Tuesday, 3 October 2017

हनुमान साधना

वैदिक देवता ::तांत्रिक साधना
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:::::::::::::::::हनुमान साधना ::::::::::::::::::::
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वैदिक देवता की तांत्रिक साधना के क्रम में हम अपने इस लेख में अपने पेज अलौकिक शक्तियां पर वैदिक देवता हनुमान की सरलतम तांत्रिक साधना प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे हैं जिससे सामान्यजन लाभान्वित हो सकें |हनुमान की अवधारणा या उत्पत्ति त्रेता में भगवान् राम के समय में मानी जाती है और इन्हें परम सात्विक देवता माना जाता है |इन्हें सामान्यतया वैदिक देवताओं में सम्मिलित किया जाता है यद्यपि इन्हें रुद्रावतार भी माना जाता है और शिव से सम्बद्ध भी माना जाता है |
हनुमान जी की साधना से बल ,धैर्य ,पराक्रम की प्राप्ति होती है |शत्रुओं का शमन होता है |संकटों से मुक्ति मिलती है ,कार्यसिद्धि होती है ,मनोकामना सिद्धि और रोगनाश होता है |
सामग्री :--लाल वस्त्र ,लाल आसन उनी, लाल सिन्दूर ,लाल पुष्प ,लड्डू आदि
मन्त्र :-- ॐ पूर्व कपि मुखाय पंचमुख हनुमते ,टं टं टं टं टं सकल शत्रु सन्हार्णाय स्वाहा |
विधि :-- संध्या से पूर्व ही ९ हाथ लम्बा ९ हाथ चौड़ा जमीन को साफ़ करके उसे गोबर-मिटटी के मिश्रण से लीप पोतकर साफ़ कर लें |इसके चारो और सिन्दूर -कपूर और लौंग के मिश्रण को मिलाकर एक सुरक्षात्मक घेरा बना लें |इस जमीन के ईशान कोण में तीन हाथ लम्बी और तीन हाथ चौड़ी जमीं पर अपना स्थान स्थापित करें जिसके ईशान में सवाहाथ की पीठिका बनायें जिस पर मूर्ती या चित्र स्थापित होगा |यह स्थान एकांत का हो |यदि घर में साधना कर रहे हैं तो १५ फुट लम्बे चौड़े कमरे के ईशान में स्थान बनाएं |कमरे में हवा और प्राकृतिक प्रकाश की समुचित सुविधा हो |अब भूमि के चारो और सुरक्षा घेरे पर जौ के आटे या चावल ,सिन्दूर ,तुलसी ,जल को मंत्र पढ़ते हुए छिडके |
 ईशान कोण में नैरित्य की और मुख किये हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए |प्रतिमा उपलब्ध न हो तो चित्र लगाएं |ईशान की और मुह करके त्राटक में हनुमान जी का ध्यान लगाएं |उपर्युक्त मंत्र का जप प्रतिदिन ११८८ बार धीमी गति से धीमे स्वरों में [उपांशु ]पूर्ण नाद के साथ करें |ध्यान हनुमान जी पर पूरी तरह एकाग्र रहे |सामान्यतया यह मंत्र १०८ दिन में सिद्ध होता है ,परन्तु क्षमता और एकाग्रता के अनुसार समय कम अधिक भी लग सकता है |जब त्राटक में ध्यान लगाते ही हनुमान जी का तेजोमय सजीव प्रत्यक्षीकरण होने लगे ,तब इस मंत्र को सिद्ध समझना चाहिए |किन्तु इसके बाद भी अभ्यास करते रहना चाहिए | .......................................................................हर-हर महादेव  

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