Sunday 13 August 2017

भूत -प्रेत प्रकोप ::लक्षण ,बचाव और सावधानी

भूत-प्रेत और उपरी हवा ::लक्षण ,बचाव 
==============================
अस्वाभाविक व अकस्मात होने वाली मृत्यु से मरने वाले प्राणियों की आत्मा भटकती रहती हैं, जब तक कि वह सृष्टि के चक्र में प्रवेश न कर जाए, तब तक ये भटकती आत्माएं ही भूत व प्रेत होते हैं। इनका सृष्टि चक्र में प्रवेश तभी संभव होता है जब वे मनुष्य रूप में अपनी स्वाभाविक आयु को प्राप्त करती है।
सृष्टि के चक्र से हटकर आत्मा भटकाव की स्थिति में आ जाती हैं। इसी प्रकार की आत्माओं की उपस्थिति का अहसास हम भूत के रूप में या फिर प्रेत के रूप में करते हैं। यही आत्मा जब सृष्टि के चक्र में फिर से प्रवेश करती है तो उसके भूत होने का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है। अधिकांशतः आत्माएं अपने जीवन काल में संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसलिए उन्हें इसका बोध होता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे जल में डूबकर, बिजली द्वारा, अग्नि में जलकर, लड़ाई-झगड़े में, प्राकृतिक आपदा से मृत्यु तथा अकस्मात होने वाली अकाल मृत्यु व दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं और भूत-प्रेतों की संख्या भी उसी रफ्तार से बढ़ रही है।
लक्षण
=====
भूत-प्रेत आदि से ग्रसित  व्यक्ति के शरीर से या कपड़ों से गंध आती है। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है।ऐसे व्यक्ति की आंखें लाल रहती हैं व चेहरा भी लाल दिखाई देता है। ऐसे व्यक्ति को अनायास ही पसीना बार-बार आता है। ऐसा व्यक्ति सिरदर्द व पेट दर्द की शिकायत अक्सर करता ही रहता है। ऐसा व्यक्ति झुककर या पैर घसीट कर चलता है। कंधों में भारीपन महसूस करता है। कभी-कभी पैरों में दर्द की शिकायत भी करता है। बुरे स्वप्न उसका पीछा नहीं छोड़ते।कभी कभी दृष्टि वक्र हो जाती है |कोई बहुत साफ़ सफाई पसंद हो जाता है तो कोई गन्दगी पसंद |महिला अगर ग्रसित है तो कपडे पहनना पसंद नहीं करती ,उतारती रहती है या नोचती रहती है ,बाल बिखेर कर आवेश प्रदर्शित कर सकती है |ग्रस्त पुरुष कभी कभी बडबडाता है अथवा बिलकुल चुप हो सकता है |अनिद्रा की शिकायत रहती है |बेचैनी रहती है |वजन दिन-प्रतिदिन कम होता जाता है |आदि अनेकानेक लक्षण हो सकते हैं |
जिस घर या परिवार में भूत-प्रेतों का साया होता है वहां शांति का वातावरण नहीं होता। घर में कोई न कोई सदस्य सदैव किसी न किसी रोग से ग्रस्त रहता है। अकेले रहने पर घर में डर लगता है बार-बार ऐसा लगता है कि घर के ही किसी सदस्य ने आवाज देकर पुकारा है जबकि वह सदस्य घर पर होता ही नहीं? इसे छलावा कहते हैं। कभी लगता है कोई आसपास से चला गया |कभी छाया महसूस होती है ,किसी किसी को तो स्पष्ट शरीर अथवा आँखें दिखती हैं |घर में कलह रहता है |मांगलिक कार्य संपन्न होने में बाधा आती है |आय से अधिक खर्च होता है |मतभेद-बिखराव-अवनति होने लगती है |कार्यों में बार बार बाधाएं आती हैं |कभी बर्तनों के अनायास खड़कने की आवाज आती है |अपशकुन अधिक होते हैं |आसपास कुत्ते -बिल्ली अनायास रोते हैं अथवा उल्लू-चमगादड़ का वास घर में हो सकता है |अचानक कभी कभी घर में आग भी लग सकती है |दुर्घटनाएं बढ़ जाती है |
भूत-प्रेतों की अनेकानेक योनियां हैं। इतना ही नहीं इनकी अपनी-अपनी शक्तियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं। इसलिए सभी ग्रसित व्यक्तियों का उपचार एक ही क्रिया द्वारा संभव नहीं है। योग्य विद्वान व्यक्ति ही इनकी योनी व शक्ति की पहचान कर इनका उपचार बतलाते हैं। अनेक बार ऐसा भी होता है कि ये उतारा या उपचार करने वाले पर ही हावी हो जाते हैं इसलिए इस कार्य के लिए अनुभव व गुरु का मार्ग दर्शन अत्यंत अनिवार्य होता है।
 उपचार के सामान्य उपाय
================
सामान्य उपचार भी ग्रसित व्यक्ति को ठीक कर देते हैं या भूत-प्रेतों को उनके शरीर से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर देते हें। ये उपचार उतारा या उसारा के रूप में किया जाता है। इन्हें आजमाएं।
* ग्रसित व्यक्ति के गले में लहसुन की कलियां की माला डाल दें। (लहसुन की गंध अधिकांशतः भूत-प्रेत सहन नहीं कर पाते इसलिए ग्रसित व्यक्ति को छोड़कर भाग जाते हैं।) रात्रिकाल में ग्रसित व्यक्ति के सिरहाने लहसुन और हींग को पीसकर गोली बनाकर रखें।
* ग्रसित व्यक्ति की शारीरिक स्वच्छता बनाए रखने का प्रयास करें। ग्रसित व्यक्ति के वस्त्र अलग से धोएं सुखाएं।
* ग्रसित व्यक्ति के ऊपर से बूंदी का लड्डू उतारकर चैराहे या पीपल के नीचे रखें (रविवार छोड़कर) तीन दिन लगातार करें।
किसी योग्य व्यक्ति से अथवा गुरु से रक्षा कवच या यंत्र आदि बनवाकर ग्रसित व्यक्ति को धारण कराना चाहिए। ग्रसित व्यक्ति को अधिक से अधिक गंगाजल पिलाना चाहिए व उस स्थान विशेष पर भी प्रतिदिन गंगाजल छिड़कना चाहिए। नवार्ण मंत्र (ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) की एक माला जप करके जल को अभिमंत्रित कर लें व पीड़ित व्यक्ति को पिलाएं।
हर मंगल और शनि के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में जाये और उनके चरणों में से सिन्दूर लेकर माथे पर लगाये ..|प्रतिदिन प्रातःकाल घर में गंगाजल का छिड़काव करें।प्रत्येक पूर्णमासी को घर में सत्यनारायण की कथा करवाएं।सूर्यदेव को प्रतिदिन जल का अघ्र्य दें। घर में गुग्गल की धूनी दें।
 बचाव /सावधानी
===========
 किसी निर्जन, एकांत या जंगल आदि में मलमूत्र त्याग करने से पूर्व उस स्थान को भलीभांति देख लेना चाहिए कि वहां कोई ऐसा वृक्ष तो नहीं है जिसपर प्रेत आदि निवास करते हैं अथवा उस स्थान पर कोई मजार या कब्रिस्तान तो नहीं है।  घर के आस-पास पीपल का वृक्ष नहीं होना चाहिए क्योंकि पीपल पर प्रेतों का वास होता है।
सूर्य की ओर मुख करके मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए।सकारात्मक ऊर्जा में कमी आती है जिससे वायव्य बाधा की संभावना बढती है |
गूलर, मोलसरी, शीशम, मेंहदी आदि के वृक्षों पर भी प्रेतों का वास होता है। इन वृक्षों के नीचे नहीं जाना चाहिए और ही खुशबूदार पोधों के पास जाना चाहिए। सेव एकमात्र ऐसा फल है जिस पर क्रिया आसानी से की जा सकती है। इसलिए किसी का दिया सेव नहीं खाना चाहिए।पूर्णतया निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए।
रात्रिकाल में 12 से 4 बजे के मध्य ठहरे पानी को न छूएं। यथासंभव अनजान व्यक्ति के द्वारा दी गई चीज ग्रहण न करें। अपनी, आत्मशुद्धि घर की शुद्धि हेतु प्रतिदिन घर में गायत्री मंत्र से हवन करें। अपने इष्ट देवी-देवता के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें। हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का प्रतिदिन पाठ करें। जिस घर में प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ होता है वहां ऊपरी हवाओं का असर नहीं होता।घर में पूजा करते समय कुशा का आसन प्रयोग में लाएं। मां महाकाली की उपासना करें।....................................................................हर-हर महादेव

विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच . 

No comments:

Post a Comment