Thursday 12 October 2017

लक्ष्मी-श्री लक्ष्मी और महालक्ष्मी

::::::::::::लक्ष्मी-लक्ष्मी और लक्ष्मी :: कौन हैं ये लक्ष्मी और महालक्ष्मी :::::::::::::
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हिन्दू धर्म में लक्ष्मी जी की बड़ी महत्ता है |आधुनिक युग में इनके बिना तो अब काम ही नहीं चलने वाला |हर जगह बस लक्ष्मी जी का ही बोलबाला है ,हर कोई बस लक्ष्मी ही पाना चाहता है |पर वास्तव में यह लक्ष्मी है कौन ,सभी द्वारा चाही जाने वाली लक्ष्मी और विष्णु की पत्नी लक्ष्मी में क्या कोई अंतर है ,क्या विष्णु का पैर दबाने वाली लक्ष्मी भी वही हैं जो धन की देवी हैं ,क्या वही लक्ष्मी त्रिदेव के एक रूप विष्णु की शक्ति हैं या इनमे कोई अंतर है |
कथाओं के अनुसार परम शक्ति ,परम आत्मा ,आदि तत्व ने जब सृष्टि की इच्छा की तो उसके संचालन के लिए स्वयं को तीन अंशों में उत्पन्न किया |ब्रह्मा-विष्णु और महेश ,,इनके साथ परम तत्व की शक्ति भी तीन भागों में हो तीनो अंशों के साथ जुडी |विष्णु के साथ महालक्ष्मी ,ब्रह्मा के साथ महा सरस्वती और महेश के साथ महाकाली |विष्णु के साथ जुडी महालक्ष्मी आदि शक्ति हैं जो विष्णु के जगत पालन की सहयोगी हैं और इन्हें भुवनेश्वरी और अन्नपूर्णा भी कहा जाता है |इनका केवल धन से कोई लेना देना नहीं है ,अपितु यह सर्व सम्पदा की मालकिन हैं और जगत का पालन इनकी ही शक्ति से विष्णु संपन्न करते हैं |यही महालक्ष्मी विष्णु [आत्म तत्व]के साथ अनाहत में निवास करते हुए जीवमात्र का सञ्चालन करती हैं |
समुद्र मंथन की कथा के अनुसार ,मंथन से लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई ,जिनके योग्य किसी देवता के न होने पर उन्हें विष्णु जी को प्रदान किया गया |यह लक्ष्मी ,धन की देवी मानी जाती हैं और समस्त धन-संपत्ति इनके अधीन माने जाते हैं |प्रकारांतर से यह धरती से उत्पन्न सभी संपत्तियों की स्वामिनी हैं अतः धन की देवी हैं | लक्ष्मी अर्थात श्री और समृद्धि की उत्पत्ति। कुछ लोग इसे सोने (गोल्ड) से जोड़ते हैं। माना जाता है कि जिस भी घर में स्त्री का सम्मान होता है, वहां समृद्धि कायम रहती है।इन्हें ही कमला भी कहा जाता है जो दश महाविद्या के अंतर्गत एक महाविद्या हैं |अन्य कथा के अनुसार इन लक्ष्मी ने जब श्री विद्या त्रिपुर सुंदरी की आराधना की , तो त्रिपुरा ने इन्हें अपनी उपाधि श्री से इन्हें सुशोभित किया [प्रदान किया ],तब से लक्ष्मी जी श्री लक्ष्मी कहलाने लगी |महालक्ष्मी को श्री महालक्ष्मी नहीं कहा जाता ,वह तो स्वयं श्री हैं और श्री प्रदान करने वाली हैं ,वह तो आदि शक्ति हैं |
इन दो लक्ष्मियों के अतिरिक्त एक अन्य लक्ष्मी भी हुई हैं | महर्षि भृगु की पत्नी ख्याति के गर्भ से एक त्रिलोक सुन्दरी कन्या उत्पन्न हुई जिसका नाम लक्ष्मी था और जिसने भगवान विष्णु से विवाह किया। यही लक्ष्मी भगवान् विष्णु की सदैव सेवा करती रहती हैं ,और इन्हें ही विष्णु जी का पैर दबाते हुए देखा जाता है |
एक कथा के अनुसार महर्षि भृगु ने एक बार क्रुद्ध हो विष्णु जी की छाती पर पैर से मारा था ,तब लक्ष्मी जी ने समस्त ब्राह्मणों को श्राप दिया था की वे दरिद्र हो जायेंगे |भृगु जी की पुत्री लक्ष्मी ,अपने पिता को श्राप दे नहीं सकती थी ,,महालक्ष्मी आदि शक्ति हैं ,अपनी ही सृष्टि को वे श्रापित कर नहीं सकती तो यहाँ सीधा सा अर्थ है की जो लक्ष्मी समुद्र मंथन से निकली थी उन्होंने ब्राह्मणों को श्राप दिया था ,जिसके प्रति उत्तर में महा सरस्वती ने ब्राह्मणों को महा ज्ञानी होने का वरदान दिया था और कहा था ,ब्राह्मणों की श्रेष्ठता सदैव रहेगी ,चाहे कोई कितना ही धनवान हो और लक्ष्मी को खुद चलकर ब्राह्मणों के पास आना होगा |

हम सभी लक्ष्मी -लक्ष्मी ,हाय लक्ष्मी करते रहते हैं ,पर लक्ष्मी को पूरी तरह नहीं जानते ,जबकि हमें लक्ष्मी ,श्री लक्ष्मी और महालक्ष्मी को जानना चाहिए |भृगु जी की पुत्री लक्ष्मी की उपासना से सेवा भाव ,श्रद्धा, संतुष्टि ,सुख प्राप्त होता है |श्री लक्ष्मी की उपासना से धन -समृद्धि प्राप्त होता है और महालक्ष्मी की उपासना से सब कुछ प्राप्त होता है जो भी जीवमात्र के पालान -पोषण ,सुख-सुविधा ,भोग-विलास के लिए आवश्यक है |...........[व्यक्तिगत चिंतन]............................................................हर-हर महादेव 

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