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रम्भा का नाम कथाओं कहानियों में
विशेष सुंदरी के तौर पर आता है |यह एक अप्सरा थी ,जिसे समुद्र मंथन से प्राप्त चदः
रत्नों में से एक रत्न बताया जाता है |कथाओं में कई रम्भाओं का उल्लेख मिलता है ,एक रम्भा समुद्र मंथन के दौरान
प्रकट हुई थी और दूसरी कश्यप और प्राधा की पुत्री थी। क्या दोनों एक ही थीं, यह शोध का विषय हो सकता है। इसी
तरह रम्भा के अन्य स्थानों पर उल्लेख भी मिलते हैं |यदि रम्भा के अस्तित्व को
तंत्र जगत की अप्सरा नामक शक्ति के अनुसार परिभाषित करें तो सभी राम्भायें एक ही
हो सकती हैं ,क्योकि अप्सरा एक ऊर्जा है जो धरती और आकाश के बीच के स्थान में होती
है और इसमें शक्ति होती है की यह एक साथ कई स्थानों पर उपस्थित हो सके |यह एक
पारलौकिक शक्ति होती है |किन्तु तार्किक और धार्मिक कथाओं में विश्वास रखने वालों
के लिए यह मानना थोडा कठिन हो सकता है |कहानियों के अनुसार इन्द्र ने देवताओं से
रम्भा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त कर लिया था। रम्भा अपने रूप और सौन्दर्य के
लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। 'महाभारत' में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की
पत्नी बताया गया है। स्वर्ग में अर्जुन के स्वागत के लिए रम्भा ने नृत्य किया था।
रम्भा नाम की अप्सरा कुबेर की सभा में थी। रम्भा कुबेर के पुत्र नलकुबेर के साथ
पत्नी की तरह रहती थी। रम्भा-नलकुबेर
के संबंध को लेकर रावण ने उपहास उड़ाया था। रावण द्वारा इस प्रकार व्यंग्य और
उपहास करने के कारण नलकुबेर ने रावण को शाप दिया था कि 'जा, जब भी तू तुझे न चाहने वाली स्त्री से संभोग करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना
पड़ेगा।' माना जाता है कि इसी शाप के भय से
रावण ने सीताहरण के बाद सीता को छुआ तक नहीं था। अन्य जगहों पर उल्लेख मिलता है कि
रावण ने रम्भा के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था जिसके चलते रम्भा ने उसे
शाप दिया था।......................................................हर-हर महादेव विशेष - किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें -मो. 07408987716 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे के बीच .
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