मंत्र- ल्रं ठं ह्रां सः सः[OM LRAM THM HRAM SH SH]
विधी-साधना के करने से पूर्व बेजोट पर श्वेत कोरा वस्त्र बिछा कर अप्सरा का चित्र रखेँ! दीपक जला कर केसर से पूजन करे।उक्त विधी द्वारा अंगो को चित्र मे स्पर्श करें! [>समस्त अप्सराओ की साधना मे यह वैदिक विधी प्रयोग की जा सकती है।<]
अं नारिकेल रुपायै नमः-शिरसि
आं वासुकी रुपायै नमः-केशाय
 इं सागर रुपायै नमः- नेत्रयो
 ईँ-मत्यस्य रुपायै नमः -भ्रमरे
 उं मधुरायै नमः- कपोले
ऊं गुलपुष्पायै नमः- मुखे
एं गह्वरायै नमः-चिबुके
ऐं पद्मपत्रायै नमः-अधरोष्ठे
ओं दाडिमबीजायै नमः-दंतपंक्तौ
औं हंसिन्यै नमः-ग्रिवायै
अं पुष्प वल्ल्यै नमः-भुजायोः
अः सूर्यचंद्रमाय नमः-कुचे
कं सागरप्रगल्भायै नमः- वक्षे
खं पीपरपत्रकायै नमः-उदरौ
गं वासुकीझील्यै नमः-नाभौ
घं गजसुंडायै नमः-जंघायै
चं सौंदर्यरुपायै नमः पादयौ
घं हरिणमोहिन्यै नमः-चरणे
जं आकाशाय नमः-नितम्भयो
झं जगतमोहिन्यै नमः-रुपे टं
काम प्रियायै नमः- सर्वांगे
अब अप्सरा के भावोँ की कल्पना करेँ
ठं देवमोहिन्यै नमः-गत्यमौडं विश्व मोहिन्यै नमः-चितवनेढं अदोष रुपायै नमः-द्रष्ट्यैतं अष्टगंधायै नमः-सुगंधेषुथं देवदुर्लभायै नमः-प्रणयंदं सर्वमोहिन्यै नमः-हास्येघं सर्वमंगलायै नमः-कोमलांग्यैनं धनप्रदायै नमः- लक्ष्म्यैपं देहसुखप्रदाय नमः-रत्यैफं कामक्रिडायै नमः-मधुरेबं सुखप्रदायै नमः-हेमवत्यैभं आलिंगनायै नमः-रुपायैमं रात्रौसमाप्त्यैनमः-गौर्यैयं भोगप्रदायै नमः-भोग्यैरं रतिक्रयायै नमः-अप्सरायैलं प्रणयप्रियायै नमः-दिव्यांगनायैवं मनोवांछितप्रदायनमः-अप्सरायैशं सर्वसुखप्रदायै नमः-योगरुपायैषं कामक्रिडायै नमः-देव्यैसं जलक्रिडायै नमः-कोमलांगिन्यैहं स्वर्ग प्रदायै नमः-अर्पणाप्सरायै
अब एक गुलाब का पुष्प चित्र के पास रखे गुलाब का इत्र रुई मे ले कर चित्र के पास रख दे। एवं अब स्वयं इत्र लगावेँ। एक मुलैठी या इलायची चबा जाऐ।अब लोटे मे जल ले उसमेँ गुलाब जल व गंगा जल मिला कर विनयोग करेँ
विनियोग
--------------- ॐ अस्य श्री अर्पणा अप्सरा मंत्रस्य कामदेव ऋषि पंक्ति छंद काम क्रिडेश्वरी देवता सं सौन्दर्य बीजं कं कामशक्ति अं कीलकं श्री अर्पणाप्सरा सिध्दयर्थं रति सुख प्रदाय प्रिया रुपेण सिद्धनार्थमंत्र जपे विनयोगः
न्यास/करन्यास
------------------ॐअद्वितीयसौँदर्यनमः शिरषि  ॐकामक्रिड़ासिध्दायैनमः मुखे  ॐआलिंगनसुखप्रदायैनमः ह्रिदी  ॐदेहसुखप्रदायैनमः गुह्यो  ॐआजन्मप्रियायैनमः पादयो  ॐमनोवांछितकार्यसिद्धायै नमः करसंपुटे  ॐ दरिद्रनाशय विनियोगायैनमः सरवांगे  ॐसुभगायै अंगुष्ठाभ्यां नमः  ॐसौन्दर्यायै तर्जनीभ्यां नमः  ॐरतिसुखप्रदाय मध्यमाभ्यां नमः  ॐदेहसुखप्रदाय अनामिकाभ्याम नमः  ॐ भोगप्रदाय कनिष्ठाभ्यां नमः   ॐ आजन्मप्रणयप्रदायै करतलपृष्ठाभ्यांनमः
ध्यान
-------- हेमप्रकारमध्ये सुरविटपटले रत्नपीठाधिरुढांयक्षीँ बालां स्मरामः परिमल कुसुमोद्भासिधम्मिल्लभाराम पीनोत्तुंग स्तननाढ्य कुवलयनयनां रत्नकांचीकराभ्यां भ्राम द्भक्तोत्पलाभ्यां नवरविवसनां रक्तभूषांगरागाम्रात्री
काल मेँ मन मे प्रेमिकासे मिलने का भाव रख कर 11 शंख की माला से जाप करेँ। 5 माला पूर्ण हो जाने पर पर प्रमाव प्रत्यक्ष होने लगता है |नाना प्रकार की क्रिडा अप्सरा द्वारा की जाती है विचलित हुए बिना जप पूर्ण हो जाए तो वचन हरा लेँ।
विशेष
--------- साधना से एक दिन पूर्व ही साधना कक्ष को साफ कर लेना चाहिए | अर्धरात्री से मौन रखकर अगले  दिन रात मेँ साधना से पूर्व मौन खत्म होता है |व्यसन कामुकता पूर्णतः वर्जित है। साधना से पूर्व गुरु,गणेश,शिव,इष्ट पूजन आवश्यक है आसन शुद्धी माला संस्करण आसन जाप आदी कर लेना चाहिए ताकी साधना की सफलता की संभावना बनी रहे ये सभी साधनाओँ का आधार होते है | यह साधना काम भाव की है अर्थ ये नही की आप कामुक भाव से करे। भाव ये है की एक प्रेमी अपनी प्रेयसी के प्रेम मे व्याकुल उसे पुकार रहा है।
 ये साधना एक दिवसीय अवश्य है परन्तु सरल नहि |सात्विक्ता से रह कर, मौन रह कर, काम क्रोध लोभ मोह त्याग कर, मनको शांत रख कर ही आप साधना मे अपनी सफलता की संभावना को बढा सकतेँ है |सामग्री को बदला जाए या इनके विकल्पो का प्रयोग करना वर्जित है।।याद रखे गाण्डिवधारी अर्जुन जैसा धनुर्धर खुद को अप्सरा के श्राप से नहि बचा पाया था। अतः किसी भी साधना या शक्ती को सहज समझेँ। देवराज इन्द्र द्वारा इन्हे साधना भंग करने हेतु पहुँचाया जाता रहा अतः ये इस कार्य मे निपुण होतीँ है अतः साधक विचलित हो ये आवश्यक है।इस साधना को बिना गुरु की सलाह अथवा देख रेख के कदापि न करें |विपरीत परिणाम की संभावना रहती है |हमारा उद्देश्य मात्र जानकारी उपलब्ध करना है ,किसी भी तरह के नुक्सान अथवा विपरीत परिणाम के लिए हम उत्तरदाई नहीं होंगे |इसलिए कोई भी साधक खूब सोच समझकर ही साधना करें |.................................................................हर-हर महादेव

विशेष - ज्योतिषीय परामर्श ,कुंडली विश्लेषण , किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव ,सामाजिक -आर्थिक -पारिवारिक समस्या आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

1 comment:

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